अध्याय 07 ग्रामीण आजीविका

पहले पाठ में हमने अपने जीवन में मौजूद अनेक तरह की विविधताओं पर नजजर डाली। हमने इस पर भी विचार किया कि अलग-अलग क्षेत्रों में रहने से वहाँ के लोगों के काम-धंधे पर कैसे असर पड़ता है। वहाँ पर पाए जाने वाले पेड़-पौधे, वहाँ की फ़सलें या दूसरी चीजें किस तरह उनके लिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं। इस पाठ में हम यह देखेंगे कि गाँव में लोग किन विभिन्न तरीकों से अपनी आजीविका चलाते हैं। पहले दो पाठों की तरह यहाँ भी हम इसकी पड़ताल करेंगे कि क्या लोगों के पास आजीविका चलाने के समान अवसर उपलब्ध हैं या नहीं। उनके जीवन की परिस्थितियाँ एक-दूसरे से कितनी मिलती-जुलती हैं और वे किन समस्याओं का सामना करते हैं, इसे भी हम देखेंगे।

  • ऊपर दी गई तस्वीरों में लोग जो काम करते हुए दिख रहे हैं, उस काम का वर्णन कीजिए।
  • खेती से जुड़े कामों को अलग कीजिए और जो काम खेती से जुड़े हुए नहीं हैं, उनकी एक सूची बनाइए।
  • आपने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कई तरह के काम करते हुए देखा है। उनमें से कुछ का चित्र बनाकर उनके बारे में लिखिए।

कलपट्टु गाँव

तमिलनाडु में समुद्र तट के पास एक गाँव है कलपट्टु। यहाँ लोग कई तरह के काम करते हैं। दूसरे गाँवों की तरह यहाँ भी खेती के अलावा कई काम होते हैं, जैसे — टोकरी, बर्तन, घड़े, ईंट, बैलगाड़ी इत्यादि बनाना।

कलपट्यु में कुछ लोग नर्स, शिक्षक, धोबी, बुनकर, नाई, साइकिल ठीक करने वाले और लोहार के रूप में अपनी सेवाएँ देते हैं। यहाँ कुछ दुकानदार एवं व्यापारी भी हैं। जो मुख्य गली है वह बाज़ार की तरह दिखती है। उसमें आपको तरह-तरह की कई छोटी दुकानें दिखेंगी, जैसे — चाय, सब्जी, कपड़े की दुकान तथा दो दुकानें बीज और खाद की। चार दुकानें चाय की हैं जहाँ ‘टिफ़िन’ भी मिलता है। यहाँ टिफ़िन का मतलब है खाने-पीने की हल्की-फुल्की चीज़ें, जैसे — सुबह इडली, डोसा व उपमा मिलता है और शाम के नाश्ते में वड़ा, बौंडा व मैसूरपाक मिलता है। चाय की दुकानों के पास एक कोने में एक लोहार का परिवार रहता है। उसके घर में ही लोहे की चीज़ें बनाने का काम होता है। बगल में साइकिल की मरम्मत की एक दुकान है। वहाँ साइकिल किराए पर भी मिलती है। गाँव में दो परिवार कपड़े धोकर अपनी आजीविका चलाते हैं। कुछ लोग पास के शहर में जाकर मकान बनाने और लॉरी चलाने का काम करते हैं।

धान की रोपाई कमरतोड़ काम होता है

गाँव छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। सिंचित जमीन पर मुख्यतः धान की खेती होती है। ज्यादातर परिवार खेती के द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं। यहाँ आम और नारियल के काफ़ी बाग हैं। कपास, गन्ना और केला भी उगाया जाता है। आइए, कुछ लोगों से मिलें जो कलपट्टु के खेतों में काम करते हैं और देखें कि हम उनकी आजीविका के बारे में क्या सीख सकते हैं।

तुलसी

हम सब यहाँ रामलिंगम की ज़मीन पर काम करते हैं। उसके परिवार के पास कलपट्रु में बीस एकड़ धान के खेत हैं। शादी से पहले भी मैं मायके में धान के खेतों में ही मजदूरी करती थी। यहाँ मैं सुबह 8.30 से शाम 4.30 तक काम करती हूँ। रामलिंगम की पत्नी करुथम्मा काम की निगरानी करती है।

साल में कुछ ही मौके ऐसे होते हैं जब मुझे नियमित रूप से मज़ूरी मिलती है। यह उन मौकों में से एक है। मैं धान रोप रही हूँ। जब धान की फ़सल थोड़ी बढ़ जाएगी तो रामलिंगम हमें निराई के लिए और बाद में कटाई के लिए बुलाएगा।

जब मैं कम उम्र की थी तो निराई-कटाई का काम आसानी से कर लेती थी। लेकिन अब जैसे-जैसे उम्र हो रही है मुझे झुककर काम करने और देर तक पानी में पैर डुबोए रहने से तकलीफ़ होती है। रामलिंगम एक दिन का 40 रुपया मजदूरी देता है। मेरे गाँव में मजदूरी के ‘रेट’ से यह थोड़ा कम है। फिर भी मैं मजदूरी के लिए यहीं आती हूँ। रामलिंगम पर मुझे भरोसा है कि काम होने पर वह मुझे ही बुलाएगा। बाकी लोगों की तरह वह आस-पड़ोस के गाँवों में सस्ते मजदूर ढूँढ़ने नहीं जाता।

मेरा पति रमन भी एक मजदूर है। हमारे पास कोई जमीन नहीं है। साल के इन महीनों में वह खेतों में कीड़ों की दवाई छिड़कता है। जब खेतों में कोई काम नहीं मिलता तो उसे पास की खान से पत्थर या नदी से बालू ढोने का काम मिल जाता है। ये पत्थर और बालू पास के शहरों में मकान बनाने के लिए ट्रक से ले जाए जाते हैं। खेत में काम करने के अलावा मैं घर का सारा काम करती हूँ। मैं घर में सबके लिए खाना बनाती हूँ, कपड़े धोती हूँ और सफ़ाई करती हूँ। दूसरी औरतों के साथ जाकर जंगल से लकड़ी भी लाती हूँ। गाँव से करीब एक किलोमीटर दूर ‘बोरवेल’ है जहाँ से पानी लेकर आती हूँ। मेरा पति घर का सामान जैसे साग-सब्जी खरीदने में मेरी मदद करता है।

क्या तुलसी को साल भर कमाई के मौके मिलते हैं? ऊपर दिए गए चित्र के आधार पर बताइए।

हमारी दो बेटियाँ हमारे जीवन की खुशी हैं। दोनों ही स्कूल जाती हैं। पिछले साल एक बेटी बीमार पड़ गई थी तो उसे शहर के अस्पताल ले जाना पड़ा। हमने उसके इलाज के लिए रामलिंगम से उधार लिया था और उस उधार को चुकाने के लिए हमें अपनी गाय बेचनी पड़ी।

  1. तुलसी के काम का विवरण दीजिए। यह रमन के काम से कैसे अलग है?
  2. तुलसी को अपने काम के लिए बहुत कम पैसा मिलता है। आपकी समझ में खेतों में काम करने वाले मज़दूरों को कम पैसे पर काम क्यों करना पड़ता है?
  3. आपके क्षेत्र में या पास के गाँव में कौन-सी फ़सलें उगाई जाती हैं? वहाँ खेतिहर मज़दू किस तरह का काम करते हैं?
  4. अगर तुलसी के पास खेती की जमीन होती तो उसकी कमाई यानी आजीविका के तरीके कैसे अलग होते? चर्चा कीजिए।

जैसा कि आपने तुलसी की कहानी में पढ़ा ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवारों का बहुत सारा समय पानी और जलावन की लकड़ी लाने एवं जानवर चराने में बीतता है। इन कामों से कोई पैसा नहीं मिलता है, लेकिन गरीब परिवारों में ये काम बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। वे मज़दूरी से जो थोड़ा-सा पैसा कमाते हैं उससे गुज़ारा नहीं होता। घर चलाने और ज़िंदगी बसर करने के लिए इन कामों को करना पड़ता है।

हमारे देश के ग्रामीण परिवारों में से करीब 40 प्रतिशत खेतिहर मज़दूर हैं। कुछ के पास जजमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, बाकी तुलसी की तरह भूमिहीन हैं। कई बार जब पूरे साल उन्हें काम नहीं मिल पाता तो मजबूरन काम की खोज में उन्हें दूर-दराज़ के इलाकों में जाना पड़ता है। इस तरह का पलायन कुछ विशेष मौसमों में ही होता है।

शेखर

हमें यह धान अपने घर लेकर जाना है। मेरे परिवार ने अभी-अभी फ़सलों की कटाई पूरी की है। हमारे पास बस दो एकड़ जमीन है। हम अपने खेत का सारा काम खुद ही कर लेते हैं। मैं कई बार कटाई के समय दूसरे छोटे किसानों की मदद ले लेता हूँ और बदले में उनके खेतों में कटाई करवा देता हूँ।

व्यापारी मुझे उधार पर बीज और खाद देता है। इसे चुकाने के लिए मुझे थोड़े कम दामों पर उसे धान बेचना पड़ता है। अगर बाजार में बेचू तो ज़्यादा पैसे मिल जाएँगे। लेकिन मुझे उधार भी तो चुकाना है। व्यापारी ने किसानों को याद दिलाने के लिए अपना एजेंट भेजा है कि जिन किसानों ने उधार लिया है वे उसी को अपना धान बेचें। मुझे अपने खेत से 60 बोरी धान मिलेगा। इनमें से कुछ से मैं अपना उधार चुका दूँगा और बाकी घर में लग जाएगा। लेकिन मेरे हिस्से में जो आता है वह सिर्फ आठ महीने तक ही चल पाता है। इसलिए मुझे और पैसा कमाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए मैं रामलिंगम की चावल की मिल में काम करता हूँ। वहाँ मैं पड़ोसी गाँव के किसानों से धान इकहा करने में उसकी मदद करता हूँ। हमारे पास एक संकर गाय भी है। उसका दूध हम यहीं की सहकारी समिति में बेच देते हैं। इससे रोज के खर्चों के लिए थोड़ा और पैसा मिल जाता है।

कर्ज़ लेने पर

  • शेखर का परिवार क्या काम करता है? आपके विचार से शेखर दूसरे मजजदूरों को अपने खेत पर काम करने के लिए क्यों नहीं लगाता?
  • शेखर शहर के बाजार में अपना धान क्यों नहीं बेच पाता?
  • शेखर की बहन मीना ने भी व्यापारी से उधार लिया था, परंतु वह अपना धान उसको नहीं बेचना चाहती। उसने व्यापारी के एजेंट से कहा कि वह अपना उधार चुका देगी। मीना और व्यापारी के एजेंट के बीच में इसको लेकर क्या बातचीत हुई होगी? दोनों के तर्कों को लिखिए।
  • शेखर और तुलसी के जीवन में क्या समानताएँ हैं और क्या अंतर है? आपके उत्तर के निम्नलिखित आधार हो सकते हैं - उनके पास कितनी ज़मीन है, उनको उधार क्यों लेना पड़ता है, उनकी कमाई के साधन क्या हैं और उन्हें दूसरों की ज़मीन पर काम करने की क्या जरूरत है।

जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कई बार शेखर जैसे किसान जरूरी चीज़ें खरीदने के लिए पैसा कर्ज लेते हैं। अक्सर ये पैसा बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए साहूकार से कर्ज लिया जाता है। अगर बीज अच्छी किस्म के नहीं होते या फ़सल को कीड़ा लग जाता है तो पूरी फ़सल बर्बाद हो सकती है। बारिश पूरी नहीं होने पर भी फ़सल खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति में किसान अपना उधार नहीं चुका पाते। कई बार परिवार चलाने के लिए उन्हें और पैसा कर्ज़ के तौर पर लेना पड़ता है।

जल्दी ही कर्ज इतना बढ़ जाता है कि किसान कितना भी कमा ले, वह उसे चुका नहीं पाता। इस स्थिति में कहते हैं कि किसान कर्ज तले दब गया। पिछले कुछ सालों में यह किसानों की विपदा का मुख्य कारण बन गया है। कई क्षेत्रों में किसानों ने कर्ज के बोझ से दबकर आत्महत्या तक कर ली है।

रामलिंगम और करुथम्मा

जमीन के अलावा रामलिंगम के परिवार के पास एक चावल की मिल है और बीज व कीटनाशक बेचने के लिए एक दुकान है। चावल की मिल में उन्होंने कुछ

रामलिंगम की 20 एकड़ जमीन के एक हिस्से पर रोपी गई धान की फ़सल तुलसी जैसे खेतिहर म.जदूरों की कड़ी मेहनत का नतीजा है

तुलसी और शेखर का विवरण दोबारा पढ़िए। वे बड़े किसान रामलिंगम के बारे में क्या कहते हैं? इसके साथ जो आपने रामलिंगम के बारे में पढ़ा, उसे जोड़ते हुए निम्नलिखित सवालों का जवाब दीजिए -

  • उसके पास कितनी ज्रमीन है?
  • अपनी जमीन पर उगने वाले धान का वह क्या करता है?
  • खेती के अलावा उसकी कमाई के और क्या साधन हैं?

अपना पैसा लगाया और थोड़ा सरकारी बैंक से कर्ज लिया था। वे कलपट्टु और आस-पास के गाँवों से ही धान खरीदते हैं। मिल का चावल आस-पास के शहरों के व्यापारियों को बेचा जाता है। इससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है।

भारत के खेतिहर मज़दूर और किसान

कलपट्टु गाँव में तुलसी की तरह के खेतिहर मजजदूर हैं, शेखर की तरह के छोटे किसान हैं और रामलिंगम जैसे बड़े किसान हैं। भारत में प्रत्येक पाँच ग्रामीण परिवारों में से लगभग दो परिवार खेतिहर मज़दूरों के हैं। ऐसे सभी परिवार अपनी कमाई के लिए दूसरों के खेतों पर निर्भर रहते हैं। इनमें से कई भूमिहीन हैं और कइयों के पास जजमीन के छोटे-छोटे टुकड़े हैं।

शेखर जैसे छोटे किसानों को लें तो उनकी जरूरतों के हिसाब से खेत बहुत ही छोटे पड़ते हैं। भारत के 80 प्रतिशत किसानों की यही हालत है। भारत में केवल 20 प्रतिशत किसान रामलिंगम जैसे बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे किसान गाँव की अधिकतर ज्ञमीन पर खेती करते हैं। उनकी उपज का बहुत बड़ा भाग बाजार में बेचा जाता है। कई बड़े किसानों ने अन्य काम-धंधे भी शुरू कर दिए हैं, जैसे — दुकान चलाना, सूद पर पैसा देना, छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ चलाना इत्यादि।

ऊपर दिए गए आँकड़ों को देखते हुए क्या आप यह कह सकते हैं कि भारत के अधिकतर किसान गरीब हैं? आपकी राय में इस स्थिति को बदलने के लिए क्या किया जा सकता है?

हमने कलपट्टु में होने वाली खेती के बारे में पढ़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ-साथ लोग जंगल की उपज और पशुओं आदि पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण के लिए मध्य भारत के कुछ गाँवों में खेती और जंगल की उपज दोनों ही आजीविका के महत्वपूर्ण साधन हैं। महुआ बीनने, तेंदू के पत्ते इकट्ठा करने, शहद निकालने और इन्हें व्यापारियों को बेचने जैसे काम अतिरिक्त आय में मदद करते हैं। इसी तरह सहकारी समिति को या पास के शहर के लोगों को दूध बेचना भी कई लोगों के लिए आजीविका कमाने का मुख्य साधन है।

समुद्रतटीय इलाकों में हम देखते हैं कि पूरे के पूरे गाँव मछली पकड़ने में लगे हुए हैं। आइए, अरुणा और पारिवेलन के जीवन के बारे में पढ़कर मछली पकड़ने वाले एक परिवार के बारे में थोड़ा और जानें। यह परिवार कलपट्टु के पास पुदुपेट नाम के गाँव में रहता है।

नागालैंड की सीढ़ीनुमा खेती

यह एक गाँव है जिसका नाम चिजामी है। यह नागालैंड के फेक जिले में है। इस गाँव में रहने वाले लोग चखेसंग समुदाय के हैं। वे ‘सीढ़ीनुमा’ खेती करते हैं। इसका मतलब है कि पहाड़ी की ढलाऊ ज्ीीन को छोटे-छोटे सपाट टुकड़ों में बाँटा जाता है और उस जमीन को सीढ़ियों के रूप में बदल दिया जाता है। प्रत्येक सपाट टुकड़े के किनारों को ऊपर उठा देते हैं जिससे पानी भरा रह पाए, यह चावल की खेती के लिए सबसे अच्छा है।

चिजामी के लोगों के पास अपने-अपने खेत हैं, लेकिन वे इकहे होकर एक-दूसरे के खेतों में भी काम करते हैं। वे छः से आठ लोगों का एक समूह बनाते हैं और इकडेे मिलकर पहाड़ के एक हिस्से पर घास-पतवार साफ़ करते हैं। जब दिन का काम खत्म हो जाता है तो सारा समूह इकहे बैठकर खाना खाता है। ऐसा कई दिनों तक चलता रहता है जब तक काम खत्म नहीं हो जाता।

अरुणा और पारिवेलन

पुदुपेट कलपटुटु से ज़्यादा दूर नहीं है। यहाँ लोग मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाते हैं। उनके घर समुद्र के पास होते हैं और वहाँ चारों ओर जाल और ‘कैटामरैन’ (मछुआरों की खास तरह की छोटी नाव) की पंक्तियाँ दिखाई देती हैं। सुबह 7 बजे समुद्र किनारे बड़ी गहमागहमी रहती है। इस समय सारे कैटामरैन मछलियाँ पकड़ कर लौट आते हैं। मछली खरीदने और बेचने के लिए बहुत सारी औरतें इकट्ठी हो जाती हैं।

मेरा पति पारिवेलन, मेरा भाई और जीजा आज बड़ी देर से लौटे। मैं बहुत परेशान हो गई थी। ये हमारे कैटामरैन में इकट्ठे ही समुद्र में जाते हैं। उन्होंने बताया कि आज वे तूफान में फँस गए थे।

आज जो मछलियाँ पकड़ी गईं उनमें से मैंने परिवार के लिए कुछ मछलियाँ एक तरफ उठा कर रख दीं। बाकी मैं नीलाम कर दूँगी। इस नीलामी से जो पैसा मुझे मिलता है वह चार भागों में बँट जाता है। तीन हिस्से उन तीन लोगों में बँट जाते हैं जो मछली पकड़ने जाते हैं, बाकी एक हिस्सा उसे मिलता है जिसकी नाव और जाल वगैरह होते हैं। चूँकि जाल, कैटामरैन और उसका इंजन हमारे हैं तो वह हिस्सा भी हमें ही मिल जाता है। हमने बैंक से उधार लेकर एक इंजन खरीदा है, जो कैटामरैन में लगा हुआ है। इससे ये लोग समुद्र में दूर तक जा पाते हैं और ज़्यादा मछलियाँ मिल जाती हैं।

नीलामी में जो औरतें यहाँ से मछलियाँ खरीदती हैं वे टोकरे भर-भरकर पास के गाँवों में बेचने के लिए ले जाती हैं। कुछ व्यापारी भी हैं जो शहर की दुकानों के लिए मछलियाँ खरीदते हैं। मैं दोपहर 12 बजे तक ही नीलामी का काम निपटा पाती हूँ। शाम को मेरा पति और बाकी रिश्तेदार मिलकर जाल को सुलझाते हैं और उसकी मरम्मत करते हैं। कल सुबह-सुबह दो बजे वे फिर समुद्र की तरफ चल देंगे। हर साल मॉनसून के दौरान करीब चार महीने तक वे समुद्र में नहीं जा पाते क्योंकि यह मछलियों के प्रजनन का समय होता है। इन महीनों में हम व्यापारी से उधार लेकर अपना गुज़ारा चलाते हैं। इस कारण बाद में हमें मजबूरी में उसी व्यापारी को मछली बेचनी पड़ती है और हम खुद खुली नीलामी नहीं कर पाते। वे खाली महीने काटना सबसे मुश्किल होता है। पिछले साल सुनामी के कारण हमारा बड़ा नुकसान हुआ।

स्थानीय बाजार में मछलियाँ बेचती हुई मछुआरिनें

ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधन

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी आय विभिन्न तरीकों से कमाते हैं। कुछ खेती-बाड़ी का काम करते हैं और

  • शेखर और अरुणा दोनों के ही परिवारों को उधार क्यों लेना पड़ता है? आपको उनमें क्या समनाताएँ और क्या अंतर दिखते हैं?
  • क्या आपने सुनामी के बारे में सुना है? यह क्या होता है? इससे अरुणा जैसे परिवारों को क्या नुकसान हुआ होगा?

कुछ अन्य काम करके अपनी आजीविका चलाते हैं। खेती में कई तरह के काम शामिल हैं, जैसेखेत तैयार करना, रोपाई, बुवाई, निराई और कटाई। फ़सल अच्छी हो इसके लिए हम प्रकृति पर निर्भर हैं। इस तरह जीवन ऋतुओं के इर्द-गिर्द ही चलता है। बुवाई और कटाई के समय लोग काफी व्यस्त रहते हैं और दूसरे समय काम का बोझ कम रहता है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रामीण लोग अलग-अलग तरह की फ़सलें उगाते हैं। फिर भी हम उनके जीवन की परिस्थितियों में और उनकी समस्याओं में काफी समानताएँ पाते हैं।

लोग कैसे ज़िंदगी बसर करते हैं और कितना कमा पाते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे जिस जमीन को जोतते हैं वह कैसी है। कई लोग उस ज़मीन पर मज़दूरों के रूप में निर्भर हैं। ज़्यादातर किसान अपनी जजरूरतों को पूरा करने और बाज़ार में बेचने के लिए भी फ़सलें उगाते हैं।

कुछ किसानों को अपनी फ़सल उन व्यापारियों को बेचनी पड़ती है जिनसे वे पैसा उधार लेते हैं। गुजर-बसर करने के लिए कई परिवारों को काम की खातिर उधार लेना पड़ता है या फिर तब लेना पड़ता है जब उनके पास कोई काम नहीं रहता। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ परिवार ऐसे हैं जो बड़ी-बड़ी ज़मीनों, व्यापार और अन्य काम-धंधों पर फल-फूल रहे हैं। फिर भी ज़्यादातर छोटे किसानों, खेतिहर मज़दरों, मछली पकड़ने वाले परिवारों और गाँव में हस्तशिल्प का काम करने वाले लोगों को पूरे साल रोज़गार नहीं मिल पाता।

अभ्यास

  1. आपने संभवतः इस बात पर ध्यान दिया होगा कि कलपट्टु गाँव के लोग खेती के अलावा और भी कई काम करते हैं। उनमें से पाँच कामों की सूची बनाइए।
  2. कलपटुटु में विभिन्न तरह के लोग खेती पर निर्भर हैं। उनकी एक सूची बनाइए। उनमें से सबसे गरीब कौन है और क्यों?
  3. कल्पना कीजिए कि आप एक मछली बेचने वाले परिवार की सदस्य हैं। आपका परिवार यह चर्चा कर रहा है कि इंजन के लिए बैंक से उधार लें कि न लें। आप क्या कहेंगी?
  4. तुलसी जैसे गरीब ग्रामीण मज़दूरों के पास अक्सर अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाओं एवं अन्य साधनों का अभाव होता है। आपने इस किताब की पहली इकाई में असमानता के बारे में पढ़ा। तुलसी और रामलिंगम के बीच का अंतर एक तरह की असमानता ही है। क्या यह एक उचित स्थिति है? आपके विचार में इसके लिए क्या किया जा सकता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
  5. आपके अनुसार सरकार शेखर जैसे किसानों को कर से मुक्ति दिलाने में कैसे मदद कर सकती है? चर्चा कीजिए।
  6. नीचे दी गई तालिका भरते हुए शेखर और रामलिंगम की स्थितियों की तुलना कीजिए-


JEE Syllabus

NEET Syllabus