अध्याय 03 मैं हूँ रोबोट

मैं एक यंत्र मानव हूँ। आम भाषा में लोग मुझे ‘रोबोट’ कहते हैं। मुझे देखकर आपको हैरानी होगी कि मेरा रूप, रंग, आकार और शरीर तुमसे नहीं मिलता, फिर भी मैं तुम्हारे जैसे बहुत से कार्य कर सकता हूँ; और वे भी, जो तुम नहों कर सकते।

मेरा शरीर हाड़-माँस का नहीं, बल्कि लोहा-इस्पात और प्लास्टिक से बना है। मेरी भी टाँग, भुजा और अँगुलियाँ हैं। लेकिन मेरे ये सभी अंग धातुओं से बने हैं। निर्जीव होते हुए भी मेरे सब अंग तुम्हारी ही तरह काम करते हैं। मैं चल सकता हूँ, उछल सकता हूँ और कूद भी सकता हूँ। तुम्हारी तरह अपने हाथों और अँगुलियों से मैं मशीन के पुर्जे फिट कर सकता हूँ, बोझा उठा सकता हूँ और न जाने कितने काम कर सकता हूँ।

तुम्हरे शरीर में शिराओं और धमनियों का जाल बिछा हुआ है। उनमें रक्त का प्रवाह होता रहता है। इसी रक्त से तुम्हें शक्ति मिलती है। लेकिन मेरे शरीर में तारों का जाल बिछा हुआ है और इन तारों में खून की जगह विद्युत धारा बहती है। यही विद्युत धारा मुझे काम करने की शक्ति देती है।

तुम सोचते होंगे कि मैं निर्जीव पुतला ये सब काम कैसे करता हूँ। काम करने के लिए मेरे पास मस्तिष्क है लेकिन तुम्हारे मस्तिष्क से बिलकुल अलग। मेरा मस्तिष्क कंप्यूटर है। जो भी मुझे करना होता है उसके लिए मुझे कंप्यूटर आदेश देता है। उसी आदेश के अनुसार मैं काम करता हूँ।

कंप्यूटर की स्मृति में वह सब संचित रहता है जो मुझे करना होता है।

तुम शायद विश्वास नहीं करोगे कि मैं ‘देख’ सकता हूँ, ‘सुन’ सकता हूँ, ‘बोल’ सकता हूँ और छूकर अनुभव भी कर सकता हूँ। देखने के लिए मेरे पास आँखें नहीं हैं बल्कि मेरे शरीर में कैमरे लगे हैं। मेरे कान तुम्हारे कानों से बिलकुल भिन्न हैं। मेरे शरीर में लगा माइक्रोफ़ोन ही सुनने का काम करता है। बोलने के लिए मैं गले और जीभ का सहारा नहीं लेता। मेरे शरीर में लगा लाउडस्पीकर बोलने का काम करता है। छूने का बोध मुझे विशेष प्रकार के स्पर्श संवेदियों द्वारा होता है। कुछ भी हो, हूँ तो मैं तुम्हारा ही बनाया हुआ मशीनी मानव। दरअसल मैं तुम्हारा सेवक हूँ। लेकिन मेरे जैसा सेवक तुम्हें कहीं मिल नहीं सकता। मैं भूखा, प्यासा, बिना कुछ खाए-पीए, सर्दी और गरमी में बिना थके और बिना ऊबे अकेला ही काम करता रहता हूँ। तुम जब तक चाहो मुझसे काम ले सकते हो। काम करवाने के लिए मुझे बर्फ़ीले ठंडक में भेज दो या पसीना लाने वाली तेज़ गर्मी में, मैं दोनों जगह एक जैसी गति से काम कर सकता हूँ। इतना ही नहीं मुझसे तुम किसी गंदे, विषैले और विषम वातावरण में काम ले सकते हो। मैं बिना चूँ-चपर किए तुम्हारा काम करता रहूँगा। मैं तो तुम्हारा ऐसा आज्ञाकारी सेवक हूँ जो बिना हिचक और विरोध के काम करता है। मैं अकेला ही बीस-पच्चीस मज़दूरों के बराबर काम कर सकता हूँ।

अब मैं तुम्हें उन कामों के विषय में बताता हूँ जो कोई भी हाड़-माँस से बना मज़दूर नहीं कर सकता, लेकिन मैं कर सकता हूँ। मैं सुलगती हुई भट्टी में हाथ डालकर लोहे की तपती हुई लाल सलाखों को अपने हाथ से पकड़ सकता हूँ।

ऐसा करने पर मेरा हाथ नहीं जलता। यदि किसी भवन में आग लग जाए तो मैं बिना डरे और घबराए आग बुझाने के लिए उस भवन में प्रवेश कर सकता हूँ। वहाँ फँसे लोगों की जान बचा सकता हूँ। मुझे कितने ही गहरे समुद्र में डुबा दो, उसकी तलहटी पर पहुँच कर तुम्हारी किसी भी खोई हुई वस्तु को ढूँढ कर ला सकता हूँ। कुछ वर्ष पहले तुमने मेरी ऐसी ही बहादुरी की कहानी पढ़ी भी होगी। जब ‘कनिष्क’ नामक विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर सागर में डूब गया था, तो वह मैं ही था, जो उसके मलवे को समुद्र की तलहटी से बाहर निकाल कर लाया था।

मनुष्य अपनी बुद्धि के बूते पर चंद्रमा की सतह पर जा पहुँचा है। मैं ही उससे पहले चंद्रमा की सतह पर जाकर वहाँ की मिट्टी खोद कर लाया था। चंद्रमा तो चंद्रमा, मैं तो मंगल ग्रह पर भी जा चुका हूँ। वाइकिंग प्रोब में, जो मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए अमेरिका ने भेजा था, उसमें मैं ही था। मैंने ही मंगल ग्रह की सतह पर जाकर वहाँ की लाल मिट्टी खोदी थी और उसका परीक्षण करके पता लगाया था कि मंगल ग्रह पर कोई जीवन नहीं है।

यह तो ठीक है कि मैं चल सकता हूँ, हाथों से काम कर सकता हूँ, देख सकता हूँ और वस्तुओं को छू सकता हूँ, लेकिन अभी मैं गंध का अनुभव नहीं कर पाता हूँ। यदि तुम चाहो कि मैं बगीचे से फूल तोड़ लाऊँ तो यह काम मैं कर तो सकता हूँ, लेकिन कौन-सा फूल, गुलाब का या गेंदे का, यह मैं नहीं चुन सकता। मेरी अँगुलियों में और हाथों में कई प्रकार की गतियाँ हैं लेकिन अभी तुम्हारे हाथों की अँगुलियों की गतियों से कम हैं।

चाहे कुछ भी हो मैं तुम्हारे द्वारा बनाया तुम्हारा ही सेवक हूँ। आने वाले कुछ वर्षों में, मैं तुम्हारे काम का बहुत बोझ कम कर दूँगा। मेरी सहायता से तुम्हें सप्ताह में चालीस घंटे काम नहीं करना पड़ेगा। तुम्हारा काम करने का समय मैं कम कर दूँगा। मेरी सहायता से तुम भविष्य में छुट्टियाँ भी अधिक ले सकोगे। यह भी हो सकता है कि तुम घर बैठे ही अपने कंप्यूटर द्वारा मुझे काम करने का आदेश दे दो और मैं तुम्हारी गैरहाज़िरी में तुम्हारा सारा काम करता रहूँ।

अंत में, मैं एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि मैं चाहे कितना ही चतुर और दक्ष क्यों न हो जाऊँ, रहूँगा तो तुम्हारा गुलाम ही क्योंकि मैं तुम्हारे ही मस्तिष्क की उपज हूँ।

  • राजीव गर्ग

अभ्यास

शब्दार्थ

यंत्र - मशीन तलहटी - समुद्र के नीचे की ज़मीन
प्रवाह - बहाव दक्ष - योग्य, कुशल
विद्युत - बिजली भविष्य - आनेवाला समय
संचित - इकट्ठा उपज - फसल

1. पाठ संबंधी प्रश्न
(क) तुममें और रोबोट में क्या-क्या अंतर है?

(ख) अगर तुम्हें रोबोट से कुछ काम करवाना हो तो क्या करोगे?

2. सही मिलान करो

(क) तुम्हारे शरीर में चाँद पर पहुँचा है।
(ख) मनुष्य अपनी बुद्धि के बल से शिराओं और धमनियों का जाल बिछा हुआ है।
(ग) रोबोट का मस्तिष्क लोहा-इस्पात और प्लास्टिक का बना है।
(घ) रोबोट का शरीर विषैले और विषम वातावरण में काम कर सकता है।
(ङ) रोबोट कंप्यूटर है।

3. सोचो और जवाब दो
(क) अगर रोबोट की आँखें या हाथ न होते तो वह कौन-कौन से काम नहीं कर पाता?

(ख) रोबोट ऐसे कौन-कौन से काम कर सकता है जो मनुष्य नहीं कर सकता?

(ग) रोबोट ऐसे कौन-कौन से काम नहीं कर सकता जो मनुष्य कर सकता है?

4. आओ कुछ और करें
रोबोट कई आकार-प्रकार के होते हैं जैसे- गाड़ीनुमा, मशीननुमा आदि। पत्रिकाओं और समाचार-पत्रों से उनके चित्र और मनपसंद लेख काटकर अपनी कॉपी में चिपकाओ। ज़रूरत हो तो कंप्यूटर/इंटरनेट की भी मदद लो।

5. नमूने के अनुसार लिखो

नमूना $\Rightarrow$ सजीव-निर्जीव

(क) सम $-$
(ख) गरमी $-$
(ग) गंदा $-$
(घ) कम $-$
(ङ) जीवन $-$
(च) हाज़िर $-$

6. सही शब्द चुनकर वाक्य पूरे करो
(क) मेरा शरीर हाड़-माँस का नहीं बल्कि लोहा-इस्पात और प्लास्टिक का बना है। (बल्कि/या)

(ख) वेणु सातवीं कक्षा में पढ़ता है——–उसकी बहन आठवीं कक्षा में पढ़ती है। (और/फिर)

(ग) पहले खाना खा लो ————पढ़ना। (लेकिन/फिर)

(घ) तुम्हें घूमना पसंद है ————–खेलना? (किंतु/या)

(ङ) मैं तैरना चाहता हूँ ————-मुझे तैरना नहीं आता। (लेकिन/और)

(च) छाता लेकर जाओ ————-भीग जाओगे। (फिर/वरना)

7. पढ़ो और समझो
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ो और रेखांकित शब्दों की ओर ध्यान दो। तुम जानते हो कि ये शब्द ‘मै’’ शब्द के विभिन्न रूप हैं। ‘मैं’ शब्द सर्वनाम है और ये सभी शब्द भी सर्वनाम हैं। इसी प्रकार ‘वह’ (लड़का अथवा लड़की)तथा ‘तुम’ सर्वनामों के विभिन्न रूपों से पाँच-पाँच वाक्य बनाओ।

नमूना $\Rightarrow$ वह यंत्र मानव नहीं है। तुम यंत्र मानव हो।

$\underline{\text{मैं}}$ एक यंत्र मानव हूँ। आम भाषा में लोग $\underline{\text{मुझे}}$ रोबोट कहते हैं।

$\underline{\text{मेरा}}$ शरीर हाड़-माँस का नहीं है।

$\underline{\text{मेरी}}$ भी टाँग, भुजा और अँगुलियाँ हैं।

लेकिन $\underline{\text{मेरे}}$ ये सभी अँग धातुओं से बने हैं।



विषयसूची

sathee Ask SATHEE

Welcome to SATHEE !
Select from 'Menu' to explore our services, or ask SATHEE to get started. Let's embark on this journey of growth together! 🌐📚🚀🎓

I'm relatively new and can sometimes make mistakes.
If you notice any error, such as an incorrect solution, please use the thumbs down icon to aid my learning.
To begin your journey now, click on

Please select your preferred language
कृपया अपनी पसंदीदा भाषा चुनें