अधयाय 03 राज्य शासन कैसे काम करता ह

पिछले वर्ष हमने यह चर्चा की थी कि शासन तीन स्तरों पर काम करता है - स्थानीय, राज्य और केंद्र। हमने कुछ विस्तार के साथ स्थानीय शासन के कार्यों के बारे में जाना भी था। इस अध्याय में हम जानेंगे कि राज्य स्तर पर शासन कैसे कार्य करता है। लोकतंत्र में राज्य का शासन किस तरह किया जाता है? विधानसभा सदस्यों और मंत्रियों की क्या भूमिका है? लोग शासन के सामने अपने विचार कैसे रखते हैं या किसी कार्य की माँग कैसे करते हैं? हम इन प्रश्नों पर विचार करने के ‘स्वास्थ्य’ का उदाहरण लेते हैं।

ज़िम्मेदारी किसकी?

विधायक कौन होता है?

उपरोक्त भाग में आपने पातालपुरम की कुछ घटनाओं के बारे में पढ़ा। आप शायद जिलाधीश, चिकित्सा अधिकारी जैसे अधिकारियों के नामों से परिचित भी होंगे। परंतु क्या आपने विधायक और विधानसभा के बारे में सुना है? क्या आप अपने क्षेत्र के विधायक यानी एम.एल.ए. से परिचित हैं? क्या आपको पता है कि वे किस पार्टी के हैं?

विधानसभा के सदस्य को ‘विधायक’ (एम.एल.ए.) कहा जाता है। एम.एल.ए., ‘मेम्बर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली’ का संक्षिप्त रूप है। एम.एल.ए. का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। फिर वे लेजिस्लेटिव असेंबली के मेंबर यानी विधानसभा के सदस्य बन जाते हैं और सरकार बनाते हैं। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि विधायक जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीचे दिए गए उदाहरण से यह बात और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।

पातालपुरम में क्या हो रहा है?

यह समस्या इतनी गंभीर क्यों है?

आपके विचार से उपर्युक्त स्थिति में क्या कदम उठाए जा सकते हैं या क्या किया जा सकता है और आपके अनुसार किसे यह कार्य करना चाहिए। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

अपने शिक्षक के साथ इन शब्दावलियों पर चर्चा कीजिए - आमसभा, भारत के राज्य, निर्वाचन क्षेत्र, बहुमत, सत्तारूढ़ दल और विरोधी दल।

क्या आप अपने राज्य के संदर्भ में इनके उदाहरण दे सकते हैं- बहुमत, सत्तारूढ़ दल और विरोधी दल?

भारत के हर राज्य में एक विधानसभा है। हर राज्य कई निर्वाचन क्षेत्रों में बँटा हुआ है, उदाहरण के - यहाँ दिए गए मानचित्र को देखिए। इसमें दर्शाया गया है कि हिमाचल प्रदेश 68 निर्वाचन क्षेत्रों में बँटा है। हर निर्वाचन क्षेत्र से जनता एक प्रतिनिधि चुनती है, जो विधानसभा का सदस्य यानी विधायक बन जाता है। आपने ध्यान दिया होगा कि चुनाव में लोग अलग-अलग पार्टियों के नाम से खड़े होते हैं। इस ये विधायक अलग-अलग राजनीतिक दलों के होते हैं।

जो लोग विधायक होते हैं, वे मंत्री या मुख्यमंत्री कैसे बन जाते हैं? जिस राजनीतिक दल के विधायक आधे से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में जीत जाते हैं, राज्य में उस दल को बहुमत में माना जाता है। बहुमत प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल को सत्ता पक्ष और अन्य सबको विरोधी पक्ष वाला कहा जाता है। उदाहरण के हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में विधायकों के 68 निर्वाचन क्षेत्र हैं।

ऊपर दिए गए नक्शे में हिमाचल प्रदेश को जामुनी रंग से दिखाया गया है।

इस पुस्तक के पृष्ठ 98 पर दिए गए भारत के नक्शे में पेंसिल से इनकी आकृति बनाइए-

(i) आप जिस राज्य में रहते हैं उसकी

(ii) हिमाचल प्रदेश राज्य की।

जम्मू और कश्मीर

उत्तराखंड

हिमाचल प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम

राजनीतिक दल

भारतीय जनता पार्टी (बी.जे.पी.)…………………….44

इंडियन नेशनल काँग्रेस (आई.एन.सी.)…………………….21

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्स्सिस्ट)…………………….1

निर्दलीय (जो किसी पार्टी के नहीं हैं।)…………………….2

कुल योग…………………………………………..68

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विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता और वे विधायक बन गए। विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 68 है। इस बहुमत प्राप्त करने के किसी भी राजनीतिक दल को 34 से अधिक विधायकों की आवश्यकता होगी। भारतीय जनता पार्टी के 44 विधायक होने के कारण उन्हें बहुमत मिल गया और वे सत्ताधारी दल के सदस्य बन गए। अन्य सब विधायक विरोधी दल के सदस्य बन गए। इस उदाहरण में इंडियन नेशनल काँग्रेस मुख्य विरोधी दल बनी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के बाद सर्वाधिक विधायक उसी के थे। विरोधी पक्ष में कुछ अन्य पार्टियाँ भी थीं और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी थे, जो चुनाव जीतकर आए थे।

चुनाव के बाद सत्ताधारी दल के विधायक अपने नेता का चुनाव करते हैं, जो मुख्यमंत्री बनता है। इस उदाहरण में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने श्री जयराम ठाकुर को अपना नेता चुना और वे मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद मुख्यमंत्री, मंत्रियों का चयन करता है। चुनाव के बाद राज्य का राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों का यह दायित्व है कि वे शासन के विभिन्न विभागों या मंत्रालयों को चलाएँ। उनके अलग-अलग कार्यालय होते हैं। विधानसभा ऐसा स्थान होता है, जहाँ सभी विधायक, चाहे वे सत्ताधारी दल के हों अथवा विरोधी दल के, विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के एकत्रित होते हैं। इस तरह कुछ विधायकों की दोहरी ज़िम्मेदारी हो जाती है- एक विधायक के रूप में और दूसरी मंत्री के रूप में। इसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे।

अपने प्रदेश के बारे में वैसे आँकड़े पता कीजिए, जैसे आपने हिमाचल प्रदेश की तालिका में देखें। उन्हें एक तालिका के रूप में दर्शाइए।

राज्य का प्रमुख ‘राज्यपाल’ कहलाता है। उसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा यह सुनिश्चित करने के की जाती है कि राज्य सरकार संविधान के नियमों एवं अधिनियमों के अनुसार अपना कामकाज चलाए। अपने राज्य के राज्यपाल का नाम पता कीजिए।

कई बार सत्ताधारी दल किसी एक पार्टी का न होकर कई पार्टियों से मिलकर बनता है। इसे गठबंधन सरकार कहते हैं। अपने शिक्षक से इस विषय पर चर्चा कीजिए।

विधानसभा में एक बहस

आफ़रीन, सुजाता और उनके विद्यालय के कई अन्य विद्यार्थियों ने विधानसभा देखने के राजधानी की यात्रा की। विधानसभा एक अत्यंत भव्य तथा प्रभावशाली भवन में स्थित थी। बच्चे बहुत उत्सुक थे। सुरक्षा जाँच के बाद उन्हें ऊपर ले जाया गया। ऊपर एक दर्शक दीर्घा थी, जहाँ से वे नीचे के विशाल हॉल को देख सकते थे। हॉल में डेस्कों की अनेक कतारें लगी थीं।

यह विधानसभा उन दिनों की किसी तत्कालीन समस्या पर बहस करने वाली थी। विधानसभा की बहसों में विधायक अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, संबंधित विषय पर प्रश्न पूछ सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं कि सरकार को इस संबंध में क्या करना चाहिए। सदस्य इस विषय पर जो भी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहें, कर सकते हैं। इसके बाद मंत्री प्रश्नों के उत्तर देते हैं और सदन को आश्वस्त करते हैं कि ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को निर्णय लेने होते हैं और सरकार चलानी होती है। हम प्रायः उन निर्णयों के बारे में सुनते हैं या समाचार चैनलों अथवा समाचारपत्रों में उन्हें देखते व पढ़ते हैं। हालाँकि जो भी निर्णय जाते हैं, उन्हें विधानसभा के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। लोकतंत्र में विधानसभा सदस्य, मंत्रियों व मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछ सकते हैं, किसी महत्तपूर्ण विषय पर बहस कर सकते हैं, निर्णय ले सकते हैं कि धन कहाँ खर्च किया जाना चाहिए आदि। इस तरह मुख्य अधिकार उन्हीं का होता है।

विधायक 1 - अखंडगाँव के मेरे निर्वाचन क्षेत्र में पिछले तीन हफ़्तों में हैजे़ के कारण 15 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मेरे विचार में सरकार के यह बड़ी शर्मनाक स्थिति है। वह सरकार, जो अपने को प्रौद्योगिकी में सर्वश्रेष्ठ घोषित कर रही है, हैजे जैसी साधारण बीमारी को रोकने में असफल रही है। मैं स्वास्थ्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि वे स्थिति को नियंत्रण में लाने के तत्काल जजूरूरी कदम उठाएँ।

विधायक $2-$ मेरा प्रश्न यह है कि सरकारी अस्पतालों की दशा इतनी खराब क्यों है? सरकार जिला अस्पतालों में डॉक्टरों व चिकित्सा कर्मचारियों की ठीक से नियुक्ति क्यों नहीं कर रही? मैं यह भी जानना चाहूँगा कि सरकार इस स्थिति का सामना किस प्रकार करने जा रही है, जिससे लोग बड़ी संख्या में प्रभावित हैं और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है? अब यह महामारी का रूप ले चुकी है।

विधायक 3 - मेरे निर्वाचन क्षेत्र तोलपट्टी में भी पानी की कमी की गंभीर समस्या है। औरतों को पानी लाने के 3-4 किलोमीटर तक चलना पड़ता है। मैं जानना चाहूँगा कि पानी पहुँचाने के कितने टैंकरों को काम में लगाया गया है? कितने कुँओं और तालाबों की सफ़ाई करवाकर उन्हें संक्रमण-मुक्त किया गया है?

विधायक 4 - मुझे लगता है कि मेरे साथी समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं। सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के कदम उठाए हैं। पानी के टैंकरों को काम में लगा दिया गया है। ओ.आर.एस. के पैकेट बाँटे जा रहे हैं। सरकार लोगों की मदद के भरसक प्रयास कर रही है।

विधायक 5 - हमारे अस्पतालों में सुविधाओं की हालत बहुत खस्ता है। कई ऐसे अस्पताल हैं, जिनमें कोई डॉक्टर नहीं है और चिकित्सा कर्मचारी पिछले कई सालों से नियुक्त ही नहीं किए गए है। दूसरे अस्पताल में डॉक्टर लंबी छुछ्टी पर चले गए हैं। यह शर्मनाक स्थिति है। मेरे ख्याल से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हम यह कैसे सुनिश्चित करने वाले हैं कि प्रभावित क्षेत्र के सब परिवारों तक ओ.आर. एस. के पैकेट पहुँच जाएँ?

विधायक 6 - विरोधी पक्ष के सदस्य बिना वजह ही सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं। पिछली सरकार ने सफ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दिया था। अब हमने कई बरसों से चारों तरफ़ फैले कूड़े को साफ़ कराने का अभियान शुरू किया है।

जो विधायक सोचते थे कि सरकार स्थिति को गंभीरता से नहीं ले रही है, वे मुख्य रूप से क्या-क्या तर्क दे रहे थे?

यदि आप स्वास्थ्य मंत्री होते, तो उपर्युक्त चर्चा का उत्तर किस प्रकार देते?

आपके विचार से क्या उपर्युक्त बहस कुछ अर्थों में उपयोगी रही? कैसे? चर्चा कीजिए।

व्याख्या कीजिए कि सरकार की कार्यप्रणाली में एक सामान्य विधायक और उस विधायक में, जो मंत्री भी है, क्या अंतर है?

उक्त भाग में आपने विधानसभा में चल रही एक बहस के बारे में पढ़ा| सदस्य, सरकार द्वारा की गई या न की गई कार्रवाई पर बहस कर रहे थे। ऐसा इस है, क्योंकि विधायक सामूहिक रूप से सरकार के काम के उत्तरदायी होते हैं। सामान्य भाषा में ‘सरकार’ शब्द से तात्पर्य शासन के विभिन्न विभागों और मंत्रियों से होता है, जो उनके प्रभारी हैं। इन सबका सामूहिक प्रमुख ‘मुख्यमंत्री’ होता है। सही मायने में तो यही सरकार का कार्यकारी हिस्सा यानी कार्यपालिका कहलाता है। दूसरी तरफ़ सारे विधायक, जो विधानसभा में एकत्र होते हैं, विधायिका कहलाते हैं। विधायिका के रूप में वे सरकार के कार्यकारी हिस्से को काम करने का अधिकार देते हैं और फिर उसके काम की जाँच भी करते हैं। जैसा कि आपने पाठ के प्रारंभ में देखा था, इन्हीं में से कार्यपालिका का प्रमुख या मुख्यमंत्री बनाया जाता है।

शासन की कार्यप्रणाली

केवल विधानसभा में ही सरकार के काम के बारे में टीका-टिप्पणी और सरकार से कार्रवाई करने की माँग नहीं की जाती। आप नियमित रूप से अखबारों, टी.वी. चैनलों और अन्य संगठनों को सरकार के बारे में बातें करते देखते हैं। लोकतंत्र में अनेक माध्यमों द्वारा लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं और कार्रवाई करते हैं। इसी तरह का एक तरीका यहाँ देखिए।

विधानसभा में चर्चा होने के थोड़े ही समय बाद स्वास्थ्य मंत्री की प्रेसवार्ता की गई। इसमें विभिन्न समाचारपत्रों के प्रतिनिधि काफ़ी संख्या में आए। इसमें मंत्री और कुछ शासकीय अधिकारी भी उपस्थित थे। मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। इस प्रेसवार्ता में अखबारों के संवाददाताओं ने अनेक प्रश्न पूछे। इन चर्चाओं की रिपोर्ट विभिन्न समाचारप्रों में प्रकाशित हुई। अगले पृष्ठ पर ऐसी ही एक रिपोर्ट दी गई है।

अगले सप्ताह मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री पातालपुरम जिले के दौरे पर गए। उन्होंने उन परिवारों से भेंट की, जिनके रिश्तेदारों की मृत्यु हो गई थी। वे अस्वस्थ लोगों को देखने अस्पताल भी गए। सरकार ने इन परिवारों के मुआवज़ा राशि की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके विचार से समस्या केवल सफ़ाई की नहीं है, वरन् पीने के स्वच्छ पानी की कमी की भी है। उन्होंने कहा कि एक उच्चस्तरीय

सरकार ने कचरे की सुध ली…

मुख्यमंत्री ने किया धनराशि का वादा

पातालपुरम | रवि आहुजा

पिछले कछ सप्ताहों में राज्य के कुछ जिलों में अनेक लोग मौत का शिकार हो चुके हैं। इस बात पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई है कि सरकार ने स्थिति को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया है। आज हुई प्रेसवार्ता में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने सभी जिलाधीशों तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिए हैं। सबसे महत्वप्र्ण समस्या पीने के पानी की है। मंत्री महोदय ने कहा कि उनकी मंशा पानी के टैंकरों द्वारा हर गाँव में पीने का पानी पहुँचाने की है। मुख्यमंत्री ने इस कार्य के धन उपल॰्ध कराने का वचन दिया है। उनकी योजना एक जन अभियान चलाकर लोगों को यह जानकारी देने की भी है कि किन उपायों द्वारा हैजे से बचा जा सकता है। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि महीनों से जमा कचरे को जल्दी हटाने के क्या किया जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि वे इस बारे में देखेंगे…

जाँच समिति गठित की जाएगी, जो सफ़ाई सुविधाओं के जिले की जरूरतों के बारे में विचार करेगी और लोक निर्माण मंत्री को दिशा-निर्देश देगी; ताकि वे क्षेत्र में पानी की उचित व्यवस्था पर ध्यान दे सकें।

जैसा आपने ऊपर देखा, वे लोग जो सत्ता में हैं, जैसे - मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री - उन्हें समस्याओं पर कारवाई करनी होती है। वे यह कार्य विभिन्न विभागों द्वारा करवाते हैं, जैसे - लोक निर्माण विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग आदि। उन्हें विधानसभा में उठाए गए प्रश्नों का भी उत्तर देना होता है और प्रश्न करने वाले लोगों को आश्वस्त करना होता है कि उचित कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ समाचारपत्रों व अन्य माध्यमों में भी इन विषयों पर चर्चा होती है, जिसका उत्तर सरकार को देना होता है, जैसे - प्रेसवार्ता आयोजित करना।

सरकार, सफ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं के नए कानून बनाने का भी निर्णय ले सकती है। उदाहरण के - वह कानून बनाकर हर नगर निगम के यह अनिवार्य कर सकती है कि शहरी क्षेत्रों हैज़े को नियंत्रण में लाने के सरकार द्वारा किए गए दो उपाय लिखिए। प्रेसवार्ता का क्या उद्देश्य है? प्रेसवार्ता आपको सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में किस प्रकार सहायक होती है?

लोकतंत्र में लोग अपना मत व्यक्त करने और सरकार का विरोध करने के सभाएँ आयोजित करते हैं। में पर्याप्त शौचालयों की व्यवस्था हो। यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि हर ग्राम में एक स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति हो। किसी विषय पर कानून बनाने का यह कार्य प्रत्येक राज्य की विधानसभा द्वारा किया जाता है। इसके पश्चात् विभिन्न शासकीय विभाग इन कानूनों का क्रियान्वयन करते हैं। पूरे देश के कानून संसद में बनाए जाते हैं। संसद के बारे में आप अगले वर्ष पढ़ेंगे।

लोकतंत्र में विधायकों (एम.एल.ए.) के रूप में जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है और इस तरह शासन मुख्यतः जनता का ही होता है। फिर सत्ता पक्ष के सदस्य सरकार बनाते हैं और कुछ सदस्यों को मंत्री बनाया जाता है। ये मंत्री सरकार के विभिन्न विभागों के प्रभारी होते हैं, जैसे - ऊपर दिए गए उदाहरण में स्वास्थ्य विभाग। इन विभागों द्वारा जो भी कार्य किया जाता है, उसे विधायिका द्वारा अनुमोदित या स्वीकृत कराया जाता है।

विभाग का नाम उनके कार्यों के उदाहरण
स्कूल शिक्षा विभाग
लोक निर्माण विभाग
कृषि विभाग

वॉलपेपर की परियोजना

वॉलपेपर एक मज़ेदार गतिविधि है, जिसके माध्यम से रुचि के किसी विषय पर शोध किया जा सकता है। यहाँ जो तसवीरें दी गई हैं, वे कक्षा में वॉलपेपर बनाने के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करती हैं।

शिक्षिका चुने गए विषय का पूरी कक्षा को परिचय देती हैं और संक्षिप्त चर्चा करके कक्षा को कुछ समूहों में बाँट देती हैं। समूह उस मुद्दे पर चर्चा करता है और तय करता है कि वॉलपेपर में क्या-क्या रखना चाहेगाइ इसके बाद बच्चे अपने-आप या दो-दो की जोड़ी में इकही की गई सामग्री को पढ़ते हैं और अपने अनुभवों और विचारों को लिखते हैं। इसके वे कविताओं, कहानियों, साक्षात्कारों, विवरणों आदि की रचना कर सकते हैं।

जो भी सामग्री चुनी गई, बनाई गई या लिखी गई, उसे समूह के लोग मिलकर देख लेते हैं। वे एक-दूसरे के लिखे हुए को पढ़ते हैं और अपने सुझाव देते हैं। वे मिल कर यह तय करते हैं कि वॉलपेपर में क्या-क्या जाएगा और फिर उसका ले-आउट बनाते हैं। अपने शिक्षक की सहायता से पता लगाइए कि उपरोक्त शासकीय विभाग क्या काम करते हैं और उन्हें तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों में भरिए।

इसके बाद प्रत्येक समूह अपना वॉलपेपर पूरी कक्षा के सामने प्रस्तुत करता है। यह महत्वपूर्ण है कि समूह के एक से अधिक सदस्य को प्रस्तुत करने को कहा जाए और सभी समूहों को अपना काम बताने के बराबर का समय मिलो। जब सभी समूह अपना प्रस्तुतीकरण कर लें, तो समीक्षा के ऐसे प्रश्न पूछना अच्छा रहता है- अपने-आप वे और क्या-क्या कर सकते थे? क्या करने से उनका काम और ज्यादा व्यवस्थित हो जाता? लेखन और प्रस्तुतीकरण में सुधार के क्या किया जा सकता था?

सन् 2006 में डेंगू की महामारी के विषय में यह वॉलपेपर कक्षा 6 बी, केंद्रीय विद्यालय, क्रमाक 2, हिन्डन, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों ने बनाया था।

अपने राज्य की सरकार के कार्य से जुड़े किसी अन्य मुद्दे पर ऐसा ही वॉलपेपर निकालने की एक परियोजना करो, जैसे ज्वर की महामारी, कोई शिक्षा कार्यक्रम, कानून और व्यवस्था का कोई विषय, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम आदि।

अभ्यास

  1. निर्वाचन क्षेत्र व प्रतिनिधि शब्दों का प्रयोग करते हुए स्पष्ट कीजिए कि विधायक कौन होता है और उसका चुनाव किस प्रकार होता है?
  2. कुछ विधायक मंत्री कैसे बनते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  3. मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों द्वारा गए निर्णयों पर विधानसभा में बहस क्यों होनी चाहिए?
  4. पातालपुरम में क्या समस्या थी? निम्नलिखित के द्वारा इस विषय में क्या चर्चा या कार्य किए गए? निम्न तालिका में भरिए-

आम सभा

विधानसभा

प्रेसवार्ता

मुख्यमंत्री

  1. विधानसभा सदस्य द्वारा विधायिका में किए गए कार्यों और शासकीय

विभागों द्वारा किए गए कार्यों के बीच क्या अंतर है?

शब्द-संकलन

निर्वाचन क्षेत्र- इसका तात्पर्य एक निश्चित क्षेत्र से है, जहाँ रहने वाले सब मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनते हैं, उदाहरण के यह कोई पंचायत का वार्ड या वह क्षेत्र हो सकता है, जो विधानसभा सदस्य चुनता है।

बहुमत- इसका आशय ऐसी स्थिति से है, जब किसी समूह के आधे से अधिक संख्या में लोग किसी निर्णय या विचार से सहमत हों। इसे साधारण बहुमत भी कहा जाता है।

विरोधी पक्ष - इसका तात्पर्य उन चुने हुए प्रतिनिधियों से है, जो सत्ता पक्ष के सदस्य नही हैं और जिनकी भूमिका सरकारी निर्णयों और कार्यों पर प्रश्न उठाने और विधानसभा में विचार के नए मुद्दे उठाने की होती है।

प्रेसवार्ता - मीडिया से संबंधित पत्रकारों का ऐसा समूह, जिसे किसी विषय पर अपना पक्ष बताने और उस पर प्रश्न पछछने के आमंत्रित किया गया हो। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे मीडिया के माध्यम से इसके बारे में बड़े जनसमूह को बताएँगे।



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