अध्याय 06 सागर यात्रा (यात्रा वृत्तांत)

दस भारतीयों ने एक नौका में दुनिया का चक्कर लगाया था। उस नौका का नाम ‘तृष्णा’ था। यह पहला ऐसा भारतीय अभियान था जो विश्व यात्रा पर निकला था। उसी दल के एक सदस्य के यात्रा-वर्णन के कुछ अंश-

नौका पर जीवन

नौका पर जीवन अति व्यस्त था। हमारे पास स्वचालन की व्यवस्था नहीं थी अतः तृष्णा के चक्के (ब्हील) चौबीसों घंटे सँभालने के लिए आदमियों की ज़रूरत थी। हम हर घंटे बाद चक्का सँभालने का काम बदलते। एक चक्का सँभालता तो दूसरा जहाजों, द्वीपों और ह्रेल मछलियों आदि पर नज़र रखता।

जो लोग चौकसी से हटते वे अपने कपड़े बदलते, खाना खाते, पढ़ते, रेडियो सुनते और अपनी ड्यूटी के अन्य कार्य जैसे रेडियो की जाँच, इंजन की जाँच तथा व्यंजन सूची के अनुसार भोजन बनाने के लिए राशन देने का काम निबटाते। एक सदस्य ‘माँ की भूमिका’ (मदर वाच)

निभाता। उसे खाना पकाने, बर्तन माँजने, शौचालय की सफ़ाई जैसे काम करने पड़ते ताकि नौका स्वच्छ रहे।

‘माँ की भूमिका’ बारी-बारी से सबको करनी पड़ती। एकमात्र यही ड्यूटी ऐसी थी जिसके बाद आदमी पूरी रात आराम कर पाता। पाँच दिनों में केवल एक बार बारी आती और यदि मौसम ठीक रहता तो नींद आ पाती।

इस कठिन दिनचर्या के कारण शतरंज खेलने के लिए या किसी और मनोरंजन के लिए समय ही नहीं मिलता था और न ही बोरियत के लिए वक्त था। व्यस्तता खूब थी।

दिन में एक बार हम नौका पर ‘खुशी का घंटा’ बिताते।

अभियान दल के सभी सदस्य 16.00 बजे डेक पर आते और एक घंटा मिल-जुलकर बिताते। मदर वाच अधिकारी सबके लिए उनकी इच्छानुसार चाय-कॉफी बनाता या शीतल पेय देता। वह कुछ नाश्ता भी बनाता।

पानी की समस्या

एक बार बौछार आई, मैं बाहर को भागा, अपना शरीर तर किया और शरीर तथा बालों में साबुन लगा डाला। आकाश में बादल जमकर छाए थे और मुझे विश्वास था कि कुछ देर में पानी बरसेगा। अचानक वर्षा थम गई। मैंने पाँच मिनट और फिर दस मिनट तक प्रतीक्षा की लेकिन वर्षा का नामो-निशान नहीं था। साबुन की चिपचिपाहट और ठंडक के कारण समुद्री पानी में नहाने का फैसला किया। यह सबसे गलत काम था। गंदगी, साबुन और समुद्री जल ने मेरे शरीर पर एक मोटी, चिपचिपी और खुजलाहटवाली परत जमा दी, जो आसानी से छूटती नहीं है। मुझे उस परत को छुड़ाने के लिए कंघी और ब्रुश का सहारा लेना पड़ा। छाती, हाथ और पैरों पर उन्हें फेरने से ही छुटकारा मिला। नैतिक शिक्षा यही है कि जब नौका पर स्नान करना हो तो अपने पास पर्याप्त पानी रखो या विशेष समुद्री-जल साबुन का प्रयोग करो- समुद्री जल में साधारण साबुन का उपयोग मत करो।

नौका पर पहनने के लिए केवल दो जोड़ी कपड़े होने के कारण हमें उन्हें बार-बार धोना पड़ता। नौका पर कपड़े सुखाने के लिए हमने उसके चारों ओर एक तार बाँध रखा था जिसमें हम क्लिप लगाकर कपड़े सुखाते। तेज़ हवाओं के कारण अथवा पाल की रस्सियाँ बाँधते समय कभी-कभी कपड़े गायब भी हो जाते।

तूफानों का सामना

हम सब इस अभियान के खतरों को जानते थे। हमें यह भी ज्ञात था कि शायद हम कभी वापस न लौट सके, शुरू में ही हमें खराब मौसम का सामना करना पड़ा। हम रुकना नहीं चाहते थे,

इसलिए मरम्मत का काम चलती नौका में ही करने की ठानी। कैप्टन ऐसे मौसम में 15 मीटर ऊँचे मस्तूल पर चढ़े़ और उन्होंने एंटीना की मरम्मत की। यदि थोड़ी-सी भी असावधानी हो जाती तो वे आसानी से मस्तूल से टपककर समुद्र की गहराइयों में समा सकते थे।

मेडागास्कर के पास एक तूफ़ान आया और 12 मीटर ऊँची समुद्र की लहरें हमारी नौका पर टूट पड़ी और उसे पानी से भर दिया। अभियान दल के सदस्य अनेक बार समुद्र में गिर गए लेकिन सौभाग्य से उन्हें वापस नौका पर खींच लिया गया क्योंकि उन्होंने नौका से जुड़ी रस्सियों को अपनी बेल्ट से बाँध रा था।

केप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाते समय भी हम खतरनाक तूफ़ान से टकराए।

हवा की गति थी 120 किलोमीटर प्रति घंटा और समुद्री लहरों की ऊँचाई 15 मीटर। हर क्षण, मौत को आमंत्रण दे रहा था। हम केप से पाँच किलोमीटर दूर बह गए। हमें लगा कि हमारी नौका किसी चट्टान से टकराकर चूर-चूर हो जाएगी। हमने अपने जीवन रक्षक उपकरण खो दिए, रेडियो सैट बेकार हो गया, एरियल टूट गए और पूरी दुनिया से अगले 15 दिनों के लिए हमारा रेडियो संपर्क टूट गया। भारतीय समाचारपत्रों ने खबर छाप दी कि ‘तृष्णा’ लापता है, जिस कारण हमारे परिवारजन और मित्रगण बुरी तरह घबरा गए। एक दल हमारी तलाश में भेजा गया लेकिन वह असफल होकर लौट गया।

अनुभव बढ़ने के साथ हम नौका को निश्चित राह पर बनाए रखने में सफ़ल रहे।

मुंबई वापसी

प्रथम भारतीय नौका अभियान दल विश्व की परिक्रमा कर 54,000 किलोमीटर की दूरी मापकर 470 दिन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद, 10 जनवरी, 1987 को 6.00 बजे मुंबई बंदरगाह पहुँचा। जैसे ही तृष्णा के दस सदस्यीय अभियान दल ने गेटवे ऑफ इंडिया की सीढ़ियों पर कदम रखे, भीड़ खुशी से चिल्ला उठी, आतिशबाजी छोड़ी गई, बंदूकें दागी गईं और हमारे स्वागत में सायरन बजाए गए। हममें से कई अपने परिवारों से साढ़े पंद्रह माह से बिछुड़े हुए थे। ‘आपका स्वागत है, स्वागत है, पापा’, ‘हमें आपकी याद आती थी’ जैसे प्लेकार्ड हाथों में थामें हमारे बच्चों ने हमें सचमुच रुला दिया। लेकिन यहाँ केवल हमारे परिवार ही स्वागत में नहों खड़े थे बल्कि पूरा गेटवे ऑफ इंडिया मित्रों और शुभचिंतकों से अटा पड़ा था।

10 जनवरी, 1987 को तृष्णा पर ‘फर्स्ट डे कवर’ और स्मारक टिकिट जारी किए गए। उसके बाद तृष्णा को खींचकर पानी से बाहर निकाला गया और रेल के दो वैगनों पर लादा गया ताकि गणतंत्र दिवस परेड में उसे शामिल किया जा सके।

तृष्णा 6 दिनों में दिल्ली पहुँच गई किंतु हमारी समस्याएँ समाप्त नहीं हुईं। उसे उतारने के लिए लंबी भुजा वाली क्रेन चाहिए थी। दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर नौका ले जाने के लिए न केवल वृक्षों की डालियाँ छाँटनी पड़ीं बल्कि बिजली और टेलीफोन के तारों को भी ऊँचा उठाना पड़ा। पूरी रात मेहनत करने के बाद हम जैसे-तैसे 23 जनवरी को परेड की फुल ड्रेस रिहर्सल के लिए झाँकी तैयार कर सके। गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाली तृष्णा की झाँकी अब तक बनी सबसे बड़ी झाँकियों में से एक थी।

यह पहला अवसर था जब हममें से किसी ने गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया। हम सेना की टुकड़ी के अंग थे और 26 जनवरो को जब हम राजपथ से गुज़रे तो हमारा तालियों से ज़ोरदार स्वागत हुआ। सागर यात्रा की साहसिक एवं संवर्षपूर्ण स्मृति आज भी हमें रोमांचित कर देती है।

  • टी.सी.एस. चौधरी

अनुवाद- बृजमोहन गुप्त

अभ्यास

शब्दार्थ
भयान - लक्ष्य पाल (नौका) - नाव के मसूूल के सहारे
ताना जाने वाला कपड़ा
घालन - बिना किसी विशिष्ट प्रक्रिया
के अपने-आप चलना
जिसमें हवा भरने से नाव
चलती है।
करा निरंतर - लगातार

1. पाठ से

(क) सागर यात्रा में नौका को सँभालने के लिए हर समय एक व्यक्ति की ज़रूरत थी। क्यों?

(ख) वे लोग समुद्र की यात्रा कर रहे थे। समुद्र यात्रा में भी उन्हें पानी की समस्या क्यों हुई?

2 खतरे

“हम सब इस अभियान के खतरों को जानते थे।”

समुद्री यात्रा में उन यात्रियों को कौन-कौन से खतरों और परेशानियों का सामना करना पड़ा था?

3 माँ के काम

“एक सदस्य माँ की भूमिका निभाता”

(i) नौका पर ‘माँ’ की भूमिका निभाने वाला व्यक्ति कौन-कौन से काम करता था?

(ii) तुम्हारे विचार से उन कामों को माँ के कामों की उपमा क्यों दी गई होगी?

(iii) क्या तुमने कभी किसी के लिए ‘माँ की भूमिका’ निभाई है? यदि हाँ, तो बताओ

(क) तब तुमने कौन-कौन से काम किए थे?

(ख) वे काम क्यों और किसलिए किए थे?

(iv) तुम्हारी माँ या घर का अन्य कोई सदस्य सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक कौन-कौन से काम करता है? सूची बनाओ।

4 पानी की परेशानी

सागर के यात्रियों को पानी के कारण बहुत परेशानी होती थी। बताओ-

(क) उन्हें पानी के कारण क्या-क्या परेशानियाँ हुई?

(ख) क्या तुम्हारे आसपास भी पानी की समस्या होती है, उसके बारे में बताओ।

(ग) उस समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?

5. अपनी-अपनी यात्रा

तुमने अभी दस भारतीय यात्रियों की एक अनूठी यात्रा की कहानी पढ़ी, तुम भी अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की एक यात्रा के बारे में बताओ। तुम चाहो तो ये बातें बता सकते हो-

(क) वह यात्रा कहाँ की थी? कितने दिनों की थी? यात्रा कैसे की?

(ख) उसमें कौन-कौन सी समस्याएँ आईं?

(ग) उन समस्याओं को कैसे दूर किया गया?

(घ) उस यात्रा में किन-किन लोगों से मिले?

(ङ) कौन-कौन सी चीज़ें, पेड़-पौधे आदि पहली बार देखे?

6 विशेष जगहों के नाम

‘बंदरगाह’ समुद्र के किनारे की वह जगह होती है जहाँ पानी के जहाज़, नौकाएँ आदि ठहरते हैं। पता लगाओ इन जगहों पर क्या होता है-

(क) अस्तबल

(ख) हवाई-अड्डा

(ग) पोस्ट-ऑफिस

(घ) अस्पताल

(ङ) न्यायालय

(च) बाज़ार

7 गणतंत्र दिवस

‘तृष्णा’ को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया था। आपस में चर्चा करके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर खोज़ो-

(क) गणतंत्र दिवस किसे कहते हैं? यह किस दिन मनाया जाता है?

(ख) गणतंत्र दिवस के दिन क्या-क्या कार्यक्रम होते हैं?

(ग) दूरदर्शन या आकाशवाणी पर गणतंत्र दिवस परेड देखकर/सुनकर उसके बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो।

8 खेल

“इस कठिन दिनचर्या के कारण शतरंज खेलने के लिए समय ही नहीं मिलता था।” यदि उन नाविकों के पास समय होता तो वे नौका पर कौन-कौन से खेल खेल सकते थे? सूची बनाओ-

(क) शतरंज

(ख) ……………………

(ग) ……………………

(घ) ……………………

9. खुशी का घंटा

‘दिन में एक बार हम नौका पर ‘खुशी का घंटा’ बिताते’

यदि तुम्हें स्कूल में ‘खुशी का घंटा’ बिताने का मौका मिले, तो तुम उस एक घंटे में कौन-कौन से काम करना चाहोगे?

10 हिम्मतवाले

“हम सब इस अभिमान के खतरों को जानते थे, हमें यह भी ज्ञात था कि शायद हम कभी वापस

न लौट सकें।”

वे दस नाविक इतनी खतरनाक यात्रा के लिए क्यों निकले होंगे? आपस में चर्चा करो।

11 खोए हुए मोज़े की कहानी

तेज़ हवाओं के कारण कभी-कभी उन नाविकों के कपड़े उड़/खो जाते थे। मान लो, ऐसा ही एक मोज़ा तुम्हें अपनी कहानी सुनाना चाहता है। वह क्या-क्या बातें बताएगा, कल्पना से उसकी कहानी पूरी करोमैं एक मोज़ा हूँ। वैसे तो मैं हमेशा अपने भाई के साथ रहता हूँ।

12. छोटे-छोटे

“जो लोग चौकसी से हटते, वे अपने कपड़े बदलते, खाना खाते, पढ़ते, रेडियो सुनते और अपनी ड्यूटी के अन्य कार्य जैसे रेडियो की जाँच, इंजन की जाँच तथा व्यंजन सूची के अनुसार भोजन बनाने के लिए राशन देने का काम निबटाते।”

इस वाक्य को कई छोटे-छोटे वाक्यों के रूप में भी लिखा जा सकता है जैसे-

जो लोग चौकसी से हटते, वे अपने कपड़े बदलते। वे खाना खाते, पढ़ते और रेडियो सुनते। वे अपनी ड्यूटी के अन्य कार्य करते जैसे रेडियो की जाँच और इंजन की जाँच। वे व्यंजन सूची के अनुसार भोजन बनाने के लिए राशन देने का काम निबटाते।

तुम इसी प्रकार नीचे लिखे वाक्य को छोट-छोटे वाक्यों में बदलो-

प्रथम भारतीय नौका अभियान दल विश्व की परिक्रमा करके 54,000 किलोमीटर की दूरी मापकर 470 दिन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद 10 जनवरी, 1987 को 6.00 बजे मुंबई बंदरगाह पहुँचा।

13 सही उपसर्ग लगाओ-

अ, सु

ऊपर बॉक्स में दिए गए उपसर्ग लगाकर सार्थक शब्द बनाओ।

(क) सफल $\qquad$ + …………………. = ………………….

(ख) स्वागत $\qquad$ + …………………. = ………………….

(ग) विश्वास $\qquad$ + …………………. = ………………….

(घ) कन्या $\qquad$ + …………………. = ………………….

(ङ) पुत्र $\qquad$ + …………………. = ………………….

14 सही वाक्य

में, ने, को, का, के लिए, से, पर

तालिका में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों में भरो।

(क) सीमा …………. फल खाए।

(ख) रोहित $\cdots \cdots \cdots \cdots$ पेन नया है।

(ग) माँ-बच्चों ………….. मिठाई लाई।

(घ) हमने रस्सी …………. कपड़े सुखाए।

(ङ) मैंने बैग …………. किताबें रखीं।

(च) पौधों …………. गमलों में रखो।

(छ) केरल जम्मू …………. बहुत दूर है।



sathee Ask SATHEE

Welcome to SATHEE !
Select from 'Menu' to explore our services, or ask SATHEE to get started. Let's embark on this journey of growth together! 🌐📚🚀🎓

I'm relatively new and can sometimes make mistakes.
If you notice any error, such as an incorrect solution, please use the thumbs down icon to aid my learning.
To begin your journey now, click on

Please select your preferred language
कृपया अपनी पसंदीदा भाषा चुनें