अध्याय 16 बूढ़ी अम्मा की बात (लोककथा)

एक था किसान। गोमा मोरी नाम था उसका। गुजर-बसर लायक खेती थी। एक गाय, एक जोड़ी बैल, बीस बकरियाँ थीं। छोटा-सा घर। घर के सामने पशु बाँधने का बाड़ा। तीन साल से वर्षा बहुत कम हुई थी। न फसलें हुईं थीं न चारा। इस वर्ष भी आषाढ़ सूखा ही रह गया। वर्षा की कोई आशा नही बँधी थी। “खेत जोतकर क्या करूँगा?” गोमा ने एक लंबी साँस छोड़ी और मन ही मन सोचा। वह बैलों को हाँकते हुए वापिस घर की ओर चल पड़ा।

अगले दिन गोमा बड़े सवेरे सोकर उठा। गाय, बैल व बकरियों को बाड़े से निकाला। उसकी पत्नी बकरियों को घेरकर उन्हें चराने चली गई। उसने फिर हिम्मत बटोरी और हल को बैलों के कँधे पर रखकर चल पड़ा खेतों की ओर। रास्ते में उसे कई किसानों ने टोककर कहा कि “गोमा! खेत जोतने से क्या होगा? वर्षा के तो कुछ भी आसार नहीं दिख रहे।” गोमा ने सब की बात सुनी। कई बार उसका मन डाँवाडोल भी हुआ फिर भी उसने हिम्मत रखी और कुछ सोचकर खेत पर पहुँच गया।

उसने आकाश की ओर देखा। सूरज आग के गोले की तरह जल रहा था। उसने धरती को भी निहारा। खेतों में गहरी और चौड़ी दरारें पड़ गई थीं। वह बैलों को देखकर उनकी दशा से भी चिंतित था। भूख-प्यास सहन करते-करते वे बहुत दुबले हो गए थे। वह थोड़ा निराश भी हुआ। उसे बैलों की दशा पर दया हो आई। उसने फिर एक लंबी साँस छोड़ी और खेत की मेंड़ पर एक वृक्ष के नीचे बैठकर सोचने लगा। क्या करे वह? खेत जोते या उसे यों ही पड़ा रहने दे। वह सोचता रहा। थोड़ी देर बाद वह उठा और दुखी मन से बैलों को हाँककर घर की

राह पकड़ ली। उसने निर्णय कर लिया कि वह तब तक खेत नहीं जोतेगा जब तक कि वर्षा नहीं हो जाती।

धूप काफी तेज थी। दूसरे दिन वह और भी निराश हो गया। उसके पैर न आगे बढ़ते थे और न पीछे जाने की उनमें हिम्मत ही थी। रास्ते में एक पेड़ के नीचे उसने बैलों को रोका और वहीं नीचे जमीन पर बैठ गया।

तभी वहाँ पर एक बूढ़ी अम्मा आ गई। वह भी उसी पेड़ के नीचे बैठ गई। गोमा ने पूछा, “अरी ओ बूढ़ी अम्मा! कहाँ से आ रही हो इतनी तेज धूप में? तुम्हें किधर जाना है?” बूढ़ी अम्मा ने कहा, “मैं तो अपनी नातिन से मिलने पास के गाँव जा रही हूँ। लेकिन तुम इस समय यहाँ क्या कर रहे हो? यह समय तो खेत में हल जोतने का है।

लेकिन तुम यहाँ आराम कर रहे हो। क्या तुम बीमार हो या तुम्हारे बैल बीमार हैं। कहीं तुम्हारा हल टूट तो नहीं गया है?”

गोमा बोला-“नहीं अम्मा! न तो मैं बीमार हूँ और न ही मेरे बैल बीमार हैं? मेरा हल भी नहीं टूटा है। टूटी है तो मेरी हिम्मत। अम्मा तुम तो जानती हो तीन साल से वर्षा ठीक से नहीं हुई है। इस वर्ष भी यही हाल है। खेत जोतकर क्या करूँ?”

बूढ़ी अम्मा बोली-“देखो बेटा! वर्षा तुम्हारे हाथ में नहीं है। यह तो प्रकृति पर निर्भर है। जब बादल बनेंगे तो वर्षा अवश्य होगी। तुम्हारा काम है खेत जोत-जोतकर तैयार करना। तुम अपना काम समय पर करो। प्रकृति अपना काम अवश्य समय पर करेगी। वर्षा अवश्य होगी।”

गोमा पुनः बूढ़ी अम्मा से बोला-“अम्मा खेत बहुत कठोर हो गए हैं। मेरे बैल दुबले हैं, इन्हें पेटभर चारा तक नहीं मिल रहा है। पीने के लिए पानी तक की दिक्कत है। चारा-पानी ही क्या यहाँ तो पेड़ों की पत्तियाँ तक खत्म हो गई हैं। बेचारे बैल कैसे हल खींचें? वर्षा की आस हो तो हिम्मत भी बँधे।” गोमा ने निराश मन से अपनी बात कही।

बूढ़ी अम्मा बोली-“बेटा! तुम निराशा की बात मत करो। पेड़ों की बात भी तुमने खूब कही। पेड़ तो यहाँ सब लोग काट रहे हैं। देखो अब पेड़ भी कहाँ बचे हैं? जब पेड़ ही नहीं होंगे तो पत्तियाँ कहाँ से आएँगी? अगर पेड़ अधिक होते तो वर्षा भी अवश्य हो जाती। सारे जंगल से पेड़ों की कटाई जारी है। पेड़ नहीं होंगे तो हरियाली कहाँ से होगी? हरियाली नहीं तो वर्षा भी नहीं। लेकिन जो हुआ सो हुआ। अब तो तुम लोग पेड़ों पर ध्यान दो। तुम निराश मत होओ। खेतों में हल चलाओ। उन्हें हाँक-जोत कर बोने के लिए तैयार करो। इस मौसम में कभी न कभी तो वर्षा अवश्य होगी।” बूढ़ी अम्मा ने मुसकराकर गोमा की हिम्मत बढ़ाई। वह उठी और लकड़ी टेकती हुई अपनी राह चल दी।

वैसे तो गोमा मन से निराश था मगर बूढ़ी अम्मा की बातों से उसकी थोड़ी आशा बढ़ी। अगले दिन उसने पूरे उत्साह से अपना खेत जोतना शुरू कर दिया। उसने लगातार चार दिन तक हल चलाया। खेत खूब अच्छी तरह तैयार हो गए। गोमा अपना काम पूरा करके बहुत प्रसन्न था। अब वह बैलों को हाँकते हुए घर की ओर चल पड़ा। पूरी राह वह गुनगुनाता रहा। उस रात उसे नींद भी

अच्छी तरह आई। चार दिन की कड़ी मेहनत के कारण वह निढाल होकर सोया। सवेरे जब वह सोकर उठा तो गाय रंभा रही थी। बकरियाँ मिमिया रही थीं। सवेरे-सवेरे अपने पशुओं की ये आवाज़ें सुनने के लिए उसके कान तरस गए थे। वह पुलककर उठा। उसकी पत्नी ने आँगन से आवाज़ लगाई। अजी सुनते हो! बाहर तो आओ। वर्षा होने वाली है। गोमा झटपट बाहर आया। उसने देखा मौसम बहुत सुहाना हो गया है। आसमान में बादल घुमड़ आए थे। उसने बादलों को जी भरकर निहारा। उसे लगा बाहर आया। उसने देखा मौसम बहुत सुहाना हो गया है। आसमान में बादल घुमड़ आए थे। उसने बादलों को जी भरकर निहारा। उसे लगा बाहर आया। उसने देखा मौसम बहुत सुहाना हो गया है। आसमान में बादल घुमड़ आए थे। उसने बादलों को जी भरकर निहारा। उसे लगा बाहर आया। उसने देखा मौसम बहुत सुहाना हो गया है। आसमान में बादल घुमड़ आए थे। उसने बादलों को जी भरकर निहारा। उसे लगा

बाहर आया। उसने देखा मौसम बहुत सुहाना हो गया है। आसमान में बादल घुमड़ आए थे। उसने बादलों को जी भरकर निहारा। उसे लगा

मानो बादलों से बूढ़ी अम्मा की मुसकुराती हुई आकृति उभर आई हो। उसे बूढ़ी अम्मा की बात रह-रहकर याद आ रही थी। उसने मन ही मन बूढ़ी अम्मा को प्रणाम किया और सोचा कि वह ठीक ही कह रही थी कि तुम अपना काम समय पर करो। बादल बरसने लगे। आँगन तर-बतर हो गया। गोमा को लगा मानो बूढ़ी अम्मा उससे कुछ कह रही हों। वह बूढ़ी अम्मा से कुछ कहना चाहता था। तभी बारिश और तेज़ हो गई।

अभ्यास

शब्दार्थ
निहारना - गौर से देखना
हाँकना - चलाना
हल जोतना - खेत जोतना
आस - उम्मीद, आशा
घुमड़ना - बहुत से बादलों का आसमान में छा जाना
तर-बतर - भीगा हुआ, सराबोर
डाँवाडोल - अस्थिर, करने न करने की स्थिति
मेंड़ - खेत की हदबंदी, सिंचाई आदि के लिए उसके इर्द-गिर्द बनाया हुआ मिट्टी का घेरा
नातिन - बेटी की बेटी
निर्भर - आश्रित, सहारे पर टिका हुआ

1. पाठ से

(क) लोककथा में गोमा बिना खेत जोते अपने बैलों को हाँककर घर की ओर क्यों चल पड़ा?

(ख) गोमा को पेड़ के नीचे बैठा देखकर बूढ़ी अम्मा ने उससे क्या कहा?

(ग) गोमा ने अपने खेतों को क्यों जोता?

2. क्या होता अगर

(क) गोमा खेतों को तैयार न करता?

(ख) गोमा को बूढ़ी अम्मा नहीं मिलती?

(ग) बूढ़ी अम्मा की बात पर गोमा ध्यान न देता?

(घ) इस साल भी वर्षा न होती?

3. वर्षा कैसे हो!

(क) बूढ़ी अम्मा ने वर्षा न होने का क्या कारण बताया था?

(ख) क्या तुम बूढ़ी अम्मा की बात से सहमत होते? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।

4. गाँव और पशु

(क) “इस वर्ष भी आषाढ़ सूखा ही रहा।"

लोककथा से जाहिर होता है कि गोमा के गाँव में तीन साल से वर्षा नहीं हुई थी। वर्षा न होने के कारण उनके गाँव के बैलों, खेतों और पेड़ों में क्या बदलाव आए होगे?

(ख) “सवेरे-सवेरे अपने पशुओं की ये आवाज़ें सुनने के लिए उसके कान तरस गए थे।” गोमा ने बहुत समय बाद अपने पशुओं की वे आवाज़ें सुनी थीं। क्यों?

5. सोचने की बात

बूढ़ी अम्मा ने कहा, “वर्षा अवश्य होगी।”

(क) तुम्हारे विचार से बूढ़ी अम्मा ने गोमा से यह बात क्यों कही?

(ख) क्या उन्हें मालूम था कि इस साल वर्षा होगी? या उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर केवल अंदाजा लगाया था?

(ग) वर्षा और पेड़ों के संबंधों के बारे में सोचो। पाँच-पाँच बच्चों के समूह बनाकर इस बारे में बातचीत करो। फिर सबको अपने समूह के विचार बताओ।

6. कैसा था गोमा

सही शब्दों पर गोला लगाओ-

कामचोर, आलसी, मेहनती, भोला-भाला, मूर्ख, समझदार, गरीब, अमीर, कमज़ोर,

लगन का पक्का

अब अपने उत्तर का कारण नीचे लिखो

मेरे विचार से गोमा व्यक्ति था क्योंकि. $ \qquad $ $ \qquad $

7. डाँवाडोल

“कई बार उसका मन डाँवाडोल भी हुआ।”

गोमा खेतों में काम करने जा रहा था। कई बार उसने घर लौट जाने की बात भी सोची। तुम्हारा मन भी ज़रूर कभी डाँवाडोल होता होगा? ऐसा कब-कब होता है? अपने ढंग से सोचकर इस सूची को पूरा करो।

(क) जब खूब नींद आ रही हो और दोस्त खेलने को बुलाने लगे।

(ख) ……………………………………………………………………..

(ग) ……………………………………………………………………..

(घ) ……………………………………………………………………..

(ङ) ……………………………………………………………………..

8. खेती

इस लोककथा में खेती से संबंधित अनेक शब्द आए हैं। उनकी सूची बनाओ। फिर उन्हें वर्णमाला के क्रम से लिखो।

9. तुम्हारी लोककथा

यह मालवा (मध्यप्रदेश) की एक लोककथा है। तुम्हारे प्रांत की भाषा/बोली में भी कुछ लोककथाएँ होंगी जिसे लोग सुनते-सुनाते होंगे। उनमें से तुम अपनी पसंद की किसी लोक कथा को अपनी कॉपी में लिखो और अपने मित्रों को सुनाओ।

10. किसका काम

तुम गीत-गाने, किस्सा-कहानी को सुनने के अलावा फ़िल्में भी देखते होगे। अब तुम पता करो कि-

(क) लोकगीतों और लोककथाओं को कौन-कौन लोग बनाते और गाते हैं?

(ख) क्या लोककथाओं पर भी नाटक या सिनेमा बना है? कुछ के नाम बताओ।

ऊपर के काम में तुम बड़ों से भी मदद ले सकते हो।

11. अपनी भाषा

नीचे लिखे वाक्यों को अपने ढंग से सार्थक रूप में तुम जिस तरह भी लिख सकते हो वैसे लिखो।

(क) उसने बादलों को जी भर निहारा।

(ख) वर्षा की कोई आशा नहीं बँध रही थी।

(ग) गोमा ने फिर हिम्मत बटोरी।

(घ) उसने घर की राह पकड ली।

(ङ) वर्षा बरसाना तुम्हारे हाथ में नहीं है।

12. बहुमूल्य सामान

खेती से प्राप्त होने वाले बहुमूल्य सामानों की सूची बनाओ और उस सूची में से जो सामान तुम्हारे प्रदेश की खेती से प्राप्त होता है उसका भी अलग से उल्लेख करो।



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