पाठ 05 अनिता की मधुमाखिया

मेरा नाम अनीता खुशवाहा है। मैं मुज़फ्फरपुर ज़िले के बोचाहा गाँव में रहती हूँ, जो बिहार में है। मेरे घर में माँ, पिताजी और दो छोटे भाई हैं। मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ और स्कूल के बच्चों को पढ़ाती हूँ। मैं मधुमक्खी पालने का काम भी करती हूँ।

इतना सब कर पाना मेरे लिए आसान नहीं था। जब मैं छोटी थी, तब मैं दिन भर बकरियाँ चराती थी। मेरा भी स्कूल जाने का मन करता था, पर माँ-पिताजी को लड़कियों का स्कूल जाना पसंद नहीं था।


  • यह एक सच्ची कहानी है। अनीता खुशवाहा एक ‘चमकता सितारा’ (गर्ल स्टार) है। ‘चमकते सितारे’ उन साधारण लड़कियों की असाधारण कहानियाँ हैं, जिन्होंने स्कूल जाकर अपनी जिंदगी बदल दी। बच्चों से किताब के अंतिम पृष्ठ पर दिए गए भारत के नक्शे में बिहार ढूँढ़ने को कहें।

स्कूल जाना-एक अपना

एक दिन मैंने स्कूल के अंदर झाँककर देख ही लिया। बच्चों को देखकर मैं अपने आपको रोक नहीं पाई और बच्चों की कतार में पीछे जाकर चुपचाप बैठ गई। मुझे बहुत अच्छा लगा। घर जाते ही मैंने हिम्मत करके माँ-पिताजी को स्कूल के बारे में बताया। उन्होंने मुझे स्कूल जाने के लिए बिलकुल मना कर दिया। उस दिन मैं बहुत रोई।

मेरे गाँव की एक टीचर ने माँ-पिताजी को समझाया कि पढ़ाई करना कितना ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई पर कोई खर्च भी नहीं होता है। पढ़ना तो सब बच्चों का अधिकार है। मुझे पता नहीं कैसे, पर माँ-पिताजी मान गए। मैंने स्कूल जाना शुरू कर दिया। स्कूल में मैं बहुत ज़्यादा नंबर तो नहीं लाती थी, पर टीचर से सवाल बहुत पूछती थी।

  • हिसाब लगाओ कि स्कूल की सभी चीज़ों पर एक साल में तुम्हारा कितना खर्चा होता है।
चीज़ें खर्चा
1. स्कूल आने-जाने में
2. कॉपियाँ
3. पेंसिल-पैन
4. यूनिफ़ॉर्म
5. बस्ता
6. खाने का डिब्बा
7. जूते
8. इनके अलावा (1)
$\quad$ (2)
कुल खर्चा
  • तुमने इस साल कितने रुपयों की स्कूल की कापियाँ खरीदी हैं?
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  • तुम अपने स्कूल की यूनिफ़ॉर्म कैसी चाहते हो? उसका चित्र कॉपी में बनाकर रंग भरो।

  • बच्चों के दो समूह बनाओ। ‘स्कूल में यूनिफ़ॉर्म होनी चाहिए’-इस बात पर वाद-विवाद करो।

स्कूल में

देखते-ही-देखते पाँच साल बीत गए। मैंने पाँचवी कक्षा पास कर ली। मुझे पता चला कि छठी कक्षा से खर्चा बढ़ जाएगा। माँ-पिताजी ने कहा कि स्कूल छोड़़ दो, पर मैं आगे पढ़ना चाहती थी। मैंने हल ढूँढ़़ ही लिया। मैं अपने से छोटे बच्चों को पढ़ाने लगी। उससे मुझे जो पैसे मिलते थे, उनसे मैं अपनी आगे की पढ़ाई कर पाई।

अमूर्त

एक याद

मुझे याद है कि गाँव में कुछ बड़े लड़के भी बच्चों को पढ़ाते थे। उन्हें मेरा बच्चों को पढ़ाना पसंद नहीं आया। उन्होंने मेरे पास आने वाले बच्चों को डराना, धमकाना शुरू कर दिया। दो बच्चों को छोड़कर, सबने आना बंद कर दिया। कुछ दिनों बाद बाकी बच्चे भी लौट आए क्योंकि मैं उन्हें प्यार से पढ़ाती थी।

बताओ

  • क्या तुम कुछ ऐसे लोगों को जानते हो, जो पढ़ना चाहते थे, लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए? उनके बारे में कक्षा में बताओ।

अध्यापक के लिए-बच्चों को वाद-विवाद का मतलब समझाएँ। वाद-विवाद से बच्चों को किसी बात के विभिन्न पहलुओं के बारे में सोचने और समझने का मौका मिलेगा। कक्षा में बच्चों को अपनी राय रखने के लिए प्रोत्साहित करें।

  • हर बच्चे का हक है कि वह आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई मुफ़्त कर सके। क्या सभी बच्चों को यह अधिकार मिलता है? चर्चा करो।

क्या है RTE-अधिनियम 2009?

यह छः से चौदह साल के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।

धीरे-धीरे मैंने गाँववालों को समझाना शुरू किया कि सभी लड़कियों को स्कूल भेजें। घर में माँ-पिताजी ने भी मेरी मदद करनी शुरू कर दी। घर का सारा काम मेरी माँ ही कर लेती थी। मुझे पढ़ने के लिए काफ़ी समय मिल जाता था।

एक राज़

मैंने किसी को बताए बिना मोटर-बाइक चलाना भी सीखा। बहुत बार चोट लगी, पर मज़ा आया।

स्कूल से मधुमक्रवी पालन तक

हमारे इलाके में बहुत सारे लीची के पेड़ हैं। लीची के फूल मधुमक्खियों को लुभाते हैं। इसलिए यहाँ लोग मधुमक्खियों को पालकर शहद बनाने का काम करते हैं। मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी यह काम कर लूँ। तब मैंने गाँव में मधुमक्खी पालने के एक सरकारी कोर्स में भाग लिया। कोर्स में भाग लेने वालों में मैं अकेली लड़की थी। ट्रेनिंग में मुझे पता चला कि अक्तूबर से दिसम्बर तक का समय मधुमक्खियों के अंडे देने का होता है। मधुमक्खी पालन शुरू करने का सबसे अच्छा समय यही होता है।

  • क्या तुमने कीड़ों को फूलों पर आते देखा है? उनके नाम पता करो और लिखो।
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  • कॉपी में उनके चित्र बनाकर रंग भरो।

  • वे फूलों पर क्यों आते हैं? पता करो।
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  • जब मधुमक्खी उड़ती है, तो कैसी आवाज़ होती है? वैसी आवाज़ निकालो।

अध्यापक के लिए-बेटियों की शिक्षा के लिए उपलन्ध विभिन्न योजनाओं का पता करें। साथ ही कौशल विकास के अवसरों को पहचानने में बच्चों की सहायता करें।

अनीता-मधुमक्रवी पालक

मैंने मधुमक्खी पालने का कोर्स कर लिया। लेकिन अपना काम शुरू करने के लिए मेरे पास रुपये नहीं थे। मैंने कुछ समय तक इंतज़ार किया और बच्चों को पढ़ाकर ₹ 5000 बचाए। इन रुपयों से मैंने मधुमक्खी पालने के दो बक्से खरीदे। एक बक्से की कीमत ₹ 2000 थी। बाकी बचे रुपयों से मीठा घोल बनाने के लिए चीनी और छत्ते को साफ़ करने के लिए दवाइयाँ खरीदीं।

सितम्बर का महीना था। दिसम्बर तक मेरे पास इतनी मधुमक्खियाँ हो गईं कि दो बक्से कम पड़ने लगे। मैंने दो बक्से और खरीदे। मुझे मधुमक्खियों के बारे में ज़्यादा अनुभव नहीं था। कई बार मधुमक्खियों ने मुझे काटा भी। इससे मेरा चेहरा और हाथ सूज जाते थे। दर्द भी बहुत होता था, पर कहती किससे? यह काम तो मैंने अपनी ही इच्छा से शुरू किया था।

पता करो

  • तुम्हारे आस-पास के इलाके में मधुमक्खी के काटने पर क्या लगाते हैं?

  • मधुमक्खी का चित्र कॉपी में बनाओ। उसमें रंग भी भरो तथा अपना मनपसंद कोई नाम रखो।

लीची के फूल फरवरी में खिलते हैं। मैंने अपने चारों बक्सों को लीची के बगीचे में रखा। मुझे हर बक्से से 12 किलो शहद मिला, जो मैंने बाज़ार में बेचा। मुझे अपनी पहली कमाई मिली। अब मेरे पास 20 बक्से हैं।

  • अनीता के 20 बक्सों की कुल कीमत क्या है?
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मैं रोज़ साइकिल से कॉलेज जाती हूँ। कॉलेज गाँव से 5 किलोमीटर दूर शहर में है। जब मैं कॉलेज जाती हूँ, तो माँ मधुमक्खियों के लिए चीनी का घोल तैयार करतीं हैं। पिताजी मधुमक्खियों की देखभाल करते हैं और बक्सों से शहद निकालते हैं।

अब तक तो तुम भी अनीता को अच्छी तरह जान गए होगे। आस-पास के सभी गाँवों के लोग उसे पहचानते हैं। वह गाँव की सभी बैठकों में जाती है और लोगों को समझाती है कि पढ़ना सबके लिए बहुत ज़रूरी है। कुछ लोग तो उस पर हँसते भी हैं, लेकिन अनीता को अपना काम करना है और वह करती है।

अनीता होलसेलर बनना चाहती है, जिससे वह मधुमक्खी पालने वालों को शहद की सही कीमत दिलाने में मदद कर सके।

पता करो

  • अनीता और गाँव वालों को एक किलो शहद के बदले 35 रुपये मिलते हैं। तुम्हारे यहाँ एक किलो शहद कितने रुपयों का मिलता है?
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  • तुमने किस-किस रंग का शहद देखा है?
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  • क्या तुम्हारे घर में शहद इस्तेमाल होता है? किस-किस काम के लिए?
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हर छत्ते में एक रानी मक्खी होती है, जो अंडे देती है। छत्ते में कुछ नर-मक्खी भी होते हैं। छत्ते में बहुत सारी काम करने वाली मक्खियाँ भी होती हैं। ये दिन भर काम करती हैं। शहद के लिए फूलों का रस ढूँढ़ती हैं। जब किसी मक्खी को रस मिल जाता है, तो वह एक तरह का नाच करती है, उससे दूसरी मक्खियों को पता चल जाता है कि रस कहाँ है। वे रस से शहद बनाती हैं। छत्ता बनाने का काम भी इन्हीं का होता है और बच्चों को पालना भी। ये न हों, तो न छत्ता बने और न ही शहद इकट्ठा हो। शहद के बिना छत्ते की सारी मधुमक्खियाँ भूखी ही रह जाती हैं। नरमक्खी छत्ते के लिए कुछ खास काम नहीं

अध्यापक के लिए-बच्चों को होलसेलर का काम समझाएँ।

  • मधुमक्खी के अलावा और कौन-से कीड़े हैं, जो समूह में रहते हैं?
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मधुमक्खियों की तरह ही चींटियाँ भी मिल-जुलकर रहती हैं। सभी चींटियों का काम बँटा होता है। रानी चींटियाँ अंडे देती हैं, सिपाही चींटी बिल का ध्यान रखतीं हैं और काम करने वाली चींटियाँ भोजन ढूँढ़ कर बिल तक लातीं हैं। दीमक और ततैये भी इसी तरह समूह में रहते हैं।

  • तुमने चींटियों का बिल कहाँ-कहाँ देखा है?
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  • तुम्हें क्या लगता है-किस तरह की चीज़ों पर चोंटियाँ ज़्यादा आती हैं? उनकी सूची बनाओ।
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  • चींटियों की कतार को देखो और बताओ कि उनका रंग कैसा है?
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  • क्या तुम्हें कभी चींटी ने काटा है? कैसी थी वह-काली या भूरी, छोटी या मोटी या किसी और तरह की?
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  • क्या चींटी तुम्हारे पास आती है? कब?
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  • कुछ छोटी और बड़ी चींटियों को ध्यान से देखो। चींटियों के कितने पैर होते हैं?

  • बड़ी चींटी के पैर ___________________

  • छोटी चींटी के पैर ___________________

  • एक चींटी का चित्र कॉपी में बनाओ और रंग भरो।

  • तुम अकसर मूँगफली खाकर उसके छिलके फेंक देते होगे। चलो, उन्हीं छिलकों से रंग-बिरंगे कीड़े-मकौड़े बनाने की कोशिश करो। उन पर रंग भरना न भूलना!



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