अध्याय 03 पृथ्वी की गतियाँ

जैसा कि आप जानते हैं, पृथ्वी की गति दो प्रकार की है- घूर्णन एवं परिक्रमण। पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है, जो इसके कक्षीय सतह से $661_{2}^{\circ}$ का कोण बनाती है। वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है, उसे कक्षीय समतल कहते हैं। पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार गोले के समान है, इसलिए एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है (चित्र 3.2)। सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है, जबकि दूसरा भाग जो सूर्य से दूर होता है वहाँ रात होती है। ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं। यह वृत्त अक्ष के साथ नहीं मिलता है जैसा कि आप चित्र 3.2 में देख सकते हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है। घूर्णन के समय काल को पृथ्वी दिन कहा जाता है। यह पृथ्वी की दैनिक गति है।

आओ कुछ करके सीखें

पृथ्वी को दर्शाने के लिए एक गेंद लें तथा सूर्य को दर्शाने के लिए एक जलती हुई मोमबती। गेंद पर शहर $\mathrm{X}$ को दिखाने के लिए निशान लगाइए। अब गेंद को इस प्रकार रखें कि शहर $\mathrm{X}$ में अंधेरा हो। गेंद को अब बाएँ से दाएँ घुमाइए। जैसे ही आप गेंद को थोड़ा घुमाते हैं तो शहर में सूर्योदय होगा। अगर गेंद को आप घुमाना जारी रखते हैं बिंदु $\mathrm{X}$ धीरे-धीरे सूर्य से दूर चला जाता है। यह सूर्यास्त है।

क्या आप जनते हैं?

प्राचीन भारतीय खगोलशस्त्री आर्यभट्ट ने बताया था कि पृथ्वी गोल है और अपने अक्ष पर घूर्णन (घूमती) करती है।

अगर पृथ्वी घूर्णन नहीं करे तो क्या होगा? सूर्य के तरफ वाले पृथ्वी के भाग में हमेशा दिन होगा जिसके कारण उस भाग में गर्मी लगातार पड़ेगी। दूसरे भाग में हमेशा अँधेरा रहेगा एवं पूरे समय ठंड पड़ेगी। इस तरह की अवस्था में जीवन संभव नहीं हो पाएगा।

पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों ओर कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है। पृथ्वी एक वर्ष या $365 \frac{1}{4}$ दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हम लोग एक वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं।

चित्र 3.3 : पृथ्वी का परिक्रमण एवं ॠतुएँ

चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानी 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। ऐसा वर्ष जिसमें 366 दिन होते हैं उसे लीप वर्ष कहा जाता है। पता लगाइए कि अगला लीप वर्ष कब होगा?

चित्र 3.3 से स्पष्ट है कि पृथ्वी दीर्घवृत्ताकार पथ पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।

ध्यान दीजिए कि पृथ्वी पूरे कक्ष में एक ही दिशा में झुकी हुई है।

सामान्यतः एक वर्ष को गर्मी, सर्दी, वसंत एवं शरद् ऋतुओं में बाँटा जाता है। ॠतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।

आओ कुछ करके सीखें

क्या आप जानते हैं कि एक दीर्घवृत्त कैसे बनाया जाता है? एक पेंसिल, दो पिनें तथा एक धागे का छल्ला लीजिए। अब इन पिनों को कागज पर स्थिर कर दें जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अब इन दोनों पिनों को घेरते हुए धागे के छल्ले को कागज पर रखें। अब पेंसिल से धागे को कसकर तानते हुए पेंसिल को धागे के साथ घुमाते जाइए। अब जो आकृति कागज पर बनेगी वह दीर्घवृत्त होगी।

चित्र 3.3 में आप देखेंगे कि 21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका है। सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में ऊष्मा अधिक प्राप्त होती है। ध्रुवों के पास वाले क्षेत्रों में कम ऊष्मा प्राप्त होती है, क्योंकि वहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं। उत्तर ध्रुव सूर्य की तरफ झुका होता है तथा उत्तरी ध्रुव रेखा के बाद वाले भागों पर लगभग 6 महीने तक लगातार दिन रहता है। चूँकि, उत्तरी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है, इसलिए विषुवत् वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है। 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तर अयनांत कहते हैं।

22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव के सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। चूँकि, सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत् पड़ती हैं इसलिए दक्षिणी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता है। इसलिए, दक्षिणी गोलार्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातों वाली ग्रीष्म ॠतु होती है। इसके ठीक विपरीत स्थिति उत्तरी गोलार्ध में होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि आस्ट्रेलिया में ग्रीष्म ॠतु में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है?

21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत् वृत्त पर सीधी पड़ती हैं। इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की ओर नहीं झुका होता है, इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं। इसे विषुव कहा जाता है।

23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद् ॠतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है। 21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है जब उत्तरी गोलार्ध में वसंत ॠतु तथा दक्षिणी गोलार्ध में शरद् ऋतु होती है।

इस प्रकार, स्पष्ट है कि पृथ्वी के घूर्णन एवं परिक्रमण के कारण दिन एवं रात तथा ऋतुओं में परिवर्तन होता है।

आओ कुछ करके सीखें

एक ही दिशा में पृथ्वी के झुकाव को समझने के लिए मैदान पर एक बहुत बड़ा दीर्घवृत्त बनाएँ तथा छड़ी में लगा हुआ एक झंडा लें। दोर्घवृत्त वाली रेखा पर कहीं भी खड़े हो जाएँ। वहाँ से दूर स्थित किसी वृक्ष के सबसे ऊपरी हिस्से के किसी बिंदु की ओर झंडे से दिखाएँ। अब झंडे को उसी स्थिर बिंदु की तरफ रखते हुए दीर्घवृत्त पर चलें। इसी प्रकार पृथ्वी का अक्ष हमेशा एक ही स्थिति में झुका हुआ रहता है। पृथ्वी के परिक्रमण तथा पृथ्वी के अक्ष के निश्चित दिशा में झुके होने के कारण ॠतु परिवर्तन होता है।

अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कोण क्या है?
(ii) घूर्णन एवं परिक्रमण को परिभाषित करें।
(iii) लीप वर्ष क्या है?
(iv) उत्तर एवं दक्षिण अयनांतों में अंतर बताइए।
(v) विषुव क्या है?
(vi) दक्षिणी गोलार्ध में उत्तरी गोलार्ध की अपेक्षा उत्तर एवं दक्षिण का अयनांत अलग-अलग समय में होता है, क्यों?
(vi) ध्रुवों पर लगभग 6 महीने का दिन एवं 6 महीने की रात होती है, क्यों?

2. सही उत्तर चिह्नित ( $\checkmark$ ) कीजिए।

(i) पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर की गति को कहा जाता है-

क. घूर्णन
ख. परिक्रमण
ग. झुकाव

(ii) सूर्य की सीधी किरणें विषुवत् वृत्त पर किस दिन पड़ती हैं-

क. 21 मार्च
ख. 21 जून
ग. 22 दिसंबर

(iii) गर्मी में क्रिसमस का पर्व कहाँ मनाया जाता है-

क. जापान
ख. भारत
ग. ऑस्ट्रेलिया

(iv) ऋतुओं में परिवर्तन पृथ्वी की किस गति के कारण होता है

क. घूर्णन
ख. परिक्रमण
ग. गुरुत्वाकर्षण

3. खाली स्थान भरें।

(i) एक लीप वर्ष में दिनों की संख्या ______________ होती है।
(ii) पृथ्वी की प्रतिदिन की गति को ______________ कहते हैं।
(iii) पृथ्वी सूर्य के चारों ओर ______________ कक्षा में घूमती है।
(iv) 21 जून को सूर्य की किरणें ______________ रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
(v) ______________ ॠतु में दिन छोटे होते हैं।

आओ कुछ करें

1. पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव को दर्शाने के लिए एक चित्र बनाइए।

2. प्रत्येक महीने की 21 तारीख को होने वाले सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समयों को स्थानीय समाचारपत्र की सहायता से लिखिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए :

$\quad$ अ. किस महीने के दिन सबसे छोटे हैं?

$\quad$ ब. किन महीनों में दिन एवं रात लगभग बराबर होते हैं?

आओ खेलें

1. धागे के एक ही छल्ले की मदद से दो पिनों को नजदीक एवं दूर रखकर विभिन्न आकारों के दीर्घवृत्त बनाएँ। ध्यान दें कि दीर्घवृत्त कब वृत्त बन जाता है।

2. किसी दिन धूप के समय 1 मीटर लंबी तथा सीधी एक छड़ी लें। मैदान पर साफ एवं समतल स्थान को चुनें। इस छड़ी को मैदान पर वहाँ खड़ा कर दें जहाँ इसकी छाया स्पष्ट बनती हो।

पहला चरण: छाया के सबसे ऊपरी बिंदु को पत्थर या किसी दूसरी वस्तु से चिह्नित करें। पहला छाया चिह्न हमेशा पश्चिम की तरफ होता है। 15 मिनट के बाद देखें तथा पुनः छाया के ऊपरी बिंदु को चिह्नित करें। उस समय तक यह कुछ सेमी. दूर चली गई होगी। अब दोनों बिंदुओं को मिला दें, इस प्रकार आपको जो रेखा प्राप्त होगी वह पूर्व-पश्चिम रेखा होगी।

दूसरा चरण: अब इस प्रकार खड़े हो जाएँ कि पहला चिह्न आपके बाईं तरफ तथा दूसरा चिह्न आपके दाईं तरफ रहे। अब आपका मुँह उत्तर दिशा की तरफ है। यह तथ्य पृथ्वी के किसी भी स्थान पर सत्य है, क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है।

एक अन्य तरीका और भी अधिक सही होता है, लेकिन उसके लिए अधिक समय की आवश्यकता पड़ती है। अपनी छड़ी को एक जगह रखकर सुबह की पहली छाया को चिह्नित कर दें। एक तार की मदद से छड़ी के चारों ओर एक वृत्तखंड बना दें। दोपहर के समय छाया छोटी या खत्म हो जाएगी। दोपहर के बाद यह फिर से बढ़ने लगेगी तथा वृत्तखंड के एक बिंदु को छूने लगेगी, उस बिंदु को चिह्नित कर दें। सही पूर्व-पश्चिम रेखा प्राप्त करने के लिए अब उन दोनों बिंदुओं से होकर गुजरने वाली एक रेखा खींचें।



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