अध्याय 12 वन : हमारी जीवन रेखा

एक शाम बूझो एक वृद्ध व्यक्ति के साथ पार्क में गया। उसने उनका परिचय अपने मित्रों से करवाया। प्रो. अहमद, विश्वविद्यालय में कार्यरत एक वैज्ञानिक थे। बच्चे खेलने लगे और प्रो. अहमद एक बेन्च पर बैठ गए। वे थके हुए थे, क्योंकि उन्होंने शहर के स्वर्ण जयंती समारोह में भागीदारी की थी। थोड़ी देर में बच्चे उनके इर्दगिर्द आकर बैठ गए। बच्चे समारोह के बारे में जानना चाहते थे। प्रो. अहमद ने उन्हें बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के पश्चात्, वरिष्ठ नागरिकों ने शहर की बेरोज़गारी की समस्या पर चर्चा की थी। शहर के ठीक बाहर स्थित वन्य क्षेत्र की सफ़ाई करके एक कारखाना स्थापित करने की योजना प्रस्तुत की गई थी। इससे शहर की बढ़ती जनसंख्या को नौकरी पाने का एक मौका मिलेगा। बच्चों को बहुत आश्चर्य हुआ, जब प्रो. अहमद ने उन्हें बताया कि अनेक लोगों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था।

प्रस्ताव के विरोध का कारण बताते हुए प्रो. अहमद ने समझाया, “हरे-भरे वन हमारे लिए उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं, जितना हमारे फेफड़े हैं। इसलिए इन्हें हरे फेफड़े भी कहा जाता है। वन, जल शोधन तंत्रों के रूप में भी कार्य करते हैं।” उनकी बातें सुनकर बच्चे भ्रमित हो गए। प्रो. अहमद समझ गए कि बच्चों ने वन नहीं देखा है। बच्चे, वन के बारे में और अधिक जानना चाहते थे। अतः उन्होंने प्रो. अहमद के साथ वन में जाने का निश्चय किया।

12.1 वन भ्रमण

एक रविवार, प्रातः बच्चे चाकू, हैंडलेंस, छड़ी, नोटबुक आदि जैसी कुछ वस्तुएँ साथ लेकर प्रो. अहमद के साथ गाँव के समीप के वन की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें पास के गाँव का अपनी उम्र का एक लड़का टीबू मिला, जो अपनी चाची के साथ मवेशियों को वन में चराने ले जा रहा था। उन्होंने पाया कि टीबू बहुत फुर्तीला है, क्योंकि वह मवेशियों के झुंड को एक साथ रखने के लिए आनन-फानन में यहाँ-वहाँ जा रहा था। बच्चों को देखकर टीबू ने भी उनके साथ चलना शुरू कर दिया, जबकि मवेशियों को लेकर उसकी चाची दूसरी ओर निकल गई। जैसे ही उन लोगों ने वन में प्रवेश किया, टीबू ने अपना हाथ उठाकर सबको शांत रहने के लिए संकेत दिया, क्योंकि शोर से वन में रहने वाले जंतुओं को परेशानी हो सकती थी।

फिर टीबू उन्हें वन में ऊँचाई पर स्थित ऐसे स्थान पर ले गया, जहाँ से सभी वन का व्यापक दृश्य देख सकें। बच्चे आश्चर्यचकित हो गए, क्योंकि उन्हें दूर-दूर तक कहीं भी ज़मीन दिखाई नहीं दे रही थी (चित्र 12.1)। विभिन्न वृक्षों के शिखरों ने भूमि के ऊपर हरा आवरण-सा बना दिया था। यद्यपि आवरण

चित्र 12.1 वन का एक दृश्य

चित्र 12.2 कुछ वन्य जंतु

समान रूप से हरा नहीं था। वहाँ का वातावरण शांत था और ठंडी हवा मंद गति से बह रही थी। इससे बच्चे काफ़ी तरोताज़ा और प्रसन्न हो गए।

नीचे आते समय बच्चे अचानक पक्षियों की चहचहाहट और वृक्षों की ऊँची-ऊँची शाखाओं की ओर से कुछ विशिष्ट ध्वनियों का शोर सुनकर उत्तेजित हो गए। टीबू ने उन्हें शांत रहने को कहा, क्योंकि यह वहाँ की सामान्य घटना थी। बच्चों की उपस्थिति के कारण कुछ बंदर, वृक्षों पर और ऊँची शाखाओं पर चढ़ गए थे, जिससे वहाँ विश्राम कर रहे पक्षी अशान्त हो गए थे। जंतु अकसर अन्य जंतुओं को सचेत करने के लिए विशिष्ट प्रकार की ध्वनि करके चेतावनी देते हैं। टीबू ने यह भी बताया कि शूकर (वराह या सूअर), गौर (बाइसन), गीदड़, सेही, हाथी जैसे जन्तु वन के अधिक सघन क्षेत्रों में रहते हैं (चित्र 12.2)। प्रो. अहमद ने बच्चों को सावधान किया कि उन्हें वन के अधिक सघन क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए।

बूझो और पहेली को याद आया कि उन्होंने कक्षा 6 में वनों को आवासों के रूप में पढ़ा था

चित्र 12.3 वन एक आवास

(चित्र 12.3)। अब वे स्वयं देख रहे थे कि वन किस प्रकार अनेक जंतुओं और पादपों के लिए आश्रय या आवास प्रदान करते हैं।

नीम

शीशम

बाँस

सेमल

चित्र 12.4 वनों में पाए जाने वाले कुछ पादप

जिस भूमि पर बच्चे चल रहे थे, वह ऊबड़-खाबड़ थी और अनेक वृक्षों से ढकी थी (चित्र 12.4)। टीबू ने साल, टीक, सेमल, शीशम, नीम, पलाश, अंजीर, खैर, आँवला, बाँस, कचनार आदि के वृक्षों की पहचान करने में उनकी मदद की। प्रो. अहमद ने बताया कि वन में अनेक प्रकार के वृक्ष, झाड़ययाँ, शाक और घास पाई जाती हैं। वृक्षों पर विभिन्न प्रकार की विसर्पी लताएँ और आरोही लताएँ भी लिपटी हुई थी। वृक्षों की घनी पत्तियों के आवरण के कारण सूर्य मुश्किल से ही कहीं दिखाई दे रहा था, जिससे वन के अंदर काफ़ी अंधकार था।

क्रियाकलाप (12.1)

अपने घर की विभिन्न वस्तुओं को ध्यान से देखकर उन वस्तुओं की सूची बनाइए, जो ऐसी सामग्री से बनाई गई हैं, जिन्हें वनों से प्राप्त किया गया होगा।

आपकी सूची में काष्ठ से बनी अनेक वस्तुएँ, जैसे- प्लाईवुड, ईंधन की लकड़ी, बक्से, कागज़, माचिस की तीलियाँ और फर्नीचर हो सकते हैं। क्या आप जानते हैं कि गोंद, तेल, मसाले, जंतुओं का चारा और औषधीय पादप (जड़ी-बूटी) भी वनों से प्राप्त उत्पाद हैं (चित्र 12.5)।

शीला समझ नहीं पा रही थी कि आखिर इन वृक्षों को किसने

चित्र 12.5 कुछ वन्य उत्पाद

लगाया होगा? प्रो. अहमद ने बताया कि प्रकृति में वृक्ष, पर्याप्त मात्रा में बीज उत्पन्न करते हैं। वन की भूमि, उनके अंकुरण और नवोद्भिद और पौध में विकसित होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती है। इनमें से कुछ वृक्ष के रूप में वृद्धि कर जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि किसी वृक्ष का शाखीय भाग तने से ऊपर उठ जाता है, जो शिखर कहलाता है (चित्र 12.6)।

प्रो. अहमद ने बच्चों से ऊपर की ओर देखकर यह नोट करने को कहा कि वन में ऊँचे वृक्षों की शाखाएँ किस प्रकार कम ऊँचाई के वृक्षों के ऊपर छत की तरह दिखाई देती हैं। उन्होंने बताया कि यह वितान (कैनोपी) कहलाता है (चित्र 12.7)।

चित्र 12.6 कुछ शिखर आकार

क्रियाकलाप (12.2) (अ)

पादपों से प्राप्त होने वाले उत्पादों के आधार पर तालिका 12.1 को भरें। हर श्रेणी में पौधे का एक उदाहरण पहले से ही दिया गया है, दी गई तालिका में और उदाहरण जोड़ें

गोंद लकड़ी औषधीय ते ल
बबूल शीशम नीम चंदन

क्रियाकलाप (12.2) (ब)

अपने आस-पास के किसी वन अथवा उद्यान में जाइए। वृक्षों को देखिए और उनके नाम जानने का प्रयास कीजिए। इस कार्य में आप अपने बुजुर्रों, अध्यापकों अथवा पुस्तकों की सहायता ले सकते हैं। जिन वृक्षों को आप देखें; उनकी विशेषताओं, जैसे- लंबाई, पत्तियों का आकार, शिखर, पुष्पों और फलों को सूचीबद्ध कीजिए। कुछ वृक्षों के शिखर के चित्र भी बनाइए।

प्रो. अहमद ने बताया कि वृक्षों के शिखर की आकृति और आमाप (साइज़) में परस्पर भिन्न होते हैं। इसी कारण किसी वन में विभिन्न ऊँचाइयों पर क्षैतिज परतें बनी होती हैं। इन्हें अधोतल कहते हैं (चित्र 12.7)। विशाल और ऊँचे वृक्ष शीर्ष परत बनाते हैं, जिनके नीचे झाड़ियाँ और ऊँची घास की परतें होती हैं, और सबसे नीचे की परत शाक बनाती है।

“क्या सभी वनों में वृक्ष समान प्रकार के होते हैं?” बूझो ने पूछा। प्रो. अहमद ने कहा, “नहीं, विभिन्न

चित्र 12.7 वन में वितान और उसके नीचे के तल

जलवायवीय परिस्थितियों के कारण वक्षों और अन्य प्रकार के पादपों की किस्मों में भिन्नताएँ पाई जाती हैं। जंतुओं के प्रकार भी विभिन्न वनों में भिन्न होते हैं।”

कुछ बच्चे झाड़ियों और शाकों के पुष्पों पर यहाँ-वहाँ मंडराने वाली खूबसूरत तितलियों को देखने में व्यस्त थे। उन्होंने झाड़ियों के नज़दीक जाकर उन्हें देखने का प्रयास किया था। ऐसा करते समय उनके बालों और वस्त्रों पर बीज और झाड़ययाँ चिपक गईं।

बच्चों को वृक्षों की छाल, पौधों की पत्तियों और वन भूमि पर सड़-गल रही (क्षयमान) पत्तियों पर अनेक

चित्र 12.8 वन भूमि की सतह

कीट, मकड़ियाँ, गिलहरियाँ, चींटे और विभिन्न छोटे जंतु भी दिखाई दिए (चित्र 12.8)। उन्होंने उन जीवों के चित्र बनाने आरंभ कर दिए। वन भूमि की सतह गहरे रंग की दिखाई दे रही थी तथा वह सूखी और क्षयमान पत्तियों, फलों, बीजों, टहनियों और छोटे शाकों से ढकी हुई थी। क्षयमान पदार्थ आर्द्र और गर्म थे।

बच्चों ने अपने संग्रह के लिए विभिन्न बीज और पत्तियाँ एकत्रित कर ली। वन भूमि पर सूखी पत्तियों के ऊपर चलना, किसी स्पंजी गलीचे पर चलने के समान प्रतीत हो रहा था।

क्या क्षयमान पदार्थ सदैव गर्म होते हैं? प्रो. अहमद ने सुझाया कि बच्चे इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए क्रियाकलाप कर सकते हैं।

क्रियाकलाप (12.3)

एक छोटा गड्ढा खोदिए। इसे सब्जियों के कचरे और सूखी पत्तियों आदि से भरकर मिट्टी से ढक दीजिए। इसके ऊपर कुछ जल भी डाल दीजिए। तीन दिन बाद मिट्टी की ऊपरी परत हटा दीजिए। क्या गड्ढा भीतर से गर्म लगता है?

पहेली ने पूछा, “वन में इतने सारे वृक्ष हैं। यदि हम कारखाने के लिए कुछ वृक्षों को काट दें, तो क्या फ़र्क पड़ेगा?”

प्रो. अहमद ने बताया, “तुमने स्वपोषियों, परपोषियों और मृतपोषियों के बारे में पढ़ा है। तुमने पढ़ा है कि हरे पादप किस प्रकार भोजन का निर्माण करते हैं। सभी जंतु, चाहे वे शाकभक्षी हों अथवा मांसभक्षी, अंततः भोजन के लिए पादपों पर ही निर्भर होते हैं। जो जीव पादपों का भोजन करते हैं, उन्हें अकसर अन्य जंतुओं द्वारा भोजन के रूप में ले लिया जाता है और इस प्रकार यह क्रम चलता रहता है। उदाहरण के लिए, घास को कीटों द्वारा खाया जाता है, जिन्हें मेंढक खा लेते हैं। मेंढक को सर्प खा लेते हैं। इसे खाद्य भृंखला कहा जाता ह-

घास $\rightarrow$ कीट $\rightarrow$ मेंढक $\rightarrow$ सर्प $\rightarrow$ उकाब (गरुड़)

वन में अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। सभी खाद्य श्रृंखलाएँ परस्पर संबद्ध होती है। यदि किसी एक खाद्य श्रृंखला में कोई विघ्न पड़ता है, तो यह अन्य शृंखलाओं को प्रभावित करता है। वन का प्रत्येक भाग अन्य भागों पर निर्भर होता है। यदि हम वन के किसी घटक, जैसे- वृक्ष को अलग कर दें, तो इससे अन्य सभी घटक प्रभावित होते हैं।

प्रो. अहमद ने बच्चों से वन भूमि की सतह से पत्तियों को उठाकर उन्हें हैंडलेंस से देखने के लिए कहा। उन्हें क्षयमान पत्तियों पर नन्हें मशरूम दिखाई दिए। उन्हें नन्हें कीटों, मिलीपीडों (सहस्त्रपादों), चींटों और भृंगों की सेना भी उन पर दिखाई दी। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि ये जीव वहाँ कैसे रहते हैं। प्रो. अहमद ने समझाया कि आसानी से देखे जा सकने वाले इन जीवों के अतिरिक्त यहाँ अनेक जीव और

चित्र 12.9 वन में पादप, मृदा और अपघटकों का परस्पर संबंध

सूक्ष्मजीव ऐसे भी हैं, जो मृदा के भीतर रहते हैं। पहेली को आश्चर्य हो रहा था कि मशरूम और अन्य सूक्ष्म जीव क्या खाते हैं? प्रो. अहमद ने बताया कि ये मृत पादपों और जंतु ऊतकों को खाते हैं और उन्हें एक गहरे रंग के पदार्थ में परिवर्तित कर देते हैं, जिसे हयूमस कहते हैं।

आपको मृदा की कौन-सी परत में ह्यूमस मिलता हैं? मृदा के लिए इसकी क्या उपयोगिता हैं?

पादपों और जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्म जीव, अपघटक कहलाते हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म जीव वन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जानकारी मिलते ही पहेली ने मृत पत्तियों को हटाना आरंभ कर दिया और कुछ ही देर में भूमि पर हयूमस की परत को खोज निकाला। हयूमस की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि मृत पादपों और जंतुओं के पोषक तत्त्व मृदा में निर्मुक्त होते रहते हैं। वहाँ से ये पोषक तत्त्व पुन: सजीव पादपों के मूलों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। शीला ने पूछा, “जब वन में कोई जंतु मर जाता है, तो उसका क्या होता है?” टीबू ने उत्तर दिया कि मृत जंतु गिद्धों, कौओं, गीदड़ों और कीटों का भोजन बन जाते हैं। इस प्रकार, पोषक तत्त्वों का चक्र चलता रहता है, जिससे वन में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता है (चित्र 12.9)।

पहेली ने प्रो. अहमद को याद दिलाया कि उन्होंने यह नहीं समझाया है कि वनों को हरे फेफड़े क्यों कहा जाता है। प्रो. अहमद ने समझाया कि पादप प्रकाश संश्लेषण के प्रक्रम द्वारा ऑक्सीजन निर्मुक्त करते हैं। इस प्रकार पादप जंतुओं के श्वसन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं। वे वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के संतुलन को भी बनाए रखते हैं (चित्र 12.10)। इसलिए वनों को हरे फेफड़े कहा जाता है।

बच्चों ने देखा कि आसमान में बादल बन रहे हैं। बूझो ने याद दिलाया कि उसने कक्षा 6 में जलचक्र के

चित्र 12.10 ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन

बारे में पढ़ा था। वृक्ष अपने मूलों से जल अवशोषित करते हैं और वाष्पोत्सर्जन द्वारा जलवाष्प निर्मुक्त करते हैं।

यदि वृक्षों की संख्या कम होती, तो जलचक्र किस प्रकार प्रभावित होता?

टीबू ने उन्हें बताया कि वन केवल पादपों और जंतुओं का आवास ही नहीं है। वन क्षेत्र में अनेक मानव समुदाय भी रहते हैं। इनमें से कुछ विभिन्न जनजातियों के हो सकते हैं। टीबू ने समझाया कि ये लोग अपनी अधिकतर आवश्यकताओं के लिए वनों पर निर्भर करते हैं। वन उन्हें भोजन, आश्रय, जल और औषधियाँ प्रदान करते हैं। वन क्षेत्र में रहने वाले ये लोग वहाँ के अनेक औषधीय पादपों के बारे में जानते हैं।

बूझो एक छोटे झरने से पानी पी रहा था, तो उसने देखा कि हिरणों का एक झुंड उससे कुछ दूरी पर

पहेली ने अपने मित्रों को याद दिलाया कि वे प्रकाश संश्लेषण के बारे में अध्याय 1 में पढ़ चुके हैं।

झरने को पार कर रहा था (चित्र 12.11)। कुछ ही पल में सभी हिरण झाड़ियों में गायब हो गए। सघन झाड़ियाँ और ऊँची घास, जंतुओं को भोजन और आश्रय प्रदान करती हैं। ये उन्हें वन में रहने वाले मांसभक्षी जीवों से सुरक्षा भी प्रदान करती हैं।

चित्र 12.11 वन में हिरण

टीबू ने ध्यान से वन के फ़र्श को देखना आरंभ कर दिया। अचानक कुछ देखकर उसने बच्चों को अपने पास बुलाया। उसने उन्हें कुछ जंतुओं की लीद दिखाई और विभिन्न जंतुओं की लीदों के बीच अंतर समझाया। प्रो. अहमद ने उन्हें बताया कि वन अधिकारी, वन में कुछ जंतुओं की उपस्थिति की जानकारी उनकी लीद और पदचिह्नों के आधार पर करते हैं।

बूझो ने सबका ध्यान जंतुओं की लीद की एक बड़ी क्षयमान ढ़ेरी की ओर आकर्षित किया। उस ढेर पर अनेक भृंग और कैटरपिलर (लार्वा) पनप रहे थे तथा अनेक नवोद्भिद भी अंकुरित हो रहे थे। प्रो. अहमद ने बताया, “ये नवोद्भिद कुछ शाकों और झाड़यों के हैं। जंतु भी कुछ पादपों के बीजों को प्रकीर्णित करते हैं। इस प्रकार जंतु, वनों में पादपों को वृद्धि करने और उनके पुनर्जनन में सहायक होते हैं। जंतुओं का क्षयमान गोबर, नवोद्भिदों को उगने के लिए पोषक तत्त्व भी प्रदान करता है।”

यह सुनने के बाद बूझो ने अपनी नोटबुक में नोट किया “पादपों की अधिक किस्मों को आश्रय देकर, वन शाकाहारी जन्तुओं को भोजन और आवास के लिए अधिक अवसर प्रदान करते हैं। शाकाहारियों की अधिक संख्या का अर्थ है, विभिन्न प्रकार के

चित्र 12.12 दीवार पर उगा एक पौधा

पहेली को याद आया कि उसने अपने विद्यालय की पार्श्व दीवार पर पीपल का एक पौधा उगा हुआ देखा था (चित्र 12.12)। क्या आप यह समझने में उसकी सहायता कर सकते हैं कि वह वहाँ कैसे उग आया?

मांसभक्षियों के लिए भोजन की अधिक उपलब्धता। जंतुओं की विविध किस्में वन के पुनर्जनन और वृद्धि में सहायक होती हैं। अपघटक, वन में उगने वाले पादपों के लिए पोषक तत्त्वों की आपूर्ति को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, वन एक गतिक सजीव इकाई है जो जीवन और जीवनक्षमता से भरपूर है।”

अब लगभग दोपहर हो गई थी और बच्चे वापस जाना चाहते थे। टीबू ने वापस जाने के लिए एक और रास्ता सुझाया। जब वे वापस जा रहे थे, तभी वर्षा होने लगी। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वर्षा की बूँदें, वन भूमि पर सीधे नहीं पड़ रही थी। वन

चित्र 12.13 वर्षाजल की बूँदें वृक्षों से धीमे-धीमे टपकती हैं और भूमि में अवस्यावित हो जाती हैं

वितान की सबसे ऊपरी परत वर्षा की बूँदों को विच्छिन्न कर रही थी, अर्थात् छोटी-छोटी फुहार में परिवर्तित कर रही थी। अधिकांश जल वृक्षों की शाखाओं, पत्तियों और तनों से होता हुआ नीचे की झाड़ियों और शाकों पर धीमे-धीमे गिर रहा था (चित्र 12.13)। उन्होंने पाया कि कई स्थानों पर भूमि अब भी सूखी थी। लगभग आधा घंटे बाद वर्षा रुक गई। उन्होंने पाया कि वन भूमि की सतह पर गिरी मृत पत्तियों की परत अब कुछ-कुछ गीली हो गई है, लेकिन वन में कहीं भी जल का जमाव होता दिखाई नहीं दिया।

बूझो मन ही मन में सोच रहा था कि यदि इतनी तेज वर्षा उसके शहर में हुई होती, तो नाले और सड़कें पानी से भर गई होती।

(1) यदि वन नष्ट होंगे, तो वायु में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी, जिससे पृथ्वी का ताप बढ़ेगा।

(2) पेड़ों और पादपों को अनुपस्थिति में जीवों को खाद्य और आश्रय नहीं मिलेगा।

(3) पेड़ों की अनुपस्थिति में मृदा, जल को नहीं बाँध पाती है, जिससे बाढ़ आती है।

(4) हमारे जीवन और वातावरण के लिए वन अपरोपण घातक है। सोचिए, हम वनों को संरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं।

जब आपके शहर में कई घंटो तक उच्च दर से वर्षा होती है, तो क्या होता है?

प्रो. अहमद ने उन्हें बताया कि वन, वर्षाजल के प्राकृतिक अवशोषक का कार्य करते हैं और उसे अवस्तावित होने देते हैं। यह वर्ष भर भौमजल स्तर को बनाए रखने में सहायक होता है। वन न सिर्फ़ बाढ़ों को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं, बल्कि नदियों में जल के प्रवाह को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं, जिससे हमें जल की सतत् आपूर्ति मिलती रहती है। इसके विपरीत यदि वृक्ष न हों, तो वर्षाजल सीधे भूतल पर गिरकर आस-पास के क्षेत्र में भर सकता है। तेज़ वर्षा, मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत को भी क्षति पहुँचा सकती है। वृक्षों तथा अन्य पौधों के मूल सामान्यतः मृदा को एक साथ बाँधे रखते हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में मृदा वर्षाजल के साथ बह जाती है, अर्थात् उसका अपरदन हो जाता है।

लौटते समय बच्चों ने टीबू के गाँव में एक घंटे का समय बिताया। गाँव का मौसम काफ़ी सुहावना था। गाँववासियों ने उन्हें बताया कि आस-पास वन से घिरा होने के कारण यहाँ अच्छी वर्षा होती है। हवा भी ठंडी रहती है। यहाँ ध्वनि प्रदूषण भी कम है, क्योंकि वन वहाँ से गुज़रने वाली सड़क के वाहनों के शोर को अवशोषित कर लेते हैं।

बच्चों ने गाँव के इतिहास के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उस क्षेत्र के गाँव और कृषि के लिए खेत लगभग साठ वर्ष पहले वन को काटकर उपलब्ध किए गए थे। टीबू के दादाजी ने उन्हें बताया कि जब वे छोटे थे, तब गाँव का क्षेत्र इतना बड़ा नहीं था, जितना आज है। यह वनों से घिरा हुआ भी था। सड़कों, इमारतों आदि के निर्माण, औद्योगिक विकास और लकड़ी की बढ़ती हुई माँग के कारण वनों का कटाव हो रहा है और वे लुप्त होने लगे हैं। दादाजी खुश नहीं थे, क्योंकि उनके गाँव के समीप के वन का पुनर्जनन नहीं हो रहा है और वह पालतू पशुओं द्वारा अत्यधिक चराई और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण लुप्त होने के कगार पर है। प्रो. अहमद ने कहा कि यदि हम समझदारी से काम लें, तो हम वनों और पर्यावरण को संरक्षित रखने के साथ-साथ विकास कार्य भी कर सकते हैं।

बच्चों ने ऐसी घटनाओं के परिणामों को दिखाने के लिए कुछ चित्र बनाए।

वन भ्रमण के उपरांत प्रो. अहमद ने बच्चों से सारांश में वनों के महत्त्व के बारे में लिखने को कहा। बच्चों ने लिखा वन हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वे मृदा की सुरक्षा करते हैं और अनेक जंतुओं को आश्रय प्रदान करते हैं। वन आस-पास के क्षेत्रों में वर्षा का उचित स्तर बनाए रखने में सहायक होते हैं। वन औषधीय पादपों, काष्ठ और अनेक अन्य उपयोगी उत्पादों के स्रोत हैं। हमें अपने वनों को संरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करते रहना चाहिए।

यदि वन लुप्त हो जाएँ, तो क्या होगा?

प्रमुख शब्द

वृक्ष वितान हयूमस मृदा अपरद
वृक्ष शिखर पुनर्जनन अधो-तल
अपघटक बीज प्रकीर् वन अपरोप

आपने क्या सीखा

  • वनों से हमें अनेक उत्पाद मिलते हैं।

  • ‘वन’, विभिन्न पादपों, जंतुओं और सूक्ष्म जीवों से मिलकर बना एक तंत्र है।

  • वनों की सबसे ऊपरी परत वृक्ष शिखर बनाते हैं, जिसके नीचे झाड़ियों द्वारा बनी परत होती है। शाक वनस्पतियाँ सबसे नीचे की परत बनाती हैं।

  • वनों में वनस्पतियों की विभिन्न परतें जंतुओं, पक्षियों और कीटों को भोजन और आश्रय प्रदान करती हैं।

  • वन के विभिन्न घटक एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।

  • वन वृद्धि करते और परिवर्तित होते रहते हैं, तथा उनका पुनर्जनन हो सकता है। वन में मृदा, जल, वायु और सजीवों के बीच परस्पर क्रिया होती रहती है।

  • वन, मृदा को अपरदन से बचाते हैं।

  • मृदा, वनों की वृद्धि करने और उनके पुनर्जनन में सहायक होती है।

  • वन्य क्षेत्रों में वास करने वाले समुदायों को वन उनके जीवन के लिए आवश्यक सभी सामग्री उपलब्ध कराते हैं। वन इन समुदायों को जीवन का आधार प्रदान करते हैं।

  • ‘वन’, जलवायु, जलचक्र और वायु की गुणवत्ता को नियमित करते हैं।

अभ्यास

1. समझाइए कि वन में रहने वाले जंतु किस प्रकार वनों की वृद्धि करने और पुनर्जनन में सहायक होते हैं।

2. समझाइए कि वन, बाढ़ की रोकथाम किस प्रकार करते हैं?

3. अपघटक किन्हें कहते हैं? इनमें से किन्हीं दो के नाम बताइए। ये वन में क्या करते हैं?

4. वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन को बनाए रखने में वनों की भूमिका को समझाइए।

5. समझाइए कि वनों में कुछ भी व्यर्थ क्यों नहीं होता है?

6. ऐसे पाँच उत्पादों के नाम बताइए, जिन्हें हम वनों से प्राप्त करते हैं।

7. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) कीट, तितलियाँ, मधुमक्खियाँ और पक्षी, पुष्पीय पादपों की ……………………. में सहायता करते हैं।

(ख) वन परिशुद्ध करते हैं ……………………. और ……………………. को।

(ग) शाक वन में ……………………. परत बनाते हैं।

(घ) वन में क्षयमान पत्तियाँ और जंतुओं की लीद ……………………. को समृद्ध करते हैं।

8. हमें अपने से दूर स्थित वनों से संबंधित परिस्थितियों और मुद्दों के विषय में चिंतित होने की क्यों आवश्यकता है?

9. समझाइए कि वनों में विभिन्न प्रकार के जंतुओं और पादपों के होने की आवश्यकता क्यों है?

10. चित्र 12.15 में चित्रकार, चित्र को नामांकित करना और तीरों द्वारा दिशा दिखाना भूल गया है। तीरों पर दिशा को दिखाइए और चित्र को निम्नलिखित नामों द्वारा नामांकित करिए-

बादल, वर्षा, वायुमंडल, कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, पादप, जंतु, मृदा, अपघटक, मूल, भौमजल स्तर।

चित्र 12.15

11. निम्नलिखित में से कौन-सा वन उत्पाद नहीं है?

(i) गोंद
(ii) प्लाईवुड
(iii) सील करने की लाख
(iv) कैरोसीन

12. निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है?

(i) वन, मृदा को अपरदन से बचाते हैं।
(ii) वन में पादप और जंतु एक-दूसरे पर निर्भर नहीं होते हैं।
(iii) वन जलवायु और जलचक्र को प्रभावित करते हैं।
(iv) मृदा, वनों की वृद्धि और पुनर्जनन में सहायक होती है।

13. सूक्ष्मजीवों द्वारा मृत पादपों पर क्रिया करने से बनने वाले एक उत्पाद का नाम है-

(i) बालू
(ii) मशरूम
(iii) हयूमस
(iv) काष्ठ

विस्तारित अधिगम - क्रियाकलाप और परियोजना कार्य

1. पर्यावरण विभाग को निर्णय करना है कि क्या आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए आपके क्षेत्र के वन के कुछ हिस्से को काटकर साफ़ करना उचित होगा। एक सजग नागरिक के नाते सरकार के विभाग को अपना मत बताते हुए एक पत्र लिखिए।

2. किसी वन का भ्रमण कीजिए। यहाँ कुछ बातें बताई गई हैं, जो आपकी यात्रा को अधिक उपयोगी बना देंगी।

  • सुनिश्चित कर लीजिए कि आपके पास वन में जाने की अनुमति है।
  • सुनिश्चित कर लीजिए कि आप वहाँ भटकेंगे नहीं और अपनी राह स्वयं ढूँढ लेंगे। वहाँ का मानचित्र लीजिए और किसी ऐसे व्यक्ति को अपने साथ ले जाइए, जो उस स्थान से परिचित हो।
  • आप वहाँ जो कुछ देखते और करते हैं, उसका विवरण नोट कीजिए। ध्यानपूर्वक किए गए प्रेक्षण आपके भ्रमण को दिलचस्प बना देंगे। चित्र बनाना और तस्वीरें खींचना भी उपयोगी होता है।
  • आप पक्षियों की ध्वनियों को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
  • विभिन्न प्रकार के बीज और कठोर फलों, जैसे- बादाम, सुपारी, नारियल आदि गिरीफल एकत्रित कीजिए।
  • विभिन्न प्रकार के वृक्षों, झाड़ियों, शाकों आदि को पहचानने का प्रयास करें। वन के विभिन्न स्थानों और विभिन्न परतों से पादपों की सूची बनाइए। आप सभी पादपों के नाम संभवतः नहीं जान पाएँ, लेकिन वे कहाँ उगते हैं, यह देखना और रिकॉर्ड करना उपयोगी होगा। पादपों की औसत ऊँचाई, शिखर के आकार, छाल के गठन, पत्ती के आमाप (साइज़) और पुष्प के रंग को नोट कीजिए।
  • जंतुओं की लीद को पहचानना सीखिए।
  • वन अधिकारियों और आस-पास के गाँवों के व्यक्तियों और अन्य दर्शकों का साक्षात्कार लीजिए।

आपको कभी पक्षियों के अंडे एकत्रित नहीं करने चाहिए और न ही उनके घोंसलों को कभी छेड़ना चाहिए।

क्या आप जानते हैं?

भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग $21 %$ वन क्षेत्र है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से यह निरंतर कम होता जा रहा है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अब हमने वन आच्छादित क्षेत्र के महत्त्व को समझ लिया है। हाल के वर्षों में किए गए सर्वेक्षणों से यह संकेत मिल रहे हैं कि वन आच्छादित क्षेत्र में थोड़ी वृद्धि हुई है।



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