अध्याय 11 पढ़क्कू की सूझ

एक पढ़क्कू बड़े तेज़ थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,

जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।

एक रोज़ वे पड़े फ़िक्र में समझ नहीं कुछ पाए,

“बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?”

कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है?

सिखा बैल को रक्खा इसने, निश्चय कोई ढब है।

आखिर, एक रोज़ मालिक से पूछा उसने ऐसे,

“अजी, बिना देखे, लेते तुम जान भेद यह कैसे?

कोल्हू का यह बैल तुम्हारा चलता या अड़ता है?

रहता है घूमता, खड़ा हो या पागुर करता है?”

मालिक ने यह कहा, “अजी, इसमें क्या बात बड़ी है?

नहीं देखते क्या, गर्दन में घंटी एक पड़ी है?

जब तक यह बजती रहती है, मैं न फ़िक्र करता हूँ,

हाँ, जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ।”

कहा पढ़क्कू ने सुनकर, “तुम रहे सदा के कोरे!

बेवकूफ! मंतिख की बातें समझ सकोगे थोड़े!

अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए,

चले नहीं, बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए।

घंटी टुन-टुन खूब बजेगी, तुम न पास आओगे,

मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?

मालिक थोड़ा हँसा और बोला कि पढ़क्कू जाओ,

सीखा है यह ज्ञान जहाँ पर, वहीं इसे फैलाओ।

यहाँ सभी कुछ ठीक-ठाक है, यह केवल माया है,

बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।

रामधारी सिंह दिनकर

कविता में कहानी

‘पढ़क्कू की सूझ’ कविता में एक कहानी कही गई है। इस कहानी को तुम अपने शब्दों में लिखो।

कवि की कविताएँ

तीसरी कक्षा में तुमने रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘मिर्च का मज़ा’ पढ़ी थी। अब तुमने उन्हीं की कविता ‘पढ़क्कू की सूझ’ पढ़ी।

(क) दोनों में से कौन-सी कविता पढ़कर तुम्हें ज़्यादा मज़ा आया? (चाहो तो तीसरी की किताब फिर से देख सकते हो।)

(ख) तुम्हें काबुली वाला ज़्यादा अच्छा लगा या पढ़क्कू? या कोई भी अच्छा नहीं लगा ?

(ग) अपने साथियों के साथ मिलकर एक-एक कविता ढूँढ़ो। कविताएँ इकट्ठा करके कविता की एक किताब बनाओ।

मेहनत के मुहावरे

कोल्हू का बैल ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो कड़ी मेहनत करता है या जिससे कड़ी मेहनत करवाई जाती है।

मेहनत और कोशिश से जुड़े कुछ और मुहावरे नीचे लिखे हैं। इनका वाक्यों में इस्तेमाल करो।

  • दिन-रात एक करना

  • पसीना बहाना

  • एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना

पढ़क्कू

(क) पढ़क्कू का नाम पढ़क्कू क्यों पड़ा होगा?

(ख) तुम कौन-सा काम खूब मन से करना चाहते हो? उसके आधार पर अपने लिए भी पढ़क्कू जैसा कोई शब्द सोचो।

अपना तरीका

हाँ जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ

पूँछ धरता हूँ का मतलब है पूँछ पकड़ लेता हूँ।

नीचे लिखे वाक्यों को अपने शब्दों में लिखो।

(क) मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?

(ख) बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।

(ग) सिखा बैल को रखा इसने निश्चय कोई ढब है।

(घ) जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।

गढ़ना

पढ़क्कू नई-नई बातें गढ़ते थे।

बताओ, ये लोग क्या गढ़ते हैं?

सुनार ………………………

लुहार ………………………

ठठेरा ………………………

कवि ………………………

कुम्हार ………………………

लेखक ………………………

अर्थ खोजो

नीचे दिए गए शब्दों के अर्थ अक्षरजाल में खोजो-

ढब, भेद, गज़ब, मंतिख, छल

र्क शा स्त्र म्र
रा
जू री मा धो
रा ज़ का खा
धो ड़


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