अध्याय 07 सूचकांक

1. प्रस्तावना

पिछले अध्यायों में आपने पढ़ा कि आँकड़ों के समूह से संक्षिप्त मापों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। अब आप पढ़ेंगे कि संबंधित चरों के समूह में परिवर्तन के द्वारा संक्षिप्त मापों को कैसे प्राप्त करें।

रवि काफी समय के बाद बाज़ार जाता है। वह देखता है कि अधिकांश वस्तुओं की कीमतें परिवर्तित हो चुकी हैं। कुछ वस्तुएँ महँगी हो गई हैं तो कुछ वस्तुएँ सस्ती। वह बाज़ार से खरीद कर लाई गई प्रत्येक वस्तु की परिवर्तित कीमतों के बारे में अपने पिताजी को बताता है। यह दोनों के लिए ही विस्मयकारी था।

औद्योगिक क्षेत्र के अंतर्गत कई उपक्षेत्रक भी आते हैं। इनमें से प्रत्येक में परिवर्तन हो रहा है। कुछ उपक्षेत्रकों में उत्पादन बढ़ रहा है, जबकि कुछ में घट रहा है। ये परिवर्तन एकरूप नहीं हैं। व्यष्टि दरों में परिवर्तन के वर्णन को समझना कठिन होगा। क्या कोई एकल संख्या इन परिवर्तनों को प्रस्तुत कर सकती है? निम्नलिखित उदाहरणों को देखें:

उदाहरण 1

एक औद्योगिक श्रमिक 1982 में 1000 रु वेतन प्राप्त करता था। आज उसकी आय 12000 रु है। क्या ऐसा कहा जा सकता है कि इस अवधि में उसके जीवन-स्तर में 12 गुना सुधार आया है? उसके वेतन को कितना बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि उसका जीवन स्तर वैसा हो जाय, जैसा पहले था?

उदाहरण 2

आप समाचार-पत्रों में सेंसेक्स के बारे में अवश्य ही पढ़ते होंगे। सेंसेक्स का 8000 का अंक पार करना, वास्तव में सुखद अहसास कराता है। हाल ही में, जब सेंसेक्स 600 अंक नीचे गिरा तो निवेशकों की संपत्ति में $1,53,690$ करोड़ रु का भारी नुकसान हुआ। यथार्थ में सेंसेक्स है क्या?

उदाहरण 3

सरकार कहती है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति दर में तेजी से वृद्धि होगी। मुद्रास्फीति की माप कैसे की जाती है?

ये ऐसे प्रश्नों के कुछ उदाहरण हैं जिनसे आपका सामना प्रतिदिन होता रहता है। सूचकांक के अध्ययन से इन प्रश्नों का विश्लेषण करने में सहायता मिलती है।

2. सूचकांक क्या है?

सूचकांक संबंधित चरों के समूह के परिमाण में परिवर्तनों को मापने का एक सांख्यिकीय साधन है। यह अपसारित (भिन्न-भिन्न दिशाओं में) होने वाले अनुपातों की सामान्य प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जिनसे इसको परिकलित किया जाता है। यह दो भिन्न स्थितियों में संबंधित चरों के किसी समूह में औसत परिवर्तन का एक माप है। तुलना समान वर्गों में की जा सकती है जैसे व्यक्तियों, स्कूलों, अस्पतालों आदि में। सूचकांक उल्लिखित वस्तुओं की सूची में कीमतों, उद्योग के विभिन्न क्षेत्रकों में उत्पादन की मात्रा, विभिन्न कृषि फसलों का उत्पादन, निर्वाह खर्च आदि चरों के मूल्यों में परिवर्तन को भी मापता है।

परंपरागत रूप से, सूचकांकों को प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। दो अवधियों में से, जिस अवधि के साथ तुलना की जाती है, उसे आधारअवधि के रूप में जाना जाता है। आधार-अवधि में सूचकांक का मान 100 होता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि 1990 के स्तर से 2005 में कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है, तब 1990 आधार बन जाता है। किसी भी अवधि का सूचकांक इसके अनुपात में होता है। अतः 250 का सूचकांक यह इंगित करता है कि मूल्य, आधार अवधि के मान का ढाई गुना है।

कीमत-सूचकांक कुछ वस्तुओं की कीमतों की माप करता है जिससे उनकी तुलना संभव हो पाती है। परिमाणात्मक सूचकांक उत्पादन की भौतिक मात्रा, निर्माण तथा रोज़गार में परिवर्तन को मापता है। यद्यपि कीमत-सूचकांकों का प्रयोग अधिकांश रूप से किया जाता है, उत्पादन सूचकांक भी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के स्तर का महत्वपूर्ण सूचक होता है।

3. सूचकांक की रचना

निम्नलिखित खंडों में सूचकांक की रचना के सिद्धांतों को कीमत-सूचकांक के माध्यम से उदाहरण सहित समझाया जाएगा।

निम्नलिखित उदाहरण देखें:

उदाहरण 1

सरल समूहित कीमत सूचकांक का परिकलन

सारणी 7.1

वस्तु आधार अवधि कीमत (रु) वर्तमान अवधि कीमत (रु) प्रतिशत परिवर्तन
A 2 4 100
B 5 6 20
C 4 5 25
D 2 3 50

जैसा कि आप इस उदाहरण में देखते हैं, प्रत्येक वस्तु के लिए प्रतिशत परिवर्तन भिन्न-भिन्न है। यदि सभी चारों वस्तुओं के लिए प्रतिशत परिवर्तन एक समान रहता, तो परिवर्तनों की व्याख्या करने के लिए केवल एक माप ही पर्याप्त होता। तथापि प्रतिशत परिवर्तनों में भिन्नता होती है तथा प्रत्येक मद के लिए प्रतिशत परिवर्तन को रिपोर्ट करना भ्रामक होगा। ऐसा तब होता है जब वस्तुओं की संख्या बहुत अधिक होती है, जो किसी भी वास्तविक बाज़ार स्थिति में सामान्य है। कीमत-सूचकांक इन परिवर्तनों को एकल संख्यात्मक माप के द्वारा प्रस्तुत करता है।

सूचकांक की रचना करने की दो विधियाँ हैं। इन्हें समूहित विधि के द्वारा तथा सापेक्षों के माध्य परिकलन विधि के द्वारा अभिकलित किया जा सकता है।

समूहित विधि ( Aggregative Method)

एक सरल समूहित कीमत-सूचकांक के लिए सूत्र है,

$$ \mathrm{P} _{01}=\frac{\Sigma \mathrm{P} _{1}}{\Sigma \mathrm{P} _{0}} \times 100 $$

यहाँ पर $\mathrm{p} _{1}$ तथा $\mathrm{p} _{0}$ क्रमशः वर्तमान अवधि तथा आधार अवधि में वस्तुओं की कीमत को इंगित करता है। उदाहरण 1 के आँकड़ों का प्रयोग करते हुए सरल समूहित कीमत सूचकांक है,

$$ \mathrm{P} _{01}=\frac{4+6+5+3}{2+5+4+2} \times 100=138.5 $$

यहाँ यह कहा जाता है कि कीमतों में 38.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

क्या आप जानते हैं कि इस प्रकार के सूचकांकों का उपयोग सीमित होता है। इसका कारण यह है कि विभिन्न वस्तुओं की कीमतों के माप की इकाइयाँ समान नहीं होती हैं। यह अभारित (सूचकांक) है, क्योंकि इसमें मदों का सापेक्षिक महत्व उपयुक्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं होता है। यहाँ सभी मदों को बराबर महत्व या भार वाला माना जाता है। लेकिन वास्तव में क्या होता है? वास्तव में, क्रय की गई मदों के महत्व के क्रम में भिन्नता होती है। हमारे व्यय में खाद्य पदार्थों का अनुपात काफी अधिक होता है। ऐसी स्थिति में अधिक भार वाली मद की कीमत में तथा कम भारवाली मद की कीमत में समान वृद्धि के द्वारा कीमत सूचकांक में होने वाले कुल परिवर्तन के आशय भिन्न-भिन्न होंगे।

भारित कीमत सूचकांक के लिए सूत्र है,

$\mathrm{P} _{01}=\frac{\Sigma \mathrm{P} _{1} \mathrm{q} _{0}}{\Sigma \mathrm{P} _{0} \mathrm{q} _{0}} \times 100$

कोई सूचकांक तब भारित सूचकांक बन जाता है, जब मदों के सापेक्षिक महत्व को ध्यान में रखा जाता है। यहाँ भार परिमाणात्मक भार है। भारित समूहित सूचकांक की रचना में कुछ विशेष वस्तुओं को लिया जाता है तथा इनके मूल्य को प्रतिवर्ष परिकलित किया जाता है। इस प्रकार, यह वस्तुओं के एक निश्चित समूह के मूल्यों में होने वाले परिवर्तन को मापता है। क्योंकि वस्तुओं के निश्चित समूह के कुल मूल्य में परिवर्तन होता है, यह परिवर्तन कीमत में परिवर्तन के कारण होता है। भारित समूहित सूचकांक परिकलन की विभिन्न विधियों में भिन्न-भिन्न समय में वस्तुओं के भिन्न-भिन्न समूहों का प्रयोग किया जाता है।


उदाहरण 2

भारित समूहित कीमत सूचकांक का परिकलन

सारणी 7.2

वस्तुएँ आधार अवधि वर्तमान अवधि
कीमत मात्रा कीमत मात्रा
$P_{o}$ $q_{o}$ $p_{1}$ $q_{1}$
$A$ 2 10 4 5
$B$ 5 12 6 10
$C$ 4 20 5 15
$D$ 2 15 3 10

$$ \begin{aligned} & \quad \mathrm{P} _{01}=\frac{\sum \mathrm{P} _{1} \mathrm{q} _{0}}{\sum \mathrm{P} _{0} \mathrm{q} _{0}} \times 100 \\ & =\frac{4 \times 10+6 \times 12+5 \times 20+3 \times 15}{2 \times 10+5 \times 12+4 \times 20+2 \times 15} \times 100 \\ & =\frac{257}{190} \times 100=135.3 \end{aligned} $$

यह विधि आधार अवधि की मात्राओं को भार के रूप में प्रयुक्त करती है। भारित समूहित कीमत सूचकांक, जब आधार अवधि की मात्रा को भार के रूप में प्रयोग करता है उसे लेस्पेयर कीमत सूचकांक भी कहते हैं। यह इस प्रश्न की व्याख्या करता है कि यदि आधार अवधि में वस्तुओं की एक टोकरी पर व्यय रु 100 था, तो वस्तुओं की उसी टोकरी पर वर्तमान अवधि में कितना व्यय होना चाहिए? जैसा कि आप यहाँ देख सकते हैं कि कीमत-वृद्धि के कारण, आधार-अवधि परिमाणों का मूल्य 35.3 प्रतिशत तक बढ़ गया है। आधार-अवधि मात्रा को भार के रूप में प्रयोग करके, यह कहा जा सकता है कि कीमतों में 35.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

चूँकि वर्तमान अवधि परिमाण आधार-अवधि परिमाणों से भिन्न होते हैं, अतः वर्तमान अवधि भार का प्रयोग करने वाला सूचकांक, सूचकांकों का भिन्न मूल्य देता है।

$\mathrm{P} _{01}=\frac{\sum \mathrm{P} _{1} \mathrm{q} _{1}}{\sum \mathrm{P} _{0} \mathrm{q} _{1}} \times 100$

$=\frac{4 \times 5+6 \times 10+5 \times 15+3 \times 10}{2 \times 5+5 \times 10+4 \times 15+2 \times 15} \times 100$

$=\frac{185}{140} \times 100=132.1$

यह वर्तमान अवधि परिमाणों का भार के रूप में प्रयोग करता है। जब भारित समूहित कीमत सूचकांक वर्तमान अवधि परिमाण को भार के रूप में प्रयोग करता है, तो यह ‘पाशे का मूल्य सूचकांक’ के नाम से जाना जाता है। यह ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने में सहायक होता है कि जब वर्तमान अवधि वस्तुओं की टोकरी को आधार-अवधि में उपभोग किया जाता और यदि हम इस पर 100 रु व्यय करते, तो वस्तुओं की उसी टोकरी पर वर्तमान अवधि में कितना व्यय होना चाहिए? पाशे के कीमत सूचकांक के अंतर्गत 132.1 को 32.1 प्रतिशत कीमत में वृद्धि के रूप में व्यक्त किया जाता है। वर्तमान अवधि भार का प्रयोग करते हुए यह कहा जाएगा कि कीमत 32.1 प्रतिशत बढ़ गई है।

मूल्यानुपातों की माध्य विधि (Method of Averaging Relatives )

जब केवल एक वस्तु हो, तब कीमत-सूचकांक वस्तु की वर्तमान अवधि की कीमत तथा आधार-अवधि की कीमत का अनुपात होता है। सामान्यतः इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। मूल्यनुपातों की माध्य परिकलन विधि इन मूल्यानुपातों के औसत या माध्य का प्रयोग तब करती है, जब वस्तुएँ अधिक होती हैं। मूल्यानुपातों का प्रयोग करने वाले सूचकांक को इस प्रकार से पारिभाषित किया जाता है

$$ \mathrm{P} _{01}=\frac{1}{\mathrm{n}} \Sigma \frac{\mathrm{p} _{1}}{\mathrm{p} _{0}} \times 100 $$

यहाँ $\mathrm{P} _{1}$ तथा $\mathrm{P} _{0}$ क्रमशः वर्तमान अवधि और आधार अवधि में वस्तु की कीमतों को इंगित करते हैं। अनुपात $\left(\mathrm{P} _{1} / \mathrm{P} _{0}\right) \times 100$ को वस्तु का मूल्यानुपात भी कहा जाता है। यहाँ $\mathrm{n}=$ वस्तुओं की संख्या है। वर्तमान उदाहरण में,

$$ \mathrm{P} _{01}=\frac{1}{4}\left(\frac{4}{2}+\frac{6}{5}+\frac{5}{4}+\frac{3}{2}\right) \times 100=149 $$

इस तरह से वस्तुओं की कीमत में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मूल्यानुपातों का भारित सूचकांक भारित समान्तर माध्य होता है, जिसे इस प्रकार से परिभाषित किया जाता है:

$$ \mathrm{P} _{01}=\frac{\sum _{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{n}} \mathrm{W} _{\mathrm{i}}\left(\frac{\mathrm{P} _{1 i}}{\mathrm{P} _{0 i}} \times 100\right)}{\sum _{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{n}} \mathrm{W} _{\mathrm{i}}} $$

यहाँ $\mathrm{W}$ भार है।

भारित मूल्यानुपात सूचकांक में भारों का निर्धारण आधार वर्ष में कुल व्यय में उन पर किए गए व्यय के अनुपात अथवा प्रतिशत द्वारा किया जा सकता है। यह वर्तमान अवधि के लिए भी हो सकता है, जो प्रयोग किए गए सूत्र पर निर्भर करता है। अनिवार्यतः ये कुल व्यय में विभिन्न वस्तुओं पर किए गए व्यय के मूल्यांश होते हैं। सामान्यतः आधार-अवधि भार को वर्तमान अवधि भार की अपेक्षा अधिक वरीयता दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रतिवर्ष भार का परिकलन असुविधाजनक होता है। यह (वस्तुओं की) विभिन्न टोकरियों के परिवर्तित मूल्यों को भी दर्शाता है। ये तुलना योग्य नहीं होते। उदाहरण 3 भारित कीमत सूचकांक के परिकलन के लिए आवश्यक सूचना की जानकारी देता है।

उदाहरण 3

भारित मूल्यानुपातों के कीमत सूचकांक का परिकलन

सारणी 7.3

वस्तु भार (% में) आधार वर्ष कीमत (रु में) वर्तमान वर्ष कीमत (रु में) मूल्यानुपात
A 40 2 4 200
B 30 5 6 120
C 20 4 5 125
D 10 2 3 150

भारित कीमत सूचकांक है,

$$ \begin{aligned} & P_{01}=\frac{\sum_{i=1}^{n} W_{i}\left(\frac{P_{1 i}}{P_{0 i}} \times 100\right)}{\sum_{i=1}^{n} W_{i}} \ &= \frac{40 \times 200+30 \times 120+20 \times 125+10 \times 150}{100} \ &=156 \end{aligned} $$

यहाँ भारित कीमत सूचकांक 156 है। कीमत सूचकांक 56 प्रतिशत बढ़ गया है। अभारित कीमत सूचकांक तथा भारित कीमत सूचकांक के मानों में अंतर होता है, जोकि होना भी चाहिए। भारित सूचकांक में अधिक वृद्धि उदाहरण 3 में अति महत्वपूर्ण मद के दोगुना होने के कारण है।

क्रियात्मक गतिविधि

  • उदाहरण 2 में दिए गए आँकड़ों में वर्तमान अवधि के मूल्यों को आधार-अवधि के मूल्यों में परिवर्तित कीजिए। लेस्पेयर तथा पाशे के सूत्रों का प्रयोग करते हुए कीमत सूचकांक परिकलित कीजिए। पूर्ववर्ती उदाहरण की तुलना में आप क्या अंतर पाते हैं?

4. कुछ महत्वपूर्ण सूचकांक

उपभोक्ता कीमत सूचकांक (Consumer Price Index)

उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) को निर्वाह सूचकांक के नाम से भी जानते हैं। यह खुदरा कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है। निम्नलिखित वक्तव्य पर ध्यान दीजिए कि दिसम्बर 2014 में उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) $277(2001=100)$ है। इस कथन का अभिप्राय क्या है? इसका अभिप्राय है कि यदि एक औद्योगिक श्रमिक वस्तुओं की विशेष टोकरी पर 2001 में 100 रु व्यय कर रहा था, तो उसे दिसम्बर 2014-15 में उसी प्रकार की वस्तुओं की टोकरी खरीदने के लिए 277 रु की आवश्यकता है। यह आवश्यक नहीं है कि वह टोकरी खरीदे, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उसके पास इसे खरीद पाने की क्षमता है या नहीं।

उदाहरण 4

उपभोक्ता कीमत सूचकांक की रचना

$\mathrm{CPI}=\frac{\sum \mathrm{WR}}{\sum \mathrm{W}}=\frac{9786.85}{100}=97.86$

यह उदाहरण प्रदर्शित करता है कि जीवन निर्वाह की कीमत में 2.14 प्रतिशत की गिरावट आई है। 100 से अधिक का सूचकांक क्या संकेत देता है? इसका अर्थ है कि निर्वाह लागत में वृद्धि, मजदूरी एवं वेतन में उपरिमुखी समायोजन की आवश्यकता है। यह वृद्धि उतने प्रतिशत की होनी चाहिए जितना यह (सूचकांक) 100 से अधिक होता है। यदि सूचकांक 150 है, तो 50 प्रतिशत उपरिमुखी समायोजन की आवश्यकता है। इसका अर्थ है कि कर्मचारियों के वेतन में $50 %$ वृद्धि की जानी चाहिए।

उपभोक्ता कीमत सूचकांक

भारत में राजकीय संस्थाओं/ एजेंसीज़ द्वारा बड़ी संख्या में उपभोक्ता कीमत सूचकांकों की रचना की जाती है। उनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:

  • औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक (आधार वर्ष 2001=100) मई 2017 में इस सूचकांक का मूल्य 278 था।

सारणी 7.4

मद भार % में $W$ आधार अवधि कीमत (रु) वर्तमान अवधि कीमत (रु) $R=P_{1} / P_{o} \times 100$ $(%$ में) WR
खाद्य (आहार) 35 150 145 96.67 3883.45
ईंधन 10 25 23 92.00 920.00
कपड़े 20 75 65 86.67 1733.40
किराया 15 30 30 100.00 1500.00
सम्मिश्रित 20 40 45 112.50 2250.00
9786.85

  • कृषि श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता कीमत सूचकांक (आधार वर्ष 1986-87=100) मई 2017 में इसका मूल्य 872 था।
  • ग्रामीण श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता कीमत सूचकांक (आधार वर्ष 1986-87=100) मई 2017 में इसका मूल्य 878 था।
  • अखिल भारतीय ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक (आधार वर्ष 2012=100) मई 2017 में इसका मूल्य 133.3 था।
  • अखिल भारतीय शहरी उपभोक्ता कीमत सूचकांक (आधार वर्ष 2012=100) मई 2017 में इसका मूल्य 129.3 था।
  • अखिल भारतीय संयुक्त उपभोक्ता कीमत सूचकांक (आधार वर्ष 2012=100) मई 2017 में इस सूचकांक का मूल्य 131.4 था।

इसके अतिरिक्त, यह सूचकांक राज्य स्तर पर भी उपलब्ध है।

उपरोक्त प्रत्येक सूचनाओं की रचना में प्रयुक्त विस्तृत रीतियाँ अलग-अलग हैं। उन ब्योरों में इस स्तर पर जाना आवश्यक नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक, अखिल भारतीय संयुक्त उपभोक्ता कीमत सूचकांक को, कीमतों में परिवर्तन के मुख्य मापक के रूप में प्रयोग करती है। इसलिए इस सूचकांक के विषय में कुछ विस्तृत जानकारी आवश्यक है।

अब इस सूचकांक को $2012=100$ के आधार पर बनाया जा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार इसमें अनेक सुधार किए गए हैं। संशोधित शृंखला के लिए, मदों की बास्केट, भारांकन तथा चित्रों को राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (National Sample Survey) के 68वें (Modified Mixed Reference Period- MMRP) समंकों का प्रयोग कर तैयार किया गया है। भार निम्नवत है:

मुख्य समूह भार (प्रतिशत में )
खाद्य एवं पेय 45.86
पान, तंबकू तथा मादक पदार्थ 2.38
कपड़े तथा जूते 6.53
आवास 10.07
ईईन एवं प्रकाश 6.84
विविध 28.32
सामान्य 100.00

स्रोतः आर्थिक सर्वेक्षण, 2014-15, भारत सरकार।

समंकों को प्रतयेक उप-समूह तथा प्रमुख समूहों में होने वाले प्रतिवर्ष, परिवर्तन की दर से ज्ञात किया जाता है। इस प्रकार, इन समंकों से हम ज्ञात कर सकते हैं कि सबसे ज़्यादा कौन-सी कीमतें बढ़ रही हैं और मुद्रास्फीति में अपना योगदान दे रही हैं।

‘उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक’ (Consumer Food Price Index-CFPI) वही है जो ‘Price Index for ‘Food and Beverages’ होता है सिवाय इसके कि इसमें मादक पेय और निर्मित भोजन, स्नैक्स, मिठाइयाँ सम्मिलित नहीं की जाती हैं।

थोक कीमत सूचकांक (Wholesale Price Index)

थोक कीमत सूचकांक सामान्य कीमत-स्तर में परिवर्तन का संकेत देता है। उपभोक्ता कीमत सूचकांक के विपरीत इसके लिए कोई संदर्भ उपभोक्ता श्रेणी नहीं होती है। इसके अंतर्गत ऐसे मद शामिल नहीं होते हैं, जो सेवा से संबंधित हों जैसे नाई के प्रभार, मरम्मत आदि।

इस कथन से क्या यह अभिप्राय है कि थोक मूल्य सूचकांक (आधार वर्ष 2004-05) अक्तूबर 2014 में 253 था? इसका यह यर्थ है कि इस अवधि में सामान्य कीमत स्तर में 153 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

अब थोक मूल्य सूचकांक 2011-12=100 को आधार मानकर प्रकट किया जा रहा है। मई 2017 के लिए यह सूचकांक 112.8 था। यह सूचकांक, थोक स्तर पर प्रचलित मूल्यों का प्रयोग करता है। वस्तुओं की केवल कीमतों को सम्मिलित किया जाता है। प्रमुख वस्तु प्रकार और उनके भार निम्नवत हैं-

प्रमुख समूह भार (प्रतिशत में)
प्राथमिक वस्तुएँ 22.62
ईंधन एवं शक्ति 13.15
विनिर्मित वस्तुएँ 64.23
समस्त वस्तुएँ ‘हेडलाइन मुद्रास्फीति’ 100.00
WPI खाद्य सूची 24.23

स्रोतः सांख्यिकी मंत्रालय एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन, 2016-|7।

सामान्यतः थोक मूल्य शीघ्रता से उपलब्ध हो जाते हैं। समग्र वस्तु मुद्रास्फीति दर (All Commodities Inflation Rate) को सामान्यतः हेडलाइन मुद्रास्फीति (Headline Inflation) कहा जाता है। कभी खाद्य वस्तुओं पर अधिक ज़ोर होता है जो कुल भार का 24.23 प्रतिशत है। इस खाद्य सूचकांक को प्राथमिक वस्तु समूह की खाद्य वस्तुओं तथा विनिर्मित उत्पाद समूह की खाद्य वस्तुओं से तैयार किया जाता है। कुछ अर्थशास्त्री विनिर्मित माल (खाद्य पदार्थ एवं ईंधन को छोड़कर) के थोक मूल्यों पर ज़ोर देना चाहते हैं तथा इसके लिए वे कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation) का अद्यतन करते हैं जिसका थोक मूल्य सूचकांक के भारों में लाभ का 55 प्रतिशत भाग है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

उपभोक्ता कीमत सूचकांक अथवा थोक मूल्य सूचकांक से अलग, यह वह सूचकांक है जो मात्राओं को मापने का प्रयास करता है। अप्रैल 2017 से, इसका आधार वर्ष 2011-12=100 निश्चित किया गया है। आधार वर्ष में तीव्र परिवर्तनों का कारण यह है कि प्रतिवर्ष या तो अनेक वस्तुओं का उत्पादन बंद हो जाता है या महत्वहीन हो जाता है, जबकि अन्य अनेक वस्तुओं का विनिर्माण शुरू हो जाता है।

जबकि कीमत सूचकांक अनिवार्य रूप से, कीमत मूल्यानुपातों के भारित माध्य थे, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, मात्रा मूल्यानुपातों के भारित अंकगणितीय माध्य है जहाँ विभिन्न मदों के उनके द्वारा आधार वर्ष में जोड़े गए मूल्य के अनुपातों में भार दिए जाते हैं। जिनको लेसपेयरे के निम्न सूत्र द्वारा निर्धारित किया जाता है-

$$ \text {IIP} _{01}=\frac{\sum _{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{n}} \mathrm{q} _{1 \mathrm{i}} \mathrm{W} _{\mathrm{i}}}{\sum _{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{n}} \mathrm{W} _{\mathrm{i}}} \times 100$$

यहाँ $\mathrm{IIP} _{01}$ सूचकांक है, $\mathrm{q} _{1 \mathrm{i}}$ वर्ष 1 के लिए वस्तु $\mathrm{i}$ के लिए 0 आधार वर्ष पर मात्रा मूल्यानुपात है। $\mathrm{Wi}$, वस्तु $i$ का आबंटित भार है। उत्पादन सूचकांक में $n$ वस्तुएँ हैं।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, औद्योगिक क्षेत्रकों तथा उप-क्षेत्रकों के स्तर पर उपलब्ध होता है। इसकी प्रमुख शाखाएँ हैं- ‘खनन’, ‘विनिर्माण’ एवं ‘विद्युत’। कभी-कभी हमारा ज़ोर ‘कोर’ उद्योगों पर होता है, जैसे कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, खाद, इस्पात, सीमेंट तथा विद्युत। इन आठों कोर उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में सामूहिक भार 40.27 प्रतिशत है।

सारणी 7.5

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का भार प्रारूप (औद्योगिक उत्पादन क्षेत्रक)

क्षेत्रक भार
खनिज 14.4
विनिर्माण 77.6
विद्युत 8.0
सामान्य सूचकांक 100.0
स्रोतः सांख्यिकी मंत्रालय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, 2016-17

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक ‘उत्पाद के उपयोग’ के अनुसार भी उपलब्ध है, जैसे ‘प्राथमिक वस्तुएँ’, ‘उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ’ आदि।

सारणी 7.6

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का भार प्रारूप (उपयोग के आधार पर समूह)

समूह भार ( प्रतिशत में )
प्राथमिक 34.1
पूंजीगत माल 8.2
मध्यवर्ती माल 17.2
अर्धसंरचना/निर्माणी माल 12.3
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ 12.8
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएँ 15.3
सामान्य सूचकांक 100.0
स्रोतः सांख्यिकी मंत्रालय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, 2016-17

मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक एक और लाभदायक सूचकांक है, जिसको एक देश के विकास के अध्ययन के लिए उपयोग किया जाता है। इसके विषय में आपने कक्षा 10 में पढ़ा होगा।

संवेदी सूचकांक (Sensex)

सेंसेक्स मुंबई स्टॉक एक्सचेंज संवेदी सूचकांक का संक्षिप्त रूप है, जिसका आधार वर्ष 1978-79 है।


संवेदी सूचकांक का मान इस अवधि के संदर्भ में होता है। भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए यह मुख्य निर्देश चिह्न सूचकांक है। इसके अंतर्गत 30 स्टॉक हैं,


अर्थव्यवस्था के 13 क्षेत्रकों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा सूचीकृत कंपनियाँ अपने-अपने उद्योगों में अग्रणी हैं। यदि संवेदी सूचकांक ऊपर चढ़ता है तो यह संकेत देता है कि बाजार ठीक चल रहा है और निवेशक इन कंपनियों से बेहतर आमदनी की आशा करते हैं। यह अर्थव्यवस्था की मूल दशा के प्रति निवेशकों के बढ़ते विश्वास को भी दर्शाता है।

5. सूचकांक की रचना में मुद्दे

सूचकांक की रचना करते समय कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखना चाहिए:

  • आपको सूचकांक के उद्देश्य के बारे में स्पष्ट होने की आवश्यकता है। जब किसी को मूल्य सूचकांक की आवश्यकता हो तो, परिमाण सूचकांक का परिकलन अनुपयुक्त होगा।

  • इसके अतिरिक्त, जब आप उपभोक्ता कीमत सूचकांक की रचना कर रहे हों तब विभिन्न उपभोक्ता समूहों के मद समान महत्व वाले नहीं होते हैं। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि शायद प्रत्यक्ष रूप से किसी निर्धन कृषि मजदूर की जीवन-स्थिति को प्रभावित नहीं करे। इसलिए किसी भी सूचकांक के लिए मदों का चयन सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए, ताकि जहाँ तक संभव हो सके, ये उनका (मदों का) प्रतिनिधित्व कर सकें। केवल तभी आपको परिवर्तन की सही जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

  • प्रत्येक सूचकांक का एक आधार होना चाहिए। जहाँ तक संभव हो सके, यह आधार सामान्य होना चाहिए। आधार-अवधि के लिए चरम मानों को नहीं चुना जाना चाहिए। यह अवधि भी अतीत में अधिक दूर नहीं होनी चाहिए। 1993 और 2005 के बीच तुलना, 1960 और 2005 के बीच की तुलना से अधिक सार्थक होती है। 1960 की विशिष्ट उपभोक्ता टोकरी की बहुत सी मदें आज के दौर में विलुप्त हो चुकी हैं। इसलिए किसी भी सूचकांक के आधार वर्ष को नियमित रूप से अद्यतन किया जाता है।

  • सूत्र के चुनाव का विषय भी है, जो अध्ययन किए जाने वाले प्रश्न की प्रकृति पर निर्भर करता है। लेस्पेयर के सूचकांक तथा पाशे के सूचकांक के बीच केवल इन सूत्रों में प्रयुक्त भारों की भिन्नता है।

  • इसके अतिरिक्त भी आँकड़ों के अनेक स्रोत हैं जिनकी विश्वसनीयता भिन्न-भिन्न है। कम विश्वसनीयता के आँकड़े भ्रामक परिणाम देंगे। अतः आँकड़ों के संग्रह में उचित सावधानी बरती जानी चाहिए। यदि प्राथमिक आँकड़ों को प्रयुक्त नहीं किया जाता है, तो फिर सर्वाधिक विश्वसनीय द्वितीयक आँकड़ों के स्रोत का चुनाव किया जाना चाहिए।

क्रियाकलाप

  • स्थानीय सब्जी बाजार से एक सप्ताह में कम से कम 10 मदों के आँकड़े एकत्र कीजिए। एक सप्ताह के लिए प्रतिदिन का कीमत सूचकांक बनाने का प्रयत्न कीजिए। कीमत सूचकांक की रचना में दोनों विधियों का अनुप्रयोग करने के क्रम में आप किन समस्याओं का सामना करते हैं?

6. अर्थशास्त्र में सूचकांक

हमें सूचकांक के उपयोग की आवश्यकता क्यों पड़ती है? थोक कीमत सूचकांक (WPI), उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) तथा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का नीति-निर्माण में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।

  • उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) अथवा निर्वाह सूचकांक, मजदूरी समझौता, आय-नीति, कीमत-नीति, किराया-नियंत्रण, कराधान तथा सामान्य आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक होते हैं।

  • थोक कीमत सूचकांक (WPI) का प्रयोग समुच्चयों की कीमतों में परिवर्तन जैसे कि राष्ट्रीय आय, पूँजी-निर्माण आदि के परिवर्तनों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

  • थोक कीमत सूचकांक (WPI) का प्रयोग सामान्य रूप से मुद्रास्फीति दर को मापने में किया जाता है। मुद्रास्फीति कीमतों में सामान्य तथा निरंतर वृद्धि को कहते हैं। यदि मुद्रास्फीति बहुत बढ़ जाती है, तो मुद्रा अपने पारंपरिक गुणों-जैसे विनिमय का साधन एवं लेखे की इकाई आदि को खो सकती है। इसका मुख्य प्रभाव मुद्रा के मूल्य में कमी का होना है। साप्ताहिक मुद्रास्फीति दर निम्न द्वारा प्राप्त होती है,

$$ \frac{\mathrm{X} _{\mathrm{t}}-\mathrm{X} _{\mathrm{t}-1}}{\mathrm{X} _{\mathrm{t}-1}} \times 100 \text { यहाँ } \mathrm{X} _{\mathrm{t}} \text { एवं } \mathrm{X} _{\mathrm{t}-1} $$

$t$ वें तथा $(t-1)$ वें सप्ताहों के थोक कीमत सूचकांक को दर्शाते हैं।

  • उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) का मुद्रा की क्रय शक्ति एवं वास्तविक मजदूरी के परिकलन के लिए प्रयोग किया जाता है।

(क) मुद्रा की क्रयशक्ति $=1 /$ निर्वाह सूचकांक

(ख) वास्तविक मजदूरी = (मौद्रिक मजदूरी/निर्वाह सूचकांक) $\times 100$

यदि उपभोक्ता कीमत सूचकांक $(1982=100)$ जनवरी 2005 में 526 है, तो जनवरी 2005 में एक रुपया का समतुल्य $100 / 526=0.19$ रु होगा। इसका तात्पर्य यह है कि 1982 में जो एक रुपया था, अब 19 पैसे के बराबर हो गया है। यदि आज एक उपभोक्ता की मौद्रिक मजदूरी 10,000 रु है तो उसकी वास्तविक मजदूरी निम्नवत होगी,

10,000 रु $\times \frac{100}{526}=1,901$ रु

इसका अभिप्राय है कि वर्ष 1982 में 1901 रु की क्रय शक्ति उतनी ही थी, जो जनवरी 2005 में 10,000 रु की है। यदि 1982 में वह 3000 रु प्राप्त कर रहा था, तो मूल्य-वृद्धि के हिसाब से वह बदतर स्थिति में है। अतः 1982 के जीवन-स्तर को बनाये रखने के लिए उसका वेतन बढ़ाकर 15,780 रु कर देना चाहिए, जिसे आधार-अवधि के वेतन को $526 / 100$ के गुणांक द्वारा गुणा करके प्राप्त किया जा सकता है।

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक हमें औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन में परिवर्तन के बारे में परिमाणात्मक अंक प्रदान करता है।
  • कृषि उत्पादन सूचकांक हमें कृषि क्षेत्र के निष्पादन का तत्काल परिकलन प्रदान करता है।
  • संवेदी सूचकांक स्टॉक मार्केट में निवेशकों के लिए उपयोगी मार्गदर्शक का काम करता है। यदि सूचकांक चढ़ता है तो निवेशक भावी अर्थव्यवस्था के निष्पादन की दिशा में आशावादी होते हैं। निवेश के लिए यह एक उपयुक्त समय होता है।

हमें ये सूचकांक कहाँ से मिल सकते हैं?

सामान्य रूप से प्रयोग होने वाले कुछ सूचकांक सर्वेक्षण, जो भारत सरकार जैसे थोक कीमत सूचकांक (WPI), उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI), प्रमुख फसलों के उत्पादन सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक तथा विदेशी व्यापार सूचकांक आदि आर्थिक सर्वेक्षण में उपलब्ध हैं।

क्रियात्मक गतिविधि

  • समाचार-पत्रों की जाँच कर 10 प्रेक्षणों के साथ संवेदी सूचकांक की एक काल श्रेणी बनाइये। अगर उपभोक्ता कीमत-सूचकांक का आधार वर्ष 1982 से बदलकर 2000 कर दिया जाए तब क्या होगा?

7. सारांश

सूचकांक का आकलन आपको मदों में बड़ी संख्याओं में परिवर्तनों को एकल माप के द्वारा परिकलित करने के योग्य बनाती है। सूचकांकों का परिकलन कीमत, मात्रा, आदि के लिए किया जा सकता है। सूत्रों से यह भी स्पष्ट है कि सूचकांक की रचना से प्राप्त अंकों को सावधानी के साथ निर्वचन की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, शामिल किए जाने वाले मदों एवं आधार-अवधि का चुनाव महत्वपूर्ण है। उनके विभिन्न प्रयोगों से पता चलता है कि सूचकांक नीति-निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

पुनरावर्तन

  • बड़ी संख्या के मदों के सापेक्षिक परिवर्तनों को मापने के लिए सूचकांक एक सांख्यिकीय विधि है।
  • सूचकांकों की रचना के लिए कई सूत्र हैं, और प्रत्येक सूत्र के निर्वचन में सावधानी की आवश्यकता होती है।
  • सूचकांक हेतु सूत्र का चुनाव अधिकांशतः अभिरुचि के प्रश्न पर निर्भर होता है।
  • व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाले सूचकांक हैं, थोक कीमत सूचकांक, उपभोक्ता कीमत सूचकांक, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, कृषि उत्पादन सूचकांक तथा संवेदी सूचकांक।
  • सूचकांक आर्थिक नीति-निर्माण के लिए अपरिहार्य होते हैं।

अभ्यास

1. मदों के सापेक्षिक महत्व को बताने वाले सूचकांक को,

(क) भारित सूचकांक कहते हैं

(ख) सरल समूहित सूचकांक कहते हैं

(ग) सरल मूल्यानुपातों का औसत कहते हैं

2. अधिकांश भारित सूचकांकों में भार का संबंध,

(क) आधार वर्ष से होता है

(ख) वर्तमान वर्ष से होता है

(ग) आधार एवं वर्तमान वर्ष दोनों से होता है

3. ऐसी वस्तु जिसका सूचकांक में कम भार है, उसकी कीमत में परिवर्तन से सूचकांक में कैसा परिवर्तन होगा, (क) कम

(ख) अधिक

(ग) अनिश्चित

4. कोई उपभोक्ता कीमत सूचकांक किस परिवर्तन को मापता है?

(क) खुदरा कीमत

(ख) थोक कीमत

(ग) उत्पादकों की कीमत

5. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक में किस मद के लिए उच्चतम भार होता है?

(क) खाद्य-पदार्थ

(ख) आवास

(ग) कपड़े

6. सामान्यतः मुद्रा-स्फीति के परिकलन में किसका प्रयोग होता है?

(क) थोक कीमत सूचकांक

(ख) उपभोक्ता कीमत सूचकांक

(ग) उत्पादक कीमत सूचकांक

7. हमें सूचकांक की आवश्यकता क्यों होती है?

8. आधार अवधि के वांछित गुण क्या होते हैं?

9. भिन्न उपभोक्ताओं के लिए भिन्न उपभोक्ता कीमत सूचकांकों की अनिवार्यता क्यों होती है?

10. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक क्या मापता है?

11. कीमत सूचकांक तथा मात्रा सूचकांक में क्या अंतर है?

12. क्या किसी भी तरह का कीमत परिवर्तन एक कीमत सूचकांक में प्रतिबिंबित होता है?

13. क्या शहरी गैर-शारीरिक कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता कीमत-सूचकांक भारत के राष्ट्रपति के निर्वाह लागत में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व कर सकता है?

14. नीचे एक औद्योगिक केंद्र के श्रमिकों द्वारा 1980 एवं 2005 के दौरान निम्न मदों पर प्रतिव्यक्ति मासिक व्यय को दर्शाया गया है। इन मदों का भार क्रमशः $75,10,5,6$ तथा 4 है। 1980 को आधार मानकर 2005 के लिए जीवन निर्वाह लागत का एक भारित सूचकांक तैयार कीजिए।

मद वर्ष 1980 में कीमत वर्ष 2005 की कीमत
खाद्य पदार्थ 100 200
कपड़े 20 25
ईंधन एवं बिजली 15 20
मकान किराया 30 40
विविध 35 65

15. निम्नलिखित सारणी को ध्यानपूर्वक पढ़िए एवं अपनी टिप्पणी कीजिए

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आधार 1993-94)

उद्योग भार % में $1996-1997$ 2003-2004
सामान्य सूचकांक 100 130.8 189.0
खनन एवं उत्बनन 10.73 118.2 146.9
विनिर्माण 79.58 133.6 196.6
विद्युत 10.69 122.0 172.6

16. अपने परिवार में उपभोग की जाने वाली महत्वपूर्ण मदों की सूची बनाने का प्रयास कीजिए।

17. यदि एक व्यक्ति का वेतन आधार वर्ष में 4000 रु प्रतिवर्ष था और उसका वर्तमान वर्ष में वेतन 6000 रु है। उसके जीवन-स्तर को पहले जैसा ही बनाए रखने के लिए उसके वेतन में कितनी वृद्धि होनी चाहिए, यदि उपभोक्ता कीमत सूचकांक 400 हो।

18. जून 2005 में उपभोक्ता कीमत सूचकांक 125 था। खाद्य सूचकांक 120 तथा अन्य मदों का सूचकांक 135 था। खाद्य पदार्थों को दिया जाने वाला भार कुल भार का कितना प्रतिशत है?

19. किसी शहर में एक मध्यवर्गीय पारिवारिक बजट में जाँच-पड़ताल से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है:

मदों पर व्यय खाद्य पदार्थ इंधन कपड़ा किराया विविध
$35 %$ $10 %$ $20 %$ $15 %$ $20 %$
2004 में कीमत (रु में) 1500 250 750 300 400
1995 में कीमत (रु में) 1400 200 500 200 250

1995 की तुलना में 2004 में निर्वाह सूचकांक का मान क्या होगा?

20. दो सप्ताह तक अपने परिवार के (प्रति इकाई) दैनिक व्यय, खरीदी गई मात्रा तथा दैनिक खरीददारी को अभिलेखित कीजिए। कीमत में आए परिवर्तन आपके परिवार को किस तरह से प्रभावित करते हैं?

21. निम्नलिखित आँकड़े दिए गए हैं-

वर्ष औद्योगिक श्रमिकों का $C P I$ $(1982=100)$ कृषि श्रमिक का $C P I$ $(1986-87=100)$ थोक कीमत सूचकांक $(1993-94=100)$
$1995-96$ 313 234 121.6
$1996-97$ 342 256 127.2
$1997-98$ 366 264 132.8
$1998-99$ 414 293 140.7
$1999-00$ 428 306 145.3
$2000-01$ 444 306 155.7
$2001-02$ 463 309 161.3
$2002-03$ 482 319 166.8
$2003-04$ 500 331 175.9

स्रोतः आर्थिक सर्वेक्षण, भारत सरकार, 2004-2005

(क) सूचकांकों के सापेक्षिक मानों पर टिप्पणी कीजिए।

(ख) क्या ये तुलना योग्य हैं?

22. एक परिवार का कुछ महत्वपूर्ण मदों पर मासिक व्यय तथा उन पर लागू वस्तु एवं सेवा कर (GST) इस प्रकार है:

मद मासिक व्यय (रु.) वस्तु एवं सेवा कर की दर %
अनाज 1500 0
अण्डा 250 0
मछली, मीट 250 0
दवाइयाँ 50 5
बायो गैस 50 5
यातायात 100 5
मक्खन 50 12
बबूल टूथपेस्ट 10 12
टमाटर कैचप 40 12
बिस्किट 75 18
केक, पेस्ट्री 25 18
ब्रांडेड वस्त्र 100 18
धुलाई मशीन, वैक्यूम क्लीनर, कार 1000 18

इस परिवार के लिए औसत कर दर की गणना करें।

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की औसत दर ज्ञात करने के लिए भारित माध्य के सूत्र का उपयोग किया जाता है। इस स्थिति में, वस्तुओं के प्रत्येक वर्ग पर किया गया कुल व्यय का भाग ही भार है। कुल भार, परिवार द्वारा किए गए कुल व्यय के बराबर है। तथा चर जी.एस.टी. दरें हैं।

वर्ग व्यय भार $(W)$ जी.एस.टी. दर $(X)$ $W X$
वर्ग 1 2000 0 0
वर्ग 2 200 0.25 10
वर्ग 3 100 0.12 12
वर्ग 200 0.18 36
वर्ग 5 1000 0.28 280
3500 338

इस परिवार के लिए माध्य जी.एस.टी. दर, $\frac{338}{3500}=0.966$, अर्थात् $9.66 %$ है।

क्रियात्मक गतिविधियाँ

  • सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले सूचकांक की सूची बनाने हेतु अपने शिक्षक से परामर्श प्राप्त करें। स्रोत को अंकित करते हुए नवीनतम आँकड़े प्राप्त करें। क्या आप बता सकते हैं कि एक सूचकांक की इकाई क्या होती है?
  • गत 10 वर्षों के लिए औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता कीमत सूचकांक की एक सारणी बनाइए तथा मुद्रा की क्रय-शक्ति का परिकलन कीजिए। यह कैसे परिवर्तित हो रही है?


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