अध्याय 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं

हम कैसे जान सकते हैं कि बाज़ार से खरीदा हुआ दूध, घी, मक्खन, नमक, मसाला, मिनरल जल या जूस शुद्ध हैं?

चित्र 2.1: रसोई में उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुएँ

क्या आपने कभी इन खाने वाले पदार्थों के डिब्बों के ऊपर लिखे ‘शुद्ध’ शब्द पर ध्यान दिया है? एक साधारण व्यक्ति के लिए शुद्ध का अर्थ होता है कि पदार्थ में कोई मिलावट न हो लेकिन, वैज्ञानिकों के लिए ये सभी वस्तुएँ विभिन्न पदार्थों के मिश्रण हैं, अतः शुद्ध नहीं हैं। उदाहरण के लिए दूध जल, वसा, प्रोटीन आदि का मिश्रण है। जब एक वैज्ञानिक किसी पदार्थ को शुद्ध कहता है तो इसका तात्पर्य है कि उस पदार्थ में मौजूद सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के हैं। एक शुद्ध पदार्थ एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है।

जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो पाते हैं कि सभी पदार्थ दो या दो से अधिक शुद्ध अवयवों के मिलने से बने हैं, उदाहरण के लिए, समुद्र का जल, खनिज, मिट्टी आदि सभी मिश्रण हैं।

2.1 मिश्रण क्या है?

मिश्रण एक या एक से अधिक शुद्ध तत्वों या यौगिकों से मिलकर बना होता है। हम जानते हैं कि जल में घुले हुए सोडियम क्लोराइड को वाष्पीकरण या आसवन विधि द्वारा जल से पृथक् किया जा सकता है। यद्यपि, सोडियम क्लोराइड अपने आप में एक शुद्ध पदार्थ है और इसे भौतिक विधि के द्वारा इसके रासायनिक अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार चीनी एक पदार्थ है क्योंकि यह एक ही प्रकार का शुद्ध अवयव रखता है और इसका यौगिक समान रहता है।

पेय पदार्थ और मिट्टी में एकसमान कण नहीं होते हैं। शुद्ध पदार्थ किसी भी स्रोत से प्राप्त हो इसके अभिलाक्षणिक गुण एकसमान होंगे।

इस प्रकार हम कह सकतें हैं कि मिश्रण में एक से अधिक शुद्ध पदार्थ होते हैं।

2.1.1 मिश्रण के प्रकार

अवयवों की प्रकृति के अनुसार विभिन्न प्रकार के मिश्रणों का निर्माण होता है। इस तरह मिश्रण के कई प्रकार होते हैं।

क्रियाकलाप 2.1

  • कक्षा को अ, ब, स और द समूहों में बाँटें।

  • एक बीकर जिसमें $50 \mathrm{~mL}$ जल और एक चम्मच कॉपर सल्फ़ेट चूर्ण हो, समूह ‘अ’ को दें।

  • समूह ‘ब’ को एक बीकर में $50 \mathrm{~mL}$ जल तथा दो चम्मच कॉपर सल्फ़्रेट चूर्ण दें।

  • कॉपर सल्फ़ेट और पोंटैशियम परमैंगनेट या साधारण नमक (सोडियम क्लोराइड) समूह ‘स’ और ‘द’ को दें। (दोनों को अवयवों की पृथक्-पृथक् मात्रा दें)।

  • अब पृथक्-पृथक् समूह के उन अवयवों को मिलाकर मिश्रण तैयार करें।

  • उनके रंग और बनावट के आधार पर एक रिर्पोट तैयार करें।

  • समूह ‘अ’ और ‘ब’ को एक मिश्रण प्राप्त होता है जिसकी बनावट समान होती है। इस तरह के मिश्रण को हम समांगी मिश्रण अथवा विलयन कहते हैं। इस तरह के मिश्रणों के कुछ अन्य उदाहरण हैं, जल में नमक और जल में चीनी। दोनों समूहों से प्राप्त घोल के रंगों की तुलना करें। यद्यपि दोनों समूह के पास कॉपर सल्फ़ेट का घोल है, लेकिन उन दोनों घोल के रंगों की तीव्रता पृथक्-पृथक् है। यह दिखलाता है कि समांगी मिश्रण पृथक्-पृथक् संघटन रख सकते हैं।

  • समूह ‘स’ और ‘द’ ने जो मिश्रण प्राप्त किया है, उनके अंश भौतिक दृष्टि से पृथक् हैं। इस तरह के मिश्रण को विषमांगी मिश्रण कहते हैं। सोडियम क्लोराइड और लोहे की छीलन, नमक और सल्फ़र एवं जल और तेल विषमांगी मिश्रण के अन्य उदाहरण हैं।

क्रियाकलाप 2.2

  • आइए पुनः कक्षा को चार समूहों अ, ब, स और द में बाँटें।

  • प्रत्येक समूह को नीचे दिए हुए नमूने में से एक दें:

    • समूह ‘अ’ को कॉपर सल्फ़ेट के कुछ क्रिस्टल दें।
    • समूह ‘ब’ को एक चम्मच कॉपर सल्फ़ेट दें।
    • समूह ‘स’ को चॉक का चूर्ण या गेहूँ का आटा दें।
    • समूह ‘द’ को दूध या स्याही की कुछ बूँदें दें।
  • छात्रों को काँच की छड़ की सहायता से नमूनों को जल में मिलाने को कहें। क्या कण जल में दिखाई देते हैं?

  • अब टॉर्च से प्रकाश की किरण को बीकर पर डालें और इसको सामने से देखें। क्या प्रकाश की किरण का मार्ग दिखाई देता है?

  • अब मिश्रण को कुछ समय तक शांत छोड़ दें। इस बीच मिश्रण छानने वाले उपकरण को तैयार कर लें। क्या मिश्रण स्थिर है या कुछ समय के बाद कण नीचे बैठना शुरू करते हैं?

  • मिश्रण को छान लें। क्या छानक पत्र पर कुछ शेष बचा है?

  • कक्षा में परिणामों पर चर्चा कर इस क्रिया पर एक मत बनाने का प्रयत्न करें।

  • समूह ‘अ’ और ‘ब’ एक विलयन पाते हैं।

  • समूह ‘स’ एक निलंबन पाता है।

  • समूह ‘द’ एक कोलाइड विलयन पाता है।

चित्र 2.2: निस्यंदन (छानने की प्रक्रिया)

अब हम विलयनों, निलंबनों और कोलाइड विलयनों के बारे में पढ़ेंगे।

2.2 विलयन क्या है?

विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। आप प्रतिदिन बहुत प्रकार के विलयनों को देखते होंगे। नींबू जल, सोडा जल आदि विलयन के उदाहरण हैं। प्रायः हम एक विलयन को ऐसे तरल पदार्थ के रूप में विचार करते हैं जिसमें ठोस, द्रव या गैस मिले हों लेकिन प्रकृति में ठोस विलयन (मिश्र धातु) और गैसीय विलयन (वायु) भी होते हैं। एक

विलयन के कणों में समांगिकता होती है। उदाहरण के लिए नींबू जल का स्वाद सदैव समान रहता है। यह दर्शाता है कि इस विलयन में चीनी और नमक के कण समान रूप से वितरित होते हैं।

मिश्र धातुएँ: ये धातुओं के समांगी मिश्रण होते हैं जिन्हें भौतिक क्रिया द्वारा अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता है लेकिन फिर भी मिश्र धातुओं को मिश्रण माना जाता है क्योंकि ये अपने घटकों के गुणों को दर्शाते हैं और पृथक्-पृथक संघटन रखते हैं। उदाहरण के लिए पीतल, ज़िंक (लगभग $30 %$ ) और कॉपर (लगभग $70 %$ ) का मिश्रण है।

किसी विलयन को दो भागों विलायक और विलय में बाँटा जाता है। विलयन का वह घटक (जिनकी मात्रा दूसरे से अधिक होती है) जो दूसरे घटक को विलयन में मिलाता है उसे विलायक कहते हैं। विलयन का वह घटक (प्रायः कम मात्रा में होता है) जो कि विलायक में घुला होता है उसे विलेय कहते हैं।

उदाहरण के लिए:

(i) चीनी और जल का विलयन एक तरल घोल में ठोस का उदाहरण है। इसमें चीनी विलेय है और जल विलायक है।

(ii) आयोडिन और ऐल्कोहॉल का विलयन जिसे टिंक्चर आयोडीन के नाम से जाना जाता है, इसमें आयोडीन विलेय है और ऐल्कोहॉल विलायक है।

(iii) वातयुक्त पेय जैसे सोडा जल, कोक इत्यादि तरल विलयन में गैस के रूप में हैं। इनमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस विलेय और जल विलायक है।

(iv) वायु गैस में गैस का विलयन है। यह मुख्यतः दो घटकों ऑक्सीजन $(21 %)$ और नाइट्रोजन $(78 %)$ का समांगी मिश्रण है। नाइट्रोजन को वायु का विलायक कहा जाता है। वायु में दूसरी गैसें बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होती हैं।

विलयन के गुण

  • विलयन एक समांगी मिश्रण है।
  • विलयन के कण व्यास में $1 \mathrm{~nm}\left(10^{-9}\right.$ metre) से भी छोटे होते हैं। इसलिए वे आँख से नहीं देखे जा सकते हैं।
  • अपने छोटे आकार के कारण विलयन के कण, गुजर रही प्रकाश की किरण को फैलाते नहीं हैं। इसलिए विलयन में प्रकाश का मार्ग दिखाई नहीं देता।
  • छानने की विधि द्वारा विलेय के कणों को विलयन में से पृथक् नहीं किया जा सकता है। विलयन को शांत छोड़ देने पर भी विलेय के कण नीचे नहीं बैठते हैं, अर्थात् विलयन स्थाई है।

2.2.1 विलयन की सांद्रता

क्रियाकलाप 2.2 में हमने देखा कि समूह ‘अ’ और समूह ‘ब’ के पास एक ही पदार्थ के विभिन्न आभाओं के रंगों के विलयन हैं। हम लोग जानते हैं कि विलयन में पृथक्-पृथक् मात्रा में विलायक और विलेय पदार्थ होते हैं। विलयन में मौजूद विलेय पदार्थ की मात्रा के आधार पर इसे तनु, सांद्र या संतृप्त घोल कहा जा सकता है। तनु और सांद्र तुलनात्मक शब्द हैं। क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘अ’ द्वारा प्राप्त विलयन समूह ‘ब’ की तुलना में तनु है।

क्रियाकलाप 2.3

  • दो पृथक्-पृथक् बीकरों में $50 \mathrm{~mL}$ जल लें।
  • एक बीकर में नमक और दूसरे में चीनी अथवा बेरियम क्लोराइड मिलाकर अच्छी तरह मिला लें।
  • जब विलेय पदार्थ और अधिक न घुले तब $5^{\circ} \mathrm{C}$ ताप बढ़ाने के लिए बीकर को गर्म करें।
  • विलेय पदार्थ को पुनः मिलाना शुरू करें।

क्या किसी दिए गए ताप पर चीनी, नमक अथवा बेरियम क्लोराइड की जल में घोली गई मात्राएँ बराबर हैं?

किसी निश्चित तापमान पर उतना ही विलेय पदार्थ घुल सकता है जितनी कि विलयन की क्षमता होती है। दूसरे शब्दों में, दिए गए निश्चित तापमान पर यदि विलयन में विलेय पदार्थ नहीं घुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं। विलेय पदार्थ की वह मात्रा, जो इस ताप पर संतृप्त विलयन में उपस्थित है, उसकी घुलनशीलता कहलाती है।

यदि एक विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्तता से कम है तो इसे असंतृप्त विलयन कहा जाता है।

यदि विलयन में विलेय पदार्थ की सांद्रता संतृप्त स्तर से कम हो तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं। यदि आप किसी विशिष्ट ताप पर एक संतृप्त विलयन लें तथा उसे धीरे-धीरे ठंडा करें तो क्या होगा?

उपरोक्त किए गए क्रियाकलाप से हम कह सकते हैं कि दिए हुए एक निश्चित तापमान पर पृथक्-पृथक् पदार्थों की विलयन क्षमता भिन्न होती है।

विलायक की मात्रा (द्रव्यमान अथवा आयतन) में घुले हुए विलेय पदार्थ की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहते हैं।

विलयन की सांद्रता को दर्शाने की बहुत सी विधियाँ हैं, लेकिन हम यहाँ सिर्फ़ तीन विधियों के बारे में चर्चा करेंगे।

(i) द्रव्यमान/विलयन के द्रव्यमान प्रतिशत

$$ =\frac{\text { विलेय पदार्थ का द्रव्यमान }}{\text { विलयन का द्रव्यमान }} \times 100 $$

(ii) द्रव्यमान/विलयन के आयतन प्रतिशत

$$ =\frac{\text { विलेय पदार्थ का द्रव्यमान }}{\text { विलयन का आयतन }} \times 100 $$

(iii) विलयन के आयतन/आयतन प्रतिशत

$=\frac{\text { विलेय का आयतन }}{\text { विलयन का आयतन }} 100$

2.2.2 निलंबन क्या है?

क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘स’ के द्वारा पाया गया विषमांगी घोल जो ठोस द्रव में परिक्षेपित हो जाता है, निलंबन कहलाता है। निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है, जिसमें विलेय पदार्थ कण घुलते नहीं हैं बल्कि माध्यम की समष्टि में निलंबित रहते हैं। ये निलंबित कण आँखों से देखे जा सकते हैं।

निलंबन के गुणधर्म

  • यह एक विषमांगी मिश्रण है।
  • ये कण आँखों से देखे जा सकते हैं।
  • ये निलंबित कण प्रकाश की किरण को फैला देते हैं, जिससे उसका मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है।
  • जब इसे शांत छोड़ देते हैं तब ये कण नीचे की ओर बैठ जाते हैं अर्थात निलंबन अस्थायी होता है। छानन विधि द्वारा इन कणों को मिश्रण से पृथक् किया जा सकता है। जब सभी कण नीचे बैठ जाते हैं तो निलंबन समाप्त हो जाता है तथा विलयन में प्रकाश की किरण का प्रकीर्णन रुक जाता है।

2.2.3 कोलाइडल विलयन क्या है?

क्रियाकलाप 2.2 में समूह ‘द’ के द्वारा प्राप्त मिश्रण को कोलाइड या कोलाइडल विलयन कहा जाता है। कोलाइड के कण विलयन में समान रूप से फैले होते हैं। निलंबन की अपेक्षा कणों का आकार छोटा होने के कारण यह मिश्रण समांगी प्रतीत होता है लेकिन वास्तविकता में विलयन विषमांगी मिश्रण है, जैसे दूध। कोलाइडल कणों के छोटे आकार के कारण हम इसे आँख से नहीं देख पाते हैं लेकिन ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं, जैसा कि हमने क्रियाकलाप 2.2 में देखा है। प्रकाश की किरण का फैलाना टिनडल प्रभाव (Tyndall effect) कहा जाता है। टिनडल नामक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी। एक कमरे में छोटे छिद्र के द्वारा जब प्रकाश की किरण आती है तब वहाँ पर हम टिनडल प्रभाव को देख सकते

(a)

(b) चित्र 2.3: (a) कॉपर सल्फ़ेट का विलयन टिनडल प्रभाव नहीं दर्शाता है; (b) दूध तथा पानी का मिश्रण टिनडल प्रभाव दर्शाता है

हैं। यह कमरे में मौजूद धूल और कार्बन के कणों के द्वारा प्रकाश के फैलने के कारण होता है।

जब एक घने जंगल के आच्छादन से सूर्य की किरण गुजरती है वहाँ हम टिनडल प्रभाव को देख सकते हैं। जंगल के कोहरे में छोटे-छोटे जल के कण होते हैं जो कि कोलाइड कणों के समान व्यवहार करते हैं।

सारणी 2.1: कोलाइडस के सामान्य उदाहरण
परिक्षिप्त परिक्षेपण माध्यम प्रकार
प्रावस्था उदाहरण
द्रव गैस ऐरोसोल कोहरा, बादल, कुहासा
ठोस गैस ऐरोसोल धुआँ, स्वचालित वाहन का निथार (exhaust)
गैस द्रव फ़ोम शेविंग क्रीम
द्रव द्रव इमल्शन दूध, फ़ेस क्रीम
ठोस द्रव सोल मैगनेशिया-मिल्क, कीचड़
गैस ठोस फ़ोम फ़ोम, रबड़, स्पंज, प्यूमिस
द्रव ठोस जैल जेली, पनीर, मक्खन
ठोस ठोस ठोस सोल रंगीन रत्न पत्थर, दूधिया काँच

चित्र 2.4: टिनडल प्रभाव

कोलाइड के गुणधर्म

  • यह एक विषमांगी मिश्रण है।
  • कोलाइड के कणों का आकार इतना छोटा होता है कि ये पृथक् रूप में आँखों से नहीं देखे जा सकते हैं।
  • ये इतने बड़े होते हैं कि प्रकाश की किरण को फैलाते हैं तथा उसके मार्ग को दृश्य बनाते हैं।
  • जब इनको शांत छोड़ दिया जाता है तब ये कण तल पर बैठते हैं अर्थात् ये स्थायी होते हैं।
  • ये छानन विधि द्वारा मिश्रण से पृथक् नहीं किए जा सकते। किंतु एक विशेष विधि अपकेंद्रीकरण तकनीक (क्रियाकलाप 2.5) द्वारा पथक् किए जा सकते हैं।

कोलाइडल विलयन परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम से बनता है। विलेय पदार्थ की तरह का घटक या परिक्षिप्त कण जो कि कोलाइडल रूप में रहता है उसे परिक्षिप्त प्रावस्था (dispersed phase) कहते हैं तथा वह घटक जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था निलंबित रहता है, उसे परिक्षेपण माध्यम (dispersing medium) कहते हैं। कोलाइडल को परिक्षेपण माध्यम (ठोस, द्रव या गैस) की अवस्था और परिक्षिप्त प्रावस्था के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। सारणी 2.1 में कुछ उदाहरण दिए गए हैं।

2.3 भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन

पिछले अध्याय में हमने पदार्थ के भौतिक गुणों के बारे में अध्ययन किया है। ऐसे गुण जिनका हम अवलोकन एवं वर्णन कर सकते हैं, जैसे कि रंग, कठोरता, दृढ़ता, बहाव, घनत्व, द्रवनांक तथा क्वथनांक इत्यादि को भौतिक गुण कहा जाता है।

अवस्थाओं का अंतःरूपांतरण एक भौतिक परिवर्तन है क्योंकि ये परिवर्तन पदार्थों के संघटन में बिना परिवर्तन किए होते हैं और उनकी रासायनिक प्रकृति में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। यद्यपि बर्फ़ जल और वाष्प अलग-अलग दिखते हैं और ये भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों को दर्शाते हैं लेकिन ये रासायनिक रूप से समान होते हैं।

जल तथा खाना पकाने वाले तेल दोनों द्रव हैं, लेकिन इनके रासायनिक गुणधर्म भिन्न हैं। इनकी गंध और ज्वलनशीलता में अंतर है। हम जानते हैं कि तेल हवा में जलता है, जबकि जल आग को बुझाता है। तेल का यह रासायनिक गुण जल से इसे अलग करता है। जलना एक रासायनिक परिवर्तन है। जलने की प्रक्रिया में एक पदार्थ दूसरे से क्रिया करके अपने रासायनिक संघटन में परिवर्तन लाता है। रासायनिक परिवर्तन पदार्थ के रासायनिक गुणधर्मों में परिवर्तन लाता है तथा हम नया पदार्थ पाते हैं। रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक प्रतिक्रिया भी कहा जाता है।

मोमबत्ती के जलने की प्रक्रिया में भौतिक एवं रासायनिक दोनों परिवर्तन होते हैं। क्या आप इनकी पहचान कर सकते हैं?

2.4 शुद्ध पदार्थों के क्या प्रकार हैं?

पदार्थों को उनके रासायनिक संघटन के आधार पर तत्वों या यौगिकों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

2.4.1 तत्व

रॉबर्ट बायल पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने सन् 1661 में सर्वप्रथम तत्व शब्द का प्रयोग किया। फ्रांस के रसायनज्ञ एंटोनी लॉरेंट लवाइजिए (सन् 1743 - सन् 1794) ने सबसे पहले तत्व की परिभाषा को प्रयोग द्वारा प्रतिपादित किया। उनके अनुसार तत्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।

तत्वों को साधारणतया धातु, अधातु तथा उपधातु में वर्गीकृत किया जा सकता है।

धातुएँ प्रायः दिए हुए निम्न गुणधर्मों में से सभी को या कुछ को प्रदर्शित करती हैं।

  • ये चमकीली होती हैं।
  • ये चाँदी जैसी सफ़ेद या सोने की तरह पीले रंग की होती हैं।
  • ये ताप तथा विद्युत की सुचालक होती हैं।
  • ये तन्य होती हैं (और इनको तार के रूप में खींचा जा सकता है)।
  • ये आघातवर्ध्य होती हैं। इनको पीटकर महीन चादरों में ढाला जा सकता है।
  • ये प्रतिध्वनिपूर्ण होती हैं।

सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, सोडियम, पोटैशियम इत्यादि धातु के उदाहरण हैं। पारा धातु होते हुए भी कमरे के तापमान पर द्रव है।

अधातुएँ दिए गए निम्न गुणों में से प्रायः कुछ को या सभी को प्रदर्शित करती हैं:

  • ये विभिन्न रंगों की होती हैं।
  • ये ताप और विद्युत की कुचालक होती हैं।
  • ये चमकीली, प्रतिध्वनिपूर्ण और आघातवर्ध्य नहीं होती हैं।

हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, आयोडीन, कार्बन, ( कोल, कोक), ब्रोमीन, क्लोरीन इत्यादि अधातुओं के उदाहरण हैं। कुछ तत्व धातु और अधातु के बीच के गुणों को दर्शाते हैं, जिन्हें उपधातु (metalloid) कहा जाता है, जैसे बोरान, सिलिकन, जर्मेनियम इत्यादि।

इसे भी जानिया!

  • अभी तक ज्ञात तत्वों की संख्या 100 से अधिक है। इनमें से 92 तत्व प्राकृतिक हैं जबकि शेष मानव-निर्मित हैं।
  • अधिकतर तत्व ठोस हैं।
  • 11 तत्व कमरे के तापमान पर गैसें हैं।
  • 2 तत्व पारा तथा ब्रोमीन कमरे के तापमान पर द्रव हैं।
  • गैलियम तथा सीज़ियम तत्व कमरे के तापमान $(303 \mathrm{~K})$ से कुछ अधिक तापमान पर द्रव अवस्था ले लेते हैं।

2.4.2 यौगिक

एक यौगिक वह पदार्थ है जो कि दो या से अधिक तत्वों के नियत अनुपात में रासायनिक तौर पर संयोजन से बना है।

जब दो या दो से अधिक तत्व आपस में मिलते हैं तो हम क्या पाते हैं?

क्रियाकलाप 2.4

  • कक्षा को दो समूहों में विभक्त करें। दोनों समूहों को $50 \mathrm{~g}$ लोहे का चूर्ण और $3 \mathrm{~g}$ सल्फ़र, एक चीनी मिट्टी की प्याली में दें।

समूह I

  • लोहे के चूर्ण और सल्फ़र पाउडर को पीसकर मिलाएँ।

समूह II

  • लोहे के चूर्ण और सल्फ़र पाउडर को पीसकर मिलाएँ। मिश्रण को तीव्र ताप पर लाल होने तक गर्म करें। अब ज्वाला को हटा दें तथा मिश्रण को ठंडा होने दें।

समूह I और II

  • प्राप्त सामग्री में चुंबकीय गुण की जाँच करें। सामाग्री के निकट एक चुंबक को लाएँ। जाँच करें कि क्या सामग्री चुंबक की ओर आकर्षित होती है?

  • दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री के रंग और बनावट की तुलना करें।

  • प्राप्त सामग्री के एक भाग में कार्बन डाइसल्फाइड मिलाएँ। मिश्रण अच्छी तरह मिलाएँ तथा छान लें।

  • प्राप्त पदार्थ के दूसरे भाग में तनु सल्फ़्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिलाएँ। (इस क्रियाकलाप के लिए अध्यापक का निर्देशन आवश्यक है।)

  • इस क्रियाकलाप को लोहा तथा सल्फ़र तत्वों के साथ अलग-अलग दोहराएँ। अवलोकनों को नोट करें।

अब उत्तर दें

  • क्या दोनों समूहों द्वारा प्राप्त सामग्री दिखने में समान है?

  • किस समूह द्वारा प्राप्त सामग्री में चुंबकीय गुण विद्यमान है?

  • क्या प्राप्त सामग्री के घटकों को हम पृथक् करने में सक्षम हैं।

  • क्या तनु सल्फ्यूरिक अम्ल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सामग्री पर डालने से दोनों समूहों को गैस प्राप्त होती है? क्या दोनों स्थितियों में प्राप्त गैस की गंध समान है या अलग-अलग है?

समूह I द्वारा प्राप्त गैस हाइड्रोजन है। यह रंगहीन, गंधहीन और ज्वलनशील है। इसकी ज्वलनशीलता की जाँच कक्षा में न करें।

समूह II द्वारा प्राप्त गैस हाइड्रोजन सल्फ़ाइड है। यह रंगहीन गैस है और इसकी गंध सड़े हुए अंडे जैसी है। आपने पाया कि दोनों समूहों द्वारा प्राप्त पदार्थ भिन्न गुणों को दर्शाते हैं। यद्यपि प्रारंभ में दिए गए पदार्थ समान थे, समूह I की क्रिया के फलस्वरूप भौतिक परिवर्तन हुआ जबकि समूह II की क्रिया के फलस्वरूप पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन हुआ।

  • समूह I द्वारा प्राप्त सामग्री दो पदार्थों का मिश्रण है। दिए गए पदार्थ लोहा तथा सल्फ़र हैं।
  • मिश्रण का गुण उन दोनों मिले हुए तत्वों के गुण के समान है।
  • समूह II द्वारा प्राप्त सामग्री यौगिक है।

सारणी 2.2: मिश्रण तथा यौगिक

मिश्रण यौगिक
1. तत्व या यौगिक केवल मिश्रण बनाने के लिए मिलते हैं। किंतु किसी नए यौगिक का निर्माण नहीं करते। 1. तत्व क्रिया करके नए यौगिक का निर्माण करते हैं।
2. मिश्रण का संघटन परिवर्तनीय होता है। 2. नए पदार्थ का संघटन सदैव स्थायी होता है।
3. मिश्रण उसमें उपस्थित घटकों के गुणधर्मों को दर्शाता है। 3. नए पदार्थ के गुणधर्म पूरी तरह से भिन्न होते हैं।
4. घटकों को भौतिक विधियों द्वारा सुगमता से पृथक् किया जा सकता है। 4. घटकों को केवल रासायनिक या वैद्युत रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा ही पृथक् किया जा सकता है।
  • दोनों तत्वों को तीव्रता से गर्म करने पर हमने यौगिक पाया, जिसका गुण मिले हुए तत्वों से पूरी तरह भिन्न है।
  • यौगिक का संघटन पूरे पदार्थ में समान है। हम यह भी देख सकते हैं कि यौगिक की बनावट और रंग भी सभी स्थानों पर समान है।

इस प्रकार संक्षेप में हम पदार्थ की भौतिक और रासायनिक प्रकृति को निम्न आरेख द्वारा व्यवस्थित कर सकते हैं।

आपने क्या सीखा

  • मिश्रण में एक से अधिक पदार्थ (तत्व तथा/अथवा यौगिक) किसी भी अनुपात में मिले होते हैं।
  • मिश्रणों को पृथक् करने के लिए उचित विधियों से शुद्ध पदार्थों में पृथक्करण किया जा सकता है।
  • विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है। विलयन के बड़े अवयव को विलायक कहते हैं तथा अवयव को विलेय कहते हैं।
  • विलयन की सांद्रता उसके इकाई आयतन में उपस्थित विलेय का द्रव्यमान अथवा आयतन है।
  • वह पदार्थ जो विलायक में अघुलनशील तथा आँखों से देखा जा सकता है, निलंबन कहलाता है। निलंबन एक विषमांगी मिश्रण होता है।
  • कोलाइड एक विषमांगी मिश्रण है, जिसके कणों का आकार इतना छोटा है कि उन्हें सरलता से देखा नहीं जा सकता, किंतु इतना बड़ा है कि ये प्रकाश का फैलाव कर सकने में सक्षम होते हैं। कोलाइड उद्योगों में तथा दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण है। विलेय कणों को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं और विलायक जिसमें ये पूरी तरह से वितरित रहते हैं, उसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।
  • शुद्ध पदार्थ तत्व या यौगिक हो सकते हैं। तत्व पदार्थ का मूल रूप होता है, जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है। यौगिक वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों के स्थिर अनुपात में रासायनिक रूप में संयोजन से निर्मित होता है।
  • यौगिकों के गुण उसमें निहित तत्वों के गुणों से भिन्न होते हैं, जबकि मिश्रण में उपस्थित तत्व और यौगिक अपने-अपने गुणों को दर्शाते हैं।

समूह क्रियाकलाप

एक मिट्टी का मटका, बालू तथा कुछ कंकड़ लें। मटमैले जल को साफ़ करने हेतु छोटे स्तर पर एक छानक युक्ति (Filteration plant) की डिज़ाइन बनाएँ।



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