अध्याय 01 सौरमंडल में पृथ्वी

सूर्यास्त के बाद आकाश को देखना कितना अच्छा लगता है। आसमान में पहले एक या दो चमकते बिंदु ही दिखते हैं, लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ती जाती है। आप उनकी गणना नहीं कर सकते। संपूर्ण आकाश छोटी-छोटी चमकदार वस्तुओं से भर जाता है, जिनमें से कुछ चमकीले होते हैं एवं कुछ धुँधले। ऐसा प्रतीत होता है, मानो आकाश में हीरे जड़े हों। इनमें से कुछ टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। लेकिन अगर आप उनको ध्यान से देखेंगे तो आप पाएँगे कि इनमें से कुछ की टिमटिमाहट अन्य से अलग है। ये बिना किसी टिमटिमाहट के चंद्रमा के समान चमकते हैं।

इन चमकीली वस्तुओं के साथ आप लगभग प्रतिदिन चंद्रमा को भी देखते हैं। यह अलग-अलग समय पर अलग आकार तथा अलग स्थितियों में दिखाई पड़ता है। आप पूर्ण चंद्र को लगभग एक महीने में एक बार देख सकते हैं। यह पूर्ण चंद्रमा वाली रात या पूर्णिमा होती है। पंद्रह दिन के बाद आप इसे नहीं देख सकते। यह नये चंद्रमा की रात्रि या अमावस्या होती है। ऐसी रात में अगर आसमान साफ़ है तो आप आसमान का अवलोकन अच्छी तरह से कर सकते हैं।

क्या आपको इस बात पर आश्चर्य नहीं होता है कि हम दिन के समय चंद्रमा एवं इन सभी छोटी चमकीली वस्तुओं को क्यों नहीं देख पाते हैं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि सूर्य के अत्यधिक तेज़ प्रकाश के कारण रात के समय चमकने वाली वस्तुओं को हम दिन में नहीं देख पाते हैं।

सूर्य, चंद्रमा तथा वे सभी वस्तुएँ जो रात के समय आसमान में चमकती हैं, खगोलीय पिंड कहलाती हैं।

कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं। ये गैसों से बने होते हैं। इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं। इन खगोलीय पिंडों को तारा कहते हैं। सूर्य भी एक तारा है।

आओ कुछ करके सीखें

आपको आवश्यकता होगी: एक टॉर्च, एक सादा कागज़, पेंसिल तथा एक सुई।

चरण :

1. कागज़ के मध्य में टॉर्च को इस प्रकार रखें कि उसका काँच कागज़ से सटा रहे।

2. अब टॉर्च के काँच के चारों ओर एक वृत्त खींचें।

3. कागज़ पर वृत्त के क्षेत्र में सुई से छोटे-छोटे छेद करें।

4. अब कागज़ के छिद्रित वृत्तीय भाग को काँच पर सामने की तरफ़ रखें तथा टॉर्च के चारों ओर कागज़ को लपेटकर रबरबैंड लगा दें।

5. ध्यान रखें कि टॉर्च की स्विच कागज़ के बाहर रहे।

6. अँधेरे कमरे में, एक सादी दीवार की ओर मुँह करके इस टॉर्च को लेकर कुछ दूरी पर खड़े हो जाएँ। दूसरी सभी बत्तियों को बुझा दें। अब टॉर्च की रोशनी को दीवार पर डालें। आप दीवार पर प्रकाश के अनेक छोटे बिंदुओं को देखेंगे, बिलकुल वैसे ही, जैसे रात के समय आसमान में तारे चमकते हैं।

7. अब कमरे की सभी बत्तियों को जला दें। प्रकाश के सभी बिंदु लगभग अदृश्य हो जाएँगे।

8. आप इसकी तुलना उस अवस्था से कर सकते हैं, जब रात्रि के समय आसमान में चमकने वाले तारे सूर्योदय के बाद अदृश्य हो जाते हैं।

रात के समय चमकते हुए अनगिनत तारे सूर्य के समान ही हैं। लेकिन हमसे बहुत अधिक दूर होने के कारण हम लोग उनकी ऊष्मा या प्रकाश को महसूस नहीं करते हैं तथा वे अत्यंत छोटे दिखाई पड़ते हैं।

आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि कुछ दूरी से देखने पर सभी वस्तुएँ छोटी दिखाई पड़ती हैं। अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ रहा हवाई जहाज कितना छोटा दिखाई देता है!

रात्रि में आसमान की ओर देखते समय आप तारों के विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गई विविध आकृतियों को देख सकते हैं। ये नक्ष्रमंडल कहलाते हैं। अर्सा मेजर या बिग बीयर इसी प्रकार का एक नक्षत्रमंडल है। बहुत आसानी से पहचान में आने वाला नक्षत्रमंडल है, सप्तॠषि (सप्त-सात, ॠषि-संत)। यह सात तारों का समूह है, जो कि नक्षत्रमंडल अर्सा मेजर का भाग है (चित्र 1.1)। अपने परिवार या पड़ोस में किसी बड़े व्यक्ति से कहिए कि वह आपको आसमान में और अधिक तारों, ग्रहों तथा नक्षत्रमंडलों को दिखाएँ।

चित्र 1.1: सप्तॠषि एवं ध्रुव तारा

प्राचीन समय में, लोग रात्रि में दिशा का निर्धारण तारों की सहायता से करते थे। उत्तरी तारा उत्तर दिशा को बताता है। इसे ध्रुव तारा भी कहा जाता है। यह आसमान में हमेशा एक ही स्थान पर रहता है। हम सप्तॠषि की सहायता से ध्रुव तारे की स्थिति को जान सकते हैं। चित्र 1.1 में आप देखेंगे कि यदि सप्तॠषि मंडल के संकेतक तारों को आपस में मिलाते हुए एक काल्पनिक रेखा खींची जाए एवं उसे आगे की ओर बढ़ाया जाए तो यह ध्रुव तारे की ओर इंगित करेगी।

कुछ रोचक तथ्य

बृहस्पति, शानि तथा यूरेनस के चारों ओर छल्ले हैं। ये छल्ले विभिन्न पदार्थों के असंख्य छोटे-छोटे पिंडों से बनी पट्टियाँ हैं। पृथ्वी से इन छल्लों को शक्तिशाली दूखीन की सहायता से देखा जा सकता है।

कुछ खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती है। वे तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। ऐसे पिंड ग्रह कहलाते हैं। ग्रह जिसे अंग्रेजी में प्लेनेट (Planet) कहते हैं ग्रीक भाषा के प्लेनेटाइ (Planetai) शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है परिभ्रमक अर्थात् चारों ओर घूमने वाले। पृथ्वी, जिस पर हम रहते हैं, एक ग्रह है। यह अपना संपूर्ण प्रकाश एवं ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है, जो पृथ्वी के सबसे नज़दीक का तारा है। पृथ्वी को बहुत अधिक दूरी से, जैसे चंद्रमा से देखने पर, यह चंद्रमा की तरह चमकती हुई प्रतीत होगी।


आसमान में दिखने वाला चंद्रमा एक उपग्रह है। यह हमारी पृथ्वी का सहचर है तथा इसके चारों ओर चक्कर लगाता है। हमारी पृथ्वी के समान, सात अन्य ग्रह हैं जो सूर्य से प्रकाश एवं ऊष्मा प्राप्त करते हैं। उनमें से कुछ के पास अपने चंद्रमा भी हैं।

सौरमंडल

सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं। उसे हम सौर परिवार का नाम देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है।

क्या आप जानते हैं?

पौराणिक रोमन कहानियों में ‘सोल’ सूर्य देवता को कहा जाता है। ‘सौर’ शब्द का अर्थ है, सूर्य से संबंधित। इसीलिए सूर्य के परिवार को ‘सौरमंडल’ (Solar System) कहा जाता है। सौर शब्द का उपयोग करते हुए और अधिक शब्दों को लिखें।

सूर्य

सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गैसों से बना है। इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बाँधे रखता है। सूर्य, सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है। लेकिन हम इसकी अत्यधिक तेज़ ऊष्मा को महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि सबसे नज़दीक का तारा होने के बावजूद यह हमसे बहुत दूर है। सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है।

शब्द की उत्पत्ति

ऐसे बहुत से शब्द जिनका उपयोग हम एक भाषा में करते हैं, अक्सर वे दूसरी भाषाओं से लिए गए शब्द हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ज्योग्राफ़ी एक अंग्रेज़ी शब्द है। यह ग्रीक भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ है, पृथ्वी का विवरण। यह दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है, जिनमें ‘ge’ शब्द का अर्थ है पृथ्वी एवं ग्राफिया graphia का अर्थ है, लिखना। आइए पृथ्वी के संबंध में और अधिक जानें।

ग्रह

हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार, वे हैं: बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्च्यून।

सूर्य से उनकी दूरी के अनुसार अंग्रेजी में ग्रहों के नाम याद रखने का आसान तरीका है:

My Very Efficient Mother Just Served Us Nuts.

क्या आप जानते हैं?

रात में आसमान को देखकर मनुष्य हमेशा से मोहित हुआ है। खगोलीय पिंडों एवं उनकी गति के संबंध में अध्ययन करने वालों को खगोलशास्त्री कहते हैं। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। उन्होंने कहा था कि सभी ग्रह तथा चन्द्रमा परावर्तित सूर्यप्रकाश के कारण चमकते हैं। आज विश्व के सभी भागों में खगोलविद ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने में लगे हैं।

सौरमंडल के सभी आठ ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं। ये रास्ते दीर्घवृत्ताकार में फैले हुए हैं। ये कक्षा कहलाते हैं। बुध सूर्य के सबसे नज़दीक है। अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में इसे केवल 88 दिन लगते हैं। शुक्र को पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह माना जाता है, क्योंकि इसका आकार एवं आकृति लगभग पृथ्वी के ही समान है।

अभी तक प्लूटो भी एक ग्रह माना जाता था। परन्तु अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन ने अपनी बैठक (अगस्त 2006) में यह निर्णय लिया कि कुछ समय पहले खोजे गए अन्य खगोलीय पिण्ड ( $2003 \mathrm{UB}_{313}$, सिरस) तथा प्लूटो ‘बौने ग्रह’ कहे जा सकते हैं।

पृथ्वी

सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है। आकार में, यह पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। यह ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है। यही कारण है कि इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है। भू-आभ का अर्थ है, पृथ्वी के समान आकार।

जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ संभवतः केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती हैं। पृथ्वी न तो अधिक गर्म है और न ही अधिक ठंडी। यहाँ पानी एवं वायु उपस्थित है, जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। वायु में जीवन के लिए आवश्यक गैसें, जैसे ऑक्सीजन मौजूद है। इन्हीं कारणों से, पृथ्वी सौरमंडल का सबसे अद्भुत ग्रह है।

क्या आप जानते हैं?

प्रकाश की गति लगभग $3,00,000$ किमी./प्रति सेकेंड है। इस गति के बावजूद सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट का समय लगता है।

अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है, क्योंकि इसकी दो-तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है। इसलिए इसे, नीला ग्रह कहा जाता है।

चंद्रमा

हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है, चंद्रमा। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक-चौथाई है। यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है।

चित्र 1.3 : अंतंरिक्ष से लिया गया चंद्रमा का चित्र

यह हमसे लगभग $3,84,400$ किलोमीटर दूर है। अब आप पृथ्वी से सूर्य एवं चंद्रमा की दूरियों की तुलना कर सकते हैं।

रोचक तथ्य

नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 20 जुलाई 1969 को सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखा। मालूम करो कि क्या कोई भारतीय चंद्रमा पर गया है?


उपग्रह एक खगोलीय पिंड है, जो ग्रहों के चारों ओर उसी प्रकार चक्कर लगाता है, जिस प्रकार ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

मानव-निर्मित उपग्रह एक कृत्रिम पिंड है। यह वैज्ञानिकों के द्वारा बनाया गया है, जिसका उपयोग ब्रह्मांड के बारे में जानकारी प्राप्त करने एवं पृथ्वी पर संचार माध्यम के लिए किया जाता है। इसे रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है एवं पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया जाता है।

अंतरिक्ष में उपस्थित कुछ भारतीय उपग्रह इनसेट, आई.आर.एस., एडूसैट इत्यादि हैं।

? जीव एवं पौधों को जीवित रहने तथा विकास करने के लिए किन तत्त्वों की आवश्यक्ता होती है?

चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हमें चंद्रमा का केवल एक ही

चंद्रमा की परिस्थितियाँ जीवन के लिए अनुकूल नहीं हैं। इसकी सतह पर पर्वत, मैदान एवं गड्डे हैं जो चंद्रमा की सतह पर छाया बनाते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर इनकी छाया को देखा जा सकता है।

क्षुद्र ग्रह

तारों, ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त, असंख्य छोटे पिंड भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन पिंडों को क्षुद्र ग्रह कहते हैं। ये मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं (चित्र 1.2)। वैज्ञानिकों के अनुसार क्षुद्र ग्रह, ग्रह के ही भाग होते हैं, जो कि बहुत वर्ष पहले विस्फोट के बाद ग्रहों से टूटकर अलग हो गए।

चित्र 1.5 : क्षुद्र ग्रह

उल्कापिंड

सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्कापिंड कहते हैं। कभी-कभी ये उल्कापिंड पृथ्वी के इतने नजदीक आ जाते हैं कि इनकी प्रवृत्ति पृथ्वी पर गिरने की होती है। इस प्रक्रिया के दौरान वायु के साथ घर्षण होने के कारण ये गर्म होकर जल जाते हैं। फलस्वरूप, चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता है। कभी-कभी कोई उल्का पूरी तरह जले बिना पृथ्वी पर गिरती है जिससे धरातल पर गड्ढे बन जाते हैं।

चित्र 1.6 : आकाश गंगा भाग दिखाई पड़ता है।

क्या आपने तारों वाले, खुले आकाश में, एक ओर से दूसरी ओर तक फैली चौड़ी सफ़ेद पट्टी की तरह, एक चमकदार रास्ते को देखा है? यह लाखों तारों का समूह है। यह पट्टी आकाशगंगा (मिल्की वे) है। हमारा सौरमंडल इस आकाशगंगा का एक भाग है। प्राचीन भारत में इसकी कल्पना आकाश में प्रकाश की एक बहती नदी से की गई थी। इस प्रकार इसका नाम आकाशगंगा पड़ा था। आकाशगंगा करोड़ों तारों, बादलों तथा गैसों की एक प्रणाली है। इस प्रकार की लाखों आकाशगंगाएँ मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करती हैं। ब्रह्मांड की विशालता की कल्पना करना अत्यधिक कठिन है। वैज्ञानिक अभी भी इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करने में जुटे हैं। इसके आकार के संबंध में हमें कोई जानकारी नहीं है, लेकिन फिर भी हम जानते हैं कि हम सभी इसी ब्रह्मांड का हिस्सा हैं।

अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) ग्रह और तारे में क्या अंतर है?
(ii) सौरमंडल से आप क्या समझते हैं?
(iii) सूर्य से उनकी दूरी के अनुसार सभी ग्रहों के नाम लिखें।
(iv) पृथ्वी को अद्भुत ग्रह क्यों कहा जाता है?
(v) हम हमेशा चंद्रमा के एक ही भाग को क्यों देख पाते हैं?
(vi) ब्रह्मांड क्या है?

2. सही उत्तर चिह्नित ( $\checkmark$ ) कीजिए।

(i) किस ग्रह को पृथ्वी के जुड़वाँ ग्रह के नाम से जाना जाता है?

क. बृहस्पति
ख. शनि
ग. शुक्र

(ii) सूर्य से तीसरा सबसे नजदीक ग्रह कौन-सा है?

क. शुक्र
ख. पृथ्वी
ग. बुध

(iii) सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर किस प्रकार के पथ पर चक्कर लगाते हैं-

क. वृत्तीय पथ पर
ख. आयताकार पथ पर
ग. दीर्घवृत्ताकार

(iv) ध्रुवतारे से किस दिशा का ज्ञान होता है-

क. दक्षिण
ख. उत्तर
ग. पूर्व

(v) क्षुद्र ग्रह किन कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं-

क. शनि एवं बृहस्पति
ख. मंगल एवं बृहस्पति
ग. पृथ्वी एवं मंगल

3. खाली स्थान भरें।

(i) ________ का एक समूह जो विभिन्न प्रतिरूपों का निर्माण करता है, उसे ________ कहते हैं।
(ii) तारों की एक बहुत बड़ी प्रणाली को ________ कहा जाता है।
(iv) ________ पृथ्वी के सबसे करीब है।
(v) ________ सूर्य से तीसरा सबसे नजदीक ग्रह है।
(vi) ग्रहों के पास अपनी ________ तथा ________ नहीं होती है।

आओ कुछ करें

1. सौरमंडल का एक चार्ट तैयार करें।

2. छुट्टियों में एक तारामंडल को जाकर देखें तथा वहाँ के अपने अनुभव को कक्षा में बताएँ।

3. पृथ्वी एवं सौरमंडल पर एक क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन करें।

आओ खेलें

1. हिंदी में सूर्य को सूरज भी कहा जाता है। हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में सूर्य के नामों का पता लगाएँ। अपने मित्र, शिक्षक या पड़ोसी की मदद लें।

2. आप मानव सौरमंडल का निर्माण करके मनोरंजन के लिए यह खेल खेल सकते हैं।

प्रथम चरणः आपकी कक्षा के सभी छात्र इसे खेल सकते हैं। एक बड़े हाल में या खेल के मैदान पर एकत्र हो जाएँ।

दूसरा चरणः अब मैदान में 8 वृत्त खींचें जैसा कि आगे चित्र में दिया गया है। 5 मीटर लंबी रस्सी लेकर उस पर चॉक या स्याही से प्रत्येक आधे मीटर पर एक चिह्न लगाएँ। केंद्र को चिह्नित करने के लिए वहाँ एक छोटी कील को रख दें। अब केंद्र में खड़े होकर रस्सी के एक सिरे को पकड़ें।

अपने मित्र से कहें कि वह आधा मीटर वाले चिह्न पर चॉक एवं रस्सी को एक साथ पकड़कर भूमि से लगाकर केंद्र के चारों ओर घूमें। इस प्रकार आप एक वृत्त खींच लेते हैं, जैसे कागज़ पर परकार एवं पेंसिल की मदद से खींचते हैं। इसी प्रकार अन्य वृत्त भी बनाएँ।

तीसरा चरणः 10 प्लेकार्ड तैयार करें। उनका नाम सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस एवं नेप्च्यून रखें।

चौथा चरणः 10 छात्रों को चुनें तथा नीचे चित्र के अनुसार खड़ा कर दें एवं प्रत्येक के हाथ में एक प्लेकार्ड दे दें।

प्लेकार्ड वितरण का क्रम

सबसे लंबा- सूर्य; सबसे छोटा- चंद्रमा; बुध, मंगल, शुक्र एवं पृथ्वी (लगभग समान लंबाई वाले); नेप्च्यून, यूरेनस, शनि तथा बृहस्पति पहले के चार ग्रहों से लंबे लेकिन सूर्य से छोटे।

अब सभी छात्रों को अपने-अपने प्लेकार्ड पकड़कर अपने स्थान पर खड़ा रहने को कहें। चंद्रमा वाले प्लेकार्ड पकड़े हुए छात्र को पृथ्वी वाला प्लेकार्ड पकड़े छात्र का हाथ पकड़े रहने को कहें। अब आपका सौरमंडल तैयार है।

अब प्रत्येक छात्र को धीरे-धीरे वामावर्त बाईं ओर की दिशा में घूमने को कहें। आपकी कक्षा (Class) एक छोटे मानव-निर्मित सौरमंडल में परिवर्तित हो गई है। अपनी कक्षा में घूमते समय आप अपने स्थान पर भी घूमिए। दक्षिणावर्त दिशा में घूमने वाले शुक्र एवं यूरेनस को छोड़कर शेष सभी को वामावर्त दिशा में घूमना चाहिए।



sathee Ask SATHEE

Welcome to SATHEE !
Select from 'Menu' to explore our services, or ask SATHEE to get started. Let's embark on this journey of growth together! 🌐📚🚀🎓

I'm relatively new and can sometimes make mistakes.
If you notice any error, such as an incorrect solution, please use the thumbs down icon to aid my learning.
To begin your journey now, click on

Please select your preferred language
कृपया अपनी पसंदीदा भाषा चुनें