अध्याय 08 सस्ते का चक्कर (एकांकी)

( छुटदी के घंटे की आवाज़, आठ-दस बच्चे एक दूसरे को धक्का देते हँसते, चिढ़ाते बैग लिए भागते हुए चले जाते हैं। बीच-बीच में स्टेज के अंदर से फेरीवालों की मज़ेदार लटके भरी आवाज़ें-चने कुरमुरे चटखारेदार, येई तरावटी आइसक्रीम, खट्टी गोलियाँ, ठंडा शरबत, नीबू-संतरे का…अजय और नरेंर्र आते हैं-उम्र नी-दस वर्ष अजय दुबला, नरेंद्र तगड़ा…लगातार चटर-मटर की आवाज़ करता नरेंर्र चूरन खा रहा है।)

नरेंद्र : अरे अजय! तू तो इस समय (नकल करके) रोज़ लेफ्ट-राइट, पाजामा ढीला टोपी टाइट-करता रहता है न! आज अभी कैसे? डंडी मार दी न बच्चू-कैसा पकड़ा? और ड्रामे से भी निकाल दिया क्या टीचर ने? ऐ?

अजय : नहीं, आज मम्मी की तबियत कुछ खराब थी, मैंने टीचर से कहा तो उन्होंने मुझे छुट्टी दे दी। मेरा पार्ट मुझे याद भी था न! मैंने सोचा मम्मी तो रोज़ मुझे चाय-नाश्ता कराती हैं, आज मैं घर जल्दी पहुँचकर उन्हें चाय बनाकर पिलाऊँ तो किती खुश होगी वह!

नरेंद्र : (बिना सुने) वाह! ले इसी बात पर चूरन खा-बड़ा मजे़दार है।

लेकिन एक बात बता यार! आखिर तू सारे दिन इतनी पढ़ाई-लिखाई, ड्रामा-डिबेट की मशक्कत आखिर काहे को करता है? ऐं मुझे देख-क्या मौज़ भरी जिंगी है-सैर सपाटा, खेल तमाशा। (इसके साथ ही एक आदमी थोड़े से लाली पॉप बेचता हुआ आता है-पचास पैसे में तीन लाली पॉप, पचास पैसे में तीन…)

नरेंद्र : (चौंककर) अरे सुना है तूने? पचास पैसे में तीन यानी एक रुपये में छह लाली पॉप! मज़ा आ गया…पर मेरे तो सारे पैसे ही खत्म हो गए, चूरन, चुस्की, आइसक्रीम ले ली-सुन, तेरे पास होंगे कुछ पैसे?

अजय : एक भी नहीं।

नरेंद्र : अरे उधार दे दे, उधार-कल पाँच पैसे ज़्यादा लौटा दूँगा। समझ क्या रखा है (रुक कर) सुन रिक्शे के तो होंगे?

अजय : हाँ हैं तो-पर रिक्शे के पैसों के लाली पॉप खरीद लूँ मैं? यह तो चीटिंग होगी।

नरेंद्र : अरे बाप रे! तू तो हरिशचंद्र जी का भी पड़दादा निकला। माँगे पैसे, देने लगा सीख! शुरू कर दी अपनी महाबोर स्पीच, मत दे, मत दे, ठीक-मैंने फीस नहीं दी। आज उसके पैसे तो हैं ही।

अजय : (समझाते हुए) देख नरेंद्य! तू हमेशा बिना सोचे समझे काम कर डालता है। मेरी बात मान, इस आदमी से लाली पॉप लेना बिल्कुल ठीक नहीं-मुझे लगता है या तो यह कहीं से चुराकर लाया है या कहीं से नुकसानदेह खराब माल उठा लाया है-मेरी मम्मी कहती है….

नरेंद्र : (बात काटकर) अरे! फिर तुझे तेरी मम्मी याद आ गई-मेरी बात मानेगा? तू ज़रा अपने दूसरे कान से भी तो कुछ काम लिया कर…

अजय : क्या मतलब?

नरेंद्र : (हँसकर) एक कान से सुनी, दूसरे कान से निकाल दी-समझा?

अजय : समझा! अब से तेरी बात के लिए ही यह दूसरा कान काम में लाऊँगा.. (दोनों ज़ोर से हँसते हैं)

नरेंद्र : सचमुच तू ज़रूरत से ज़्यादा सोचता है-इसी से (उँगली दिखाकर) दुबला सीकिया है-मुझे देख-हट्टा-कट्टा दारा सिंह का पट्डा-रुस्तमेहिंद ( हँसता है) अरे देख लाली पॉप वाला निकल गया तेरी बातों में अरे वो..वो जा रहा है, रुकना भाई। हाँ अजय, तू ठहर मैं अभी ले के आया। और हाँ मैंने अपने रिक्शे के पैसों की तो चूरन-चुसकी खा ली। प्लीज अपने साथ ही रिक्शे से लेते चलना मुझे-बस अभी आता हूँ.. (जाता है)

(अजय इधर-उधर टहलता बेसब्री से इंतजार करता है)

अजय : इस नरेंद्र को कभी अक्ल नहीं आयेगी। सब सड़ी-गली चीज़ें खाएगा और वार्षिक परीक्षाओं में बीमार पड़ेगा…आँटी डाँटती हैं तो फट झूठ बोल जाएगा-बेचारी आँटी-देख. ..अभी तक नहीं आया …

(दो-तीन बच्चे आते हैं)

पहला लड़का : अरे अजय! तू तो कब का टीचर से छुट्टी लेकर आया था, यहाँ क्या कर रहा है?

अजय

क्या करूँ, मुझे खुद इतनी देर हो रही है-नरेंद्र कब का उधर लाली पॉप लेने गया अभी तक आया ही नहीं-उसे मेरे रिक्शे में जाना है।

दूसरा लड़का : कौन नरेंद्र? उसे तो मैंने काफी देर पहले एक आदमी के साथ पीछे वाले आम के बगीचे में जाते देखा था-मैंने पूछा भी तो बोला इसके पास छुट्टे पैसे नहीं, वही लेने जा रहा हूँ…

तीसरा लड़का : अरे तू घर जा…नरेंद्र को जानता नहीं? उसके फेर में पड़ा तो अपनी भी शामत आई समझ। आता **है तो आ जा मेरे साथ तुझे तेरे घर छोड़ दूँगा।

अजय : (सोचते हुए) नहीं सुभाष! मुझे डर है कहीं वह आदमी कोई बदमाश तो नहीं… (लड़कों से) तुम लोग ज़रा आओ न-देखा जाए कहीं नरेंद्र…

पहला : ना बाबा ना, यह जासूसी हमें नहीं करनी वैसे ही देर हो गई है, मेरी मम्मी मानने वाली नही-अपन तो चले, नरेंद्र की नरेंद्र जानें, जैसा करेगा वैसा भरेगा, हम क्यों अपनी जान खतरे में डालें।

दूसरा : (तीसरे से) चल हम भी जल्दी चलें, नरेंद्र के फेर में कहीं भी आफत में फँसे तो खैर नहीं…बॉय अजय.. ( जाते हैं)

अजय : (थका, उदास-परेशान होकर इधर-उधर टहलता है) कहाँ गया नरेंद्र आखिर? अब तो बहुत देर हो गई, रास्ता भी सुनसान हो गया..स्कूल में भी कोई नहीं! किससे पूछूँ? (तभी) अरे! यह सरसराहट कैसी? आम के बगीचे से ही आ रही है। छुपकर बगीचे की ओर चलता हूँ आखिर नरेंद्र गया किधर? (जाता है)

(नरेंद्र की मम्मी रेखा, अजय की मम्मी मिसेज मोहता के घर आती हैं)

मिसेज मेहता : कौन रेखा जी? नमस्ते, आइए बैठिए।

रेखा : (घबरायी आवाज़ में) नहीं, बैठूगी नहीं बहन! मैं पूछने आयी हूँ कि क्या आपका अजय आ गया? मेरा नरेंद्र अभी तक स्कूल से नहीं लौटा…

मिसेज मेहता : आया तो अजय भी नहीं, पर उसे सालाना जलसे की प्रैक्टिस में देर हो जाया करती है, लेकिन आज मेरी तबियत भी ठीक नहीं थी। सुबह…अजय कह गया था टीचर से जल्दी छुट्टी माँग लूँगा…शायद टीचर ने छुट्टी नहीं दी और नरेंद भी उसके साथ रुक गया हो।

रेखा : नहीं बहन… नरेंद्र ज़रा शरारती है न। इसी से डर लग रहा है… देखिए एक बजे छुटी होती है, ढाई बज रहे हैं…

मिसेज मेहता : क्या सचमुच? मुझे तो दवा खाकर नींद आ गई थी, समय का पता ही नहीं चला, इतनी देर तो अजय को भी नहीं होनी चाहिए।

रेखा : (रोने के स्वर में) कुछ कीजिए जल्दी, मिसेज मेहता! हाय मेरा नरेंद्र…

मिसेज मेहता : घबराइए नहीं, रेखा जी-देखिए मेरा बेटा भी तो है लेकिन अजय पर तो मुझे पूरा विश्वास है…ठहरिए…रिक्शा लेकर चलते हैं…देर सचमुच काफ़ी हो गई है।

रेखा : (जल्दी से) आप आइए, तब तक मैं रिक्शा बुलाती हूँ। (रेखा रिक्शा बुलाने के लिए पीछे को ओर मुड़ती है, तब तक सामने देखकर खुशी से चीख पड़ती है।)

रेखा : आ गए! आ गए! बहन बच्चे, देखिए…

मिसेज मेहता : सच? अरे हाँ, पर दोनों के साथ ये पुलिस इंस्पेक्टर! (भारी बूट की आवाज़ के साथ इंस्पेक्टर आता है)

इंस्पेक्टर : (भारी आवाज़ में) मिस्टर मेहता का घर है यह?

मिसेज मेहता : जी-जी हाँ… कहिए! ये बच्चे आपको कहाँ मिले? इंस्पेक्टर (अजय की ओर संकेत कर)-बच्चा आपका है?

मिसेज मेहता : जी हाँ-अजय है इसका नाम… क्या किया इसने?

इंस्पेक्टर : आज तो इसने वो शाबाशी का काम किया है कि आप सुनेंगी तो गर्व से झूम उठेंगी…

मिसेज मेहता : क्या? मैं तो इस पर नाराज़ हो रही थी कि समय से घर नहीं लौटा।

इंस्पेक्टर : (हँसकर) आज अजय ने अपने इस दोस्त-क्या नाम है इसका- नरेंद्र की जान बचाई है और एक बड़े गिरोह के सरदार को पकड़वाया है।

मिसेज मेहता : ओह! वो कैसे इंस्पेक्टर साहब?

इंस्पेक्टर : अब ये सब तो आप खुद अजय से सुनिए-हाँ सुना दो बेटे…?

अजय : मम्मी! आज मैंने टीचर से जल्दी छुट्टी माँग ली कि तुम्हारी तबियत खराब है, पर बाहर आया तो नरेंद्र मिल गया। फाटक पर एक आदमी पचास पैसे में तीन लाली पॉप बेच रहा था। मैंने नरेंद्र को मना किया, पर यह इतने सस्ते लाली पॉप सुनकर अपने को रोक नहीं पाया…चला गया…(साँस लेने को रुकता है)

रेखा : फिर?

अजय : फिर आंटी, मैं बहुत देर तक खड़ा रहा। सब ओर सुनसान हो गया-तब दूर पर मुझे कुछ सरसराहट मालूम हुई। इसके पहले मेरे एक दोस्त ने बताया था कि नरेंद्र आम के बगीचे की तरफ़ लाली पॉप वाले से छुटेटे पैसे लेने गया है।

रेखा : तो … फिर तूने क्या किया बेटे?

अजय : मैं छुपते-कुपते दबे पाँव बगीचे में गया तो नरंद्र का बैग पड़ा मिला, देखकर मैं हैरान रह गया। मुझे शक हुआ-तभी देखा तो दूर पर वही आदमी एक बड़ा-सा थैला पीठ पर रखे काली-भूरी चैक की चादर ओढ़े चला जा रहा था…मम्मी मुझे तुम्हारी सुनाई उन बदमाशों की कहानियाँ याद हो आईं जो बच्चों को उठाकर ले जाते हैं…रास्ता सूना था, इसलिए मैं चुपचाप उसके काफी पीछे बिना आवाज़ किए चलता रहा।

मिसेज मेहता : फिर?

अजय : चलते-चलते मेरे पैर बिलकुल थक गए…तभी वह आदमी अचानक एक सुनसान पतली सड़क पर मुड़ गया.. मेरी समझ में नहीं आया क्या करूँ. ..तभी देखा तो सीधी सड़क पर कुछ दूर पर पुलिस स्टेशन की लाल इमारत दिखाई दी। मैं समझ गया कि तभी यह आदमी सँकरी सड़क पर

मुड़ गया…मेरा शक पक्का हो गया। मैं पूरी तेज़ी से दौड़ा और…और इंस्पेक्टर साहब को… (हाँफने लगता है)

इंस्पेक्टर : वाह अजय बेटे वाह! सुना आपने मिसेस मेहता…

रेखा : अजय मेरे बेटे, आज तू न होता तो नरेंद्र का क्या हाल होता? (सिसकी)

मिसेज मेहता : (हँसकर) अरे तो दोस्त होकर इतना भी न करता रेखा बहन, फिर दोस्ती का मतलब ही क्या रहा, अगर मुसीबत में दोस्त दोस्त के काम न आए।

रेखा : नहों, आज मैं अपने साथ बाजार ले जाऊँगी अजय को। और इसे इसके मन का शानदार इनाम खरीदूँगी।

इंस्पेक्टर : शानदार इनाम तो अजय को प्रधानमंत्री से मिलेगा।

सब (एक साथ) : क्या?

इंस्पेक्टर : जी हाँ, हर साल हमारी सरकार देश के बहादुर बच्चों को उनके साहसिक कार्य के लिए पुरस्कार देती है-इस बार अजय का नाम उनमें होगा। अच्छा तो आज्ञा दीजिए…आओ अजय बेटे, एक बार फिर पीठ ठोंक दूँ तुम्हारी!

अजय : थैंक्यू इंस्पेक्टर साहब…पर अभी तो आपकी पहली बार की ठोंकी हुई ही मेरी पीठ दर्द कर रही है…

मिसेज मेहता : (प्यार से) चुप (सब हँसते हैं)!

शब्दार्थ
लटके भरी - नाटकीय ढंग की आवाज़
चूरन - खट्टे-मीठे पदार्थों का खाने योग्य चूर्ण
तबियत - स्वास्थ्य
मशक्कत - मेहनत
शामत - आफ़त, मुसीबत
जलसा - समारोह

1 पाठ से

(क) नरेंद्र के सारे पैसे क्यों खत्म हो गए?

(ख) अजय ने नरेंद्र को क्या और क्यों समझाया?

(ग) अजय के अन्य दोस्तों ने नरेंद्र के बारे में क्या कहा और क्यों?

2 क्या होता?

(क) अगर नरेंद्र के पास फ़ीस के पैसे न होते?

(ख) अगर नरेंद्र अजय की यह बात मान लेता कि इस आदमी से लाली पॉप लेना बिल्कुल ठीक नहीं।

(ग) अगर अजय तीसरे लड़के की यह बात मान लेता कि “अरे तू घर जा नरेंद्र को जानता नहीं?”

(घ) अगर नरेंद्र की मुलाकात छुट्टी के बाद अजय से नहीं होती?

3 विश्वास और डर

“नरेंद्र ज़रा शरारती है न इसी से डर लग रहा है।”

(क) नरेंद्र की माँ रेखा अजय की माँ से ऐसा क्यों कहती है?

(ख) नरेंद्र में ऐसा कौन-सा गुण होता जिससे उसकी माँ नहीं डरती और अजय की माँ से यह नहीं कहती कि नरेंद्र ज़रा शरारती है।

“घबराइए नहीं, रेखा जी-देखिए मेरा बेटा भी तो है लेकिन अजय पर तो मुझे पूरा विश्वास है”

(ग) अजय की माँ नरेंद्र की माँ से ऐसा क्यों कहती है?

4 सैर-सपाटा, खेल-तमाशा

पढ़ने-लिखने या अन्य काम करने के लिए भी अच्छे स्वास्थ्य का होना ज़रूरी है। इसलिए लोग सैर-सपाटा और खेल-तमाशे पर भी ध्यान देते हैं। अब तुम बताओ कि

(क) तुम या तुम्हारे दोस्त सैर-सपाटे के लिए क्या-क्या करते हैं?

(ख) तुमने अब तक जिन-जिन खेल-तमाशों में भाग लिया है या उसे देखा है, उसकी सूची बनाओ।

5 बनाना

“मैंने सोचा मम्मी तो रोज़ मुझे चाय-नाश्ता कराती है, आज मैं घर जल्दी पहुँचकर उसे चाय बनाकर पिलाऊँ।”

ऊपर के वाक्य को पढ़ो और बताओ कि-

(क) क्या तुम चाय बनाना जानते हो? और क्या-क्या बनाना जानते हो?

(ख) अगर तुम अपने खाने-पीने की कोई भी चीज़ बनाना नहीं जानते तो तुम्हें जो चीज़ सबसे अधिक पसंद हो, उसको बनाना सीखो और उसकी विधि को लिखकर बताओ।

6 पता करो

नीचे तालिका दी गई है। पता करो कि खाने की उन चीज़ों में कौन से पोषक तत्व होते हैं। उसे तालिका में लिखो।

क्रम सं. खाने की चीज़ों पोषक तत्व
(क) पालक ………………………………
(ख) गाजर ……..
(ग) दूध …………
(घ) संतरा ………………………………
(ङ) दालें …………………………………

7 मुहावरे की बात

नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं जिनमें उपयुक्त मुहावरे भरने से ही वह पूरा हो सकता है। उन्हें पूरा करने के लिए मुहावरे भी दिए गए हैं। तुम सही मुहावरे से वाक्य पूरे करो।

आग बबूला होना, सकपकाना, दबे पाँव, शामत आना, पीठ ठोकना

(क) चोर $ \qquad $ घर में घुस आया।

(ख) देर से आने पर मम्मी $ \qquad $ गईं।

(ग) सरसराहट की आवाज़ सुनकर अजय $ \qquad $ ।

(घ) ऊधम मचाने पर बच्चों की $ \qquad $ ।

(ङ) नरेंद्र की जान बचाने पर उसकी मम्मी ने अजय की $ \qquad $

8 तुम्हारा स्कूल

(i) तुम्हारे स्कूल में जो गतिविधि कराई जाती हो और वह इस तालिका में हो तो उसके सामने $(\checkmark)$ या $(x)$ का निशान लगाओ।

क्रम सं. गतिविधि $\checkmark$ या $\times$
(क) नाटक $\ldots \ldots \ldots \ldots \ldots . . .$.
(ख) खेल-कूद $\ldots \ldots \ldots . . . . . . .$.
(ग) गीत-संगीत $\ldots \ldots . . . . . . . .$.
(घ) नृत्य $\ldots \ldots \ldots . . . . . .$.
(ङ) चित्रकला $\ldots \ldots \ldots . . . .$.


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