पाठ 20 मिलकर खाएँ

क्लास में पार्ढी

छुट्टियों के बाद आज स्कूल खुला है। सभी बच्चे आपस में छुट्टियों के बारे में बातें कर रहे हैं।

मीना आरती की हथेली देखकर बोली, “तुमने मेंहदी कब लगाई?” “मामा की शादी में,” आरती ने बताया। “वहाँ तो बहुत मज़ा आया होगा,” डेविड बोला। “हाँ! सबसे ज्यादा मज़ा तो खाने में आया। वहाँ हम सब भाई-बहन और रिश्तेदार एक साथ बैठकर खाते थे,” आरती खुशी से चहकी। “क्यों न हम भी स्कूल में ऐसा ही कुछ करें?” रेहाना बोली।

“हाँ, हम क्लास में मिलकर पार्टी ज़रूर कर सकते हैं। कितना मज़ा आएगा, तब!” डेविड ने सुझाया। “हमारी कॉलोनी में सभी त्योहारों पर पार्टी होती है। सब घरों से पैसे इकट्टे कर लेते हैं। कुछ खाना साथ मिलकर बनाते हैं और कुछ बाज़ार से लाते हैं,” रेहाना ने कहा।

“पार्टी करने के लिए त्योहार क्यों? शनिवार को आधी छुट्टी है। उसी दिन पार्टी करते हैं,” रीना बोली।

सबने मिलकर तय किया कि पार्टी के लिए कौन क्या-क्या लाएगा। पार्टी में बहुत मज़ा आया। तरह-तरह की खाने की चीज़ें थीं। सब ने मिलकर बहुत-से खेल खेले। नाच-गाना भी हुआ। बच्चों ने यह तय किया कि वे अकसर मिलकर पार्टी किया करेंगे।

कॉपी में लिखो

  • क्या तुम्हें मिल-जुलकर खाना अच्छा लगता है?

  • कौन-कौन-से मौकों पर तुम सब मिलकर खाते हो?

  • क्या तुमने कभी क्लास में पार्टी की है? कब की थी और उसके लिए क्या-क्या किया था?

  • पार्टी में तुम और तुम्हारे साथी क्या-क्या चीज़ें लाए थे?

  • तुम सभी ने क्या-क्या खाया?

  • तुमने अपनी क्लास पार्टी में किन-किन को बुलाया था?

  • क्या ऐसा भी हुआ है कि स्कूल में काम करने वाले कुछ लोगों को तुम नहीं बुला पाए? वे कौन थे?

  • क्या तुमने अपनी क्लास पार्टी में विशेष कपड़े पहने थे?

  • पार्टी को मज़ेदार बनाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है? चर्चा करो।

अध्यापक के लिए-कक्षा में पार्टी करवाने का एक कारण बच्चों को मिल-जुलकर, एक साथ बैठकर खाने के अवसर देना है। इसके लिए बच्चों को नाच-गाना, नाटक जैसे कार्यक्रम तैयार करने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है।

बीहू का त्योहार

भेला-घर

सोनमोनी जल्दी से उठी और भागी-तनवीर, फ़ातिमा और मज़ानी के पास। आज बीहू त्योहार जो मनाया जा रहा है-चावल की नई फ़सल कटी है न! चारों सहेलियाँ मस्ती में गीत गाने लगीं। वे बातें करतीं-करतीं बाँस से भेला-घर बनाने लगीं। सभी मिलकर बीहू की तैयारियों की बातें कर रही हैं। तुम भी पढ़ो, इनकी बातचीत।

सोनमोनी - जल्दी करो! रात के भोज से पहले घास और बाँस से भेला-घर बनाकर तैयार करना है।

तनवीर - आज तो पूरे गाँव के लोग रात को एक साथ खाना खाएँगे। भई, ‘उरुका’ जो है!

फ़ातिमा - भोज की तैयारियाँ शुरू हो गईं क्या?

सोनमोनी- हाँ! हाँ! सभी परिवारों ने पैसे मिलाकर ‘बोरा’ चावल, मछली, सब्ज़ी आदि का इंतज़ाम किया है। उन्होंने मेज़ी के लिए लकड़ी का इंतज़ाम भी किया है। हरिया और भादिया ने पैसे तो नहीं दिए हैं, पर वे सारा काम करवा रहे हैं।

फ़ातिमा - माँस, मछली और सब्ज़ियों का क्या हुआ?

सोनमोनी - कुछ लोग यही सब खरीदने गए हुए हैं। बोरा चावल भिगो दिया है। पीठा बनाने के लिए पूरा गाँव काम में लगा हुआ है। कुछ खाना पका रहे हैं और कुछ शकरकंदी भून रहे हैं। कुछ लोग रात को खाना खिलाने में लगेंगे। शाम को सभी को चाय और पीठा भी देंगे।

अध्यापक के लिए- ‘माघ बीहू’, 14 और 15 जनवरी (असमिया कैलेण्डर के दसवें महीने ‘माघ’ की प्रथमा एवं द्वितीया तिथि) को मनाया जाता है। पहले दिन को ‘उरुका’ कहते हैं। इस दिन अस्थायी शेड (छप्पर) बनाते हैं, जिसे भेला-घर कहते हैं और सामूहिक भोज का आयोजन होता है। ‘बोरा’ असम में खाए जाने वाले चावलों की एक किस्म है, जो पकने के बाद चिपचिपे हो जाते हैं। बच्चों को नक्शे में असम ढूँढ़ने के लिए प्रेरित करें।

तनवीर - रात के खाने में ‘चेवा’ चावल भी मिलेगा न? मुझे वह बहुत ही पसंद है।

फ़ातिमा - कैसे पकाएँगे चेवा चावल?

सोनमोनी - ‘ताओ’ (कड़ाही) को आग पर रखकर उसमें पानी उबालेंगे और उस पर रखेंगे भीगे हुए चावलों से भरी हुई कड़ाही। फिर उसे केले के पत्तों से ढँक देंगे। थोड़ी देर में हो जाएगा चेवा चावल तैयार।

बताओ

  • बीहू त्योहार कहाँ मनाया जाता है?
  • तुम्हारे यहाँ कौन-कौन-से त्योहार मिल कर मनाए जाते हैं?

  • क्या इन त्योहारों पर भी सब लोग मिलकर पकाते और खाते हैं?

  • क्या-क्या विशेष पकाते हैं और कैसे?

  • क्या खाना पकाने में किसी तरह के खास बर्तन इस्तेमाल होते हैं? कौन-से?

  • सबसे बड़ा बर्तन कौन-सा होता है? कॉपी में उसका चित्र बनाओ। अंदाज़ा लगाकर बताओ कि उसमें एक बार में पके खाने को कितने लोग खा सकते हैं।

मेज़ी

भेला-घर बन कर तैयार हो गया। अब ये सहेलियाँ भागीं तैयार होने के लिए। थोड़ी ही देर में गाँव के सब लोग भी आ गए। ज़्यादातर औरतों ने पाट और मूगा की मेखला चादर पहनी थी। सोनमोनी और उसकी सहेलियाँ भी भेला-घर के पास पहुँच गईं। ढोल बजने लगा और सभी मस्ती में झूमते हुए गीत गाने लगे। फिर सब ज़मीन पर बैठ गए। उन्हें केले के पत्तों पर खाना परोसा गया। सबने हँसते-गाते और बातें करते हुए मिलकर खाना खाया। सभी रात भर भेला घर में ही रहे।

मज़ानी - सोनमोनी! अब हम लोगों को सोना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर ‘मेज़ी’ जलाना है और भेला घर भी।

पता लगाओ और करो

  • अंदाज़ा लगाकर बताओ कि इस भोज में लगभग कितने लोगों ने एक साथ खाना खाया होगा।

  • क्या तुमने कभी बीहू नृत्य देखा है? कैसा लगा?

  • पता करो-तुम्हारी क्लास के बच्चे कौन-कौन से त्योहार मनाते हैं और उन त्योहारों पर क्या खास खाया जाता है। त्योहार पर खाने की चीज़ कौन बनाता है?

  • क्या तुम किसी त्योहार या अवसर पर कुछ खास तरह के या खास रंग के कपड़े पहनते हो? उन कपड़ों के चित्र अपनी कॉपी में बनाओ।

  • क्या तुम त्योहारों पर कुछ खास तरह के गाने गाते हो? कुछ गीत सीखकर क्लास में सुनाओ।

  • त्योहारों पर होने वाले कुछ खास नृत्य सीखो। फिर स्कूल की सुबह की सभा में ये नृत्य अपने दोस्तों के साथ करके दिखाओ।

  • अपनी उम्र के बच्चों के साथ मिलकर क्या तुम कुछ खास करते हो, जैसे कोई खेल, गप-शप, सिनेमा देखना या कुछ और?

मिड-डे मील

दोपहर का एक बजने वाला है। पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। हम बच्चों का ध्यान पढ़ाई पर कम और बाहर बरामदे से आने वाली खाने की खुशबू पर ज़्यादा है।

टन्..टन्..टन्…! आखिरी घंटी बज ही गई। सभी बच्चे बाहर की ओर भागे। कुछ खाने के बर्तनों की तरफ़ तो कुछ हाथ धोने। मास्टर मोशाय ने सभी को आँगन के कोने में लगे पानी के हैंडपंप की तरफ़ भेजा।

“आनंदो! देखो तो, सब ठीक से तो हाथ धो रहे हैं न!” उन्होंने कहा।

हाथ धोकर हम सभी ने कतार में खड़े होकर खाना लिया। कुछ ने अपने डिब्बे में, तो कुछ ने थाली में। इसके बाद सब एक बड़ा गोला बनाकर बैठ गए। खाने से पहले सबने मिलकर गाया-

साथ हम खेलें,

साथ हम खाएँ,

साथ करेंगे, अच्छे काम,

और रहें हम, हर दम साथ।

हफ़्ते के हर दिन दोपहर के खाने में क्या मिलेगा, यह दीदी मोनी के ऑफ़िस के बाहर लिखा होता है। कभी भात-शुक्तो (चावल और रसेवाली सब्ज़ी), तो कभी लूची और छोला-दाल। कभी मिष्टी मिल जाए, तो क्या मज़े!

दोपहर के खाने के समय हमारे स्कूल में एक और मज़ेदार बात होती है। गोले में रोज़ जगह बदलकर अलग-अलग बच्चों के साथ बैठना होता है। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। कई बच्चों से पहचान हो जाती है और कई नए दोस्त भी बन जाते हैं।

पहले कभी-कभी भात में कंकड़ होते थे, तो कभी दाल कच्ची। तब लोगों ने कहा-हमारे बच्चे ऐसा खाना नहीं खाएँगे। दीदी मोनी ने समझाया-हम सभी को मिलकर देखना चाहिए कि खाना साफ़-सुथरा, ठीक से पका हुआ, गरम और ताज़ा हो। दोपहर का खाना सभी बच्चों को मिलना ही चाहिए। बच्चों के घरों से लोगों ने मदद करने की ठानी।

अब सब ठीक है। गरमा-गरम, पका हुआ खाना, वह भी सभी को एक साथ! कभी-कभी जितना खाना मिलता है, उससे छोटे बच्चों का पेट तो भर जाता है, पर मेरा और मेरे दोस्तों का नहीं।

आजकल तो स्कूलों में भोजन मिलता है, पर पहले ऐसा नहीं था। जब मेरी दीदी प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थीं, तब खाना नहीं दिया जाता था। कई बच्चे तो सुबह बिना खाए ही स्कूल जाते थे। खाली पेट और दिन-भर पढ़ाई-वे कैसे करते होंगे?

पता करो और कॉपी में लिखो

  • तुम भी अपने स्कूल के खाने के बारे में बताओ। अगर तुम्हारे स्कूल में खाना नहीं मिलता, तो किसी ऐसे दोस्त से पूछो, जिसके स्कूल में मिलता है। लिखो-

  • भोजन किस समय मिलता है?

  • तुम्हें यह खाना कैसा लगता है?

  • जितना खाना मिलता है, क्या उससे तुम्हारा पेट भर जाता है?

  • क्या अपना बर्तन साथ लाते हो या स्कूल से मिलता है?

  • स्कूल में दोपहर के खाने में क्या-क्या मिलता है?

  • खाना कौन परोसता है?

  • क्या तुम्हारे टीचर तुम्हारे साथ खाते हैं?

  • हफ़्ते भर के खाने के बारे में क्या स्कूल के बोर्ड पर लिखा होता है?

  • बुधवार और शुक्रवार को दोपहर के खाने में तुम्हें क्या मिलेगा?

  • अगर तुम्हें अपने स्कूल में मिलने वाले खाने की सूची में बदलाव करने का मौका मिले, तो क्या-क्या बदलना चाहोगे? तुम क्या-क्या खाना पसंद करोगे। अपने खाने की सूची बनाओ।

दिन खाने की चीज़
सोमवार
बुधवार
शुक्रवार

(3) यदि तुम्हारे स्कूल में खाना नहीं मिलता है, तो पता करो कि ऐसा क्यों है?

बच्चों का हक
‘मिड-डे मील’

हमारे देश के बहुत-से बच्चों को भरपेट खाना नहीं मिलता। इनमें से कई बच्चे तो स्कूल बिना कुछ खाए जाते हैं, खाली पेट होने के कारण, पढ़ाई में ठीक से ध्यान नहीं लगा पाते।

कुछ साल पहले हमारे देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक बहुत बड़ा फ़ैसला सुनाया - प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1-8) के स्कूलों में सभी बच्चों को पका हुआ, गरम खाना मिलना ही चाहिए। यह सभी बच्चों का अधिकार है।

  • तुम मिड-डे मील के बारे में अपनी शिकायत कहाँ दर्ज करोगे?

  • शिकायत दर्ज करने के लिये टोल फ्री (Toll-free) फोन नम्बर, वेबसाइट या ई-मेल के बारे में पता करो।



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